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घोर लापरवाही! अस्पताल परिसर में भ्रूण को लेकर घूमता रहा श्वान, बुरी तरह से नोचा

हनुमानगढ़ के जिला अस्पताल में मानवता को बेहद शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. दरअसल, यहां पर अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते एक श्वान भ्रूण को लेकर अस्पताल के परिसर में घूमता रहा. इतना ही नहीं दिल तो तब दहल गया, जब श्वान ने भ्रूण के चिथड़े-चिथड़े कर दिए.

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परिसर में भ्रूण को लेकर घूमता रहा श्वान
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Published : Feb 6, 2021, 2:26 PM IST

हनुमानगढ़. टाउन एरिया में स्थित हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. अस्पताल में डिलीवरी के बाद भ्रूण को एक श्वान ने चिथड़े-चिथड़े कर दिए. घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया.

परिसर में भ्रूण को लेकर घूमता रहा श्वान

दरअसल, जिला अस्पताल में भर्ती एक प्रसूता जब शौच के लिए बाथरूम में गई तो वहीं महिला का गर्भपात हो गया. उसके बाद अस्पताल स्टाफ ने भ्रूण को एक पॉलीथिन में डालकर लेबर रूम के बाहर ही रख दिया गया, जिसको एक श्वान उठाकर अस्पताल में घूमता रहा. अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों में दहशत फैल गई. जब इस घटना की जानकारी अस्पताल प्रशासन को मिली तो, अधिकारियों ने भ्रूण को मोर्चरी में रखवाया.

यह भी पढ़ें: हिरण शिकार मामले में सलमान खान को हाईकोर्ट ने दी हाजिरी माफी, सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई टली

वहीं जब संवाददाता ने अस्पताल प्रशासन के उप नियंत्रक गौरी शंकर से इस लापरवाही के बारे में पूछा तो वे मामले की जांच की बात कह रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में गार्ड व्यवस्था होने के बावजूद इस तरह से खुलेआम श्वानों के आने से चिकित्सालय व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि बच्चा प्री-मेच्योर था और मृतक था. प्रसूता डीएमसी करवाने के लिए ही अस्पताल में भर्ती हुई थी.

यह भी पढ़ें: चूरू गैंगवार : ढाणी मौजी के ग्रामीणों ने शवों को उठाने से रोका, वारदात में शामिल शूटर्स चिन्हित

गौरतलब है कि जिला अस्पताल में लापरवाही का ये कोई पहला मामला नहीं है. पूर्व में गहने चोरी, स्टाफ के जरिए मरीजों और उनके परिजनों से बदसलूकी, जैसे मामले आए दिन मामले सामने आते रहते हैं. इतना ही नहीं महिलाओं से गार्डों के जरिए छेड़खानी जैसे मामले भी सामने आ चुके हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन आज तक व्यवस्थाएं सुधार नहीं पाया. सबसे बड़ी बात की जिला अस्पताल को साल 2016 में पूरे राजस्थान में प्रथम स्थान हासिल करने पर 'कायाकल्प अवार्ड' के तहत 50 लाख की राशि से नवाजा गया था.

वहीं राजस्थान में चौथा स्थान हासिल करते हुए साल 2019 में क्वॉलिटी एश्योरेंस स्टेंडर्ड सर्टिफिकेट हासिल किया है, जिसके तहत अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारने के लिए 30 लाख रुपए मिले. लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार के नाम पर हुई तो मात्र खानापूर्ति.

हनुमानगढ़. टाउन एरिया में स्थित हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. अस्पताल में डिलीवरी के बाद भ्रूण को एक श्वान ने चिथड़े-चिथड़े कर दिए. घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया.

परिसर में भ्रूण को लेकर घूमता रहा श्वान

दरअसल, जिला अस्पताल में भर्ती एक प्रसूता जब शौच के लिए बाथरूम में गई तो वहीं महिला का गर्भपात हो गया. उसके बाद अस्पताल स्टाफ ने भ्रूण को एक पॉलीथिन में डालकर लेबर रूम के बाहर ही रख दिया गया, जिसको एक श्वान उठाकर अस्पताल में घूमता रहा. अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों में दहशत फैल गई. जब इस घटना की जानकारी अस्पताल प्रशासन को मिली तो, अधिकारियों ने भ्रूण को मोर्चरी में रखवाया.

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वहीं जब संवाददाता ने अस्पताल प्रशासन के उप नियंत्रक गौरी शंकर से इस लापरवाही के बारे में पूछा तो वे मामले की जांच की बात कह रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में गार्ड व्यवस्था होने के बावजूद इस तरह से खुलेआम श्वानों के आने से चिकित्सालय व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि बच्चा प्री-मेच्योर था और मृतक था. प्रसूता डीएमसी करवाने के लिए ही अस्पताल में भर्ती हुई थी.

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गौरतलब है कि जिला अस्पताल में लापरवाही का ये कोई पहला मामला नहीं है. पूर्व में गहने चोरी, स्टाफ के जरिए मरीजों और उनके परिजनों से बदसलूकी, जैसे मामले आए दिन मामले सामने आते रहते हैं. इतना ही नहीं महिलाओं से गार्डों के जरिए छेड़खानी जैसे मामले भी सामने आ चुके हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन आज तक व्यवस्थाएं सुधार नहीं पाया. सबसे बड़ी बात की जिला अस्पताल को साल 2016 में पूरे राजस्थान में प्रथम स्थान हासिल करने पर 'कायाकल्प अवार्ड' के तहत 50 लाख की राशि से नवाजा गया था.

वहीं राजस्थान में चौथा स्थान हासिल करते हुए साल 2019 में क्वॉलिटी एश्योरेंस स्टेंडर्ड सर्टिफिकेट हासिल किया है, जिसके तहत अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारने के लिए 30 लाख रुपए मिले. लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार के नाम पर हुई तो मात्र खानापूर्ति.

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