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हनुमानगढ़ में किराए के नाम पर प्रवासी मजदूरों से 64 हजार की वसूली - हनुमानगढ़ जिला प्रशासन

हनुमानगढ़ में प्रवासी मजदूरों से किराए वसूली के नाम पर हजारों रुपए ठगे गए. इसको लेकर ग्रामीणों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को कोरोना महामारी में हनुमानगढ़ से उत्तर प्रदेश भिजवाए गए प्रवासी मजदूरों से किराए के लिए गए 64 हजार वापस दिलवाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है.

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प्रवासी मजदूरों से 64 हजार की वसूली
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Published : May 23, 2020, 12:25 PM IST

हनुमानगढ़. गहलोत सरकार जहां एक तरफ प्रवासी मजदूरों को उनके घर निःशुल्क पहुंचाने के दावे कर रही है. वहीं हनुमानगढ़ में सरकारी कर्मचारियों की मौजूदगी में किराया वसूली का मामला सामने आया है.

प्रवासी मजदूरों से 64 हजार की वसूली

गौरतलब है कि 5 मई को हनुमानगढ़ के गांव कोहला में मेगा हाइवे पर 16 मजदूर पैदल उत्तर प्रदेश के लिए जा रहे थे, जिनको ग्रामीणों ने जागरुकता का परिचय देते हुए उन्हें रुकवाकर प्रशासन को सूचना दी. प्रशासन के लोगों ने मजदूरों को कोहला गांव की जांगिड़ धर्मशाला में 14 दिन तक क्वॉरेंटाइन किया. इस दौरान ग्रामीणों की तरफ से यथा संभव चाय, खाना और कपड़ों आदि की व्यवस्था की गई.

यह भी पढ़ेंः हनुमानगढ़: गौशाला में लगी आग, आंधी ने बढ़ाई मुसीबत

क्वॉरेंटाइन समय पूरा होने पर 16 मई को इन मजदूरों को निजी वाहनों से उत्तर प्रदेश भिजवाया गया. इन वाहनों के किराए हेतु मजदूरों से 64 हजार रुपये लिए गए, जिससे मजदूरों के साथ तो गरीब मार हुई ही. साथ ही ग्रामीण भी इस बार से काफी आहत हैं. वहीं ग्रामीणों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मीडिया के जरिये सरकार से मांग कि है कि मामले की गंभीरता से जांच करवाकर कार्रवाई की जाए और उन गरीब मजदूरों को उनके हक के 64 हजार रुपए वापिस दिलवाए जाए.

केंद्र, राज्य सरकार और प्रशासन द्वारा निरंतर घोषणा कर दावे किए जा रहे हैं कि गरीब प्रवासी मजदूरों को नि:शुल्क उनके घरों तक भिजवाया जा रहा है. लेकिन हनुमानगढ मे ऐसे मामले सामने आना कहीं न कहीं सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. हालांकि हनुमानगढ़ में राजस्थान रोडवेज की दर्जनों बसें मौजूद हैं. उनके द्वारा सरकारी खर्च पर भी मजदूरों को भिजवाया जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसका खमियाजा मजदूरों को आर्थिक नुकसान उठाकर भुगतना पड़ा.

जहां एक तरफ इस संकट के समय गरीबों को अपने परिवार के पालन-पोषण में इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों ने बहुत गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि जिस अध्यापिका की क्वॉरेंटाइन सेंटर पर ड्यूटी थी. उसके पति को उन्होंने 48 हजार रुपये दिए थे. वहीं चालक ने उन्हें कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हुए उनसे 16 हजार गांव के पास पहुंचकर और वसूले. इतना ही नहीं आरोप ये भी लगाया कि वहां ड्यूटी पर कार्यरत लोगों ने ये भी धमकी दी कि अगर मीडिया को बताया कि भेजने के पैसे लिए जा रहे हैं तो उन्हें यहां से घर नहीं भेजा जाएगा.

वहीं जब हमने इस मसले को लेकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक असीजा से बात की तो उनका कहना था की ऐसा कुछ मामला सुना तो उन्होंने भी था. लेकिन कोई शिकायतकर्ता सामने नहीं आया था. अब पूरी जानकारी मिली है, शीघ्र ही सख्त कार्रवाई की जायेगी. वहीं इस तरह से उनसे वसूली कर उनकी मुसीबतें और बढ़ा दी गई हैं. ऐसे मामले सामने आने पर तो यही प्रतीत हो रहा है कि सरकार और सरकार के नुमाइंदे सिर्फ झूठे वादे और कागजी बयानबाजी कर सिर्फ पक्ष-विपक्ष खेल रही है व प्रवासी मजूदरों के साथ डर्टी पॉलटिक्स करने के सिवाय कुछ नहीं कर रही है.

हनुमानगढ़. गहलोत सरकार जहां एक तरफ प्रवासी मजदूरों को उनके घर निःशुल्क पहुंचाने के दावे कर रही है. वहीं हनुमानगढ़ में सरकारी कर्मचारियों की मौजूदगी में किराया वसूली का मामला सामने आया है.

प्रवासी मजदूरों से 64 हजार की वसूली

गौरतलब है कि 5 मई को हनुमानगढ़ के गांव कोहला में मेगा हाइवे पर 16 मजदूर पैदल उत्तर प्रदेश के लिए जा रहे थे, जिनको ग्रामीणों ने जागरुकता का परिचय देते हुए उन्हें रुकवाकर प्रशासन को सूचना दी. प्रशासन के लोगों ने मजदूरों को कोहला गांव की जांगिड़ धर्मशाला में 14 दिन तक क्वॉरेंटाइन किया. इस दौरान ग्रामीणों की तरफ से यथा संभव चाय, खाना और कपड़ों आदि की व्यवस्था की गई.

यह भी पढ़ेंः हनुमानगढ़: गौशाला में लगी आग, आंधी ने बढ़ाई मुसीबत

क्वॉरेंटाइन समय पूरा होने पर 16 मई को इन मजदूरों को निजी वाहनों से उत्तर प्रदेश भिजवाया गया. इन वाहनों के किराए हेतु मजदूरों से 64 हजार रुपये लिए गए, जिससे मजदूरों के साथ तो गरीब मार हुई ही. साथ ही ग्रामीण भी इस बार से काफी आहत हैं. वहीं ग्रामीणों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मीडिया के जरिये सरकार से मांग कि है कि मामले की गंभीरता से जांच करवाकर कार्रवाई की जाए और उन गरीब मजदूरों को उनके हक के 64 हजार रुपए वापिस दिलवाए जाए.

केंद्र, राज्य सरकार और प्रशासन द्वारा निरंतर घोषणा कर दावे किए जा रहे हैं कि गरीब प्रवासी मजदूरों को नि:शुल्क उनके घरों तक भिजवाया जा रहा है. लेकिन हनुमानगढ मे ऐसे मामले सामने आना कहीं न कहीं सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. हालांकि हनुमानगढ़ में राजस्थान रोडवेज की दर्जनों बसें मौजूद हैं. उनके द्वारा सरकारी खर्च पर भी मजदूरों को भिजवाया जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसका खमियाजा मजदूरों को आर्थिक नुकसान उठाकर भुगतना पड़ा.

जहां एक तरफ इस संकट के समय गरीबों को अपने परिवार के पालन-पोषण में इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों ने बहुत गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि जिस अध्यापिका की क्वॉरेंटाइन सेंटर पर ड्यूटी थी. उसके पति को उन्होंने 48 हजार रुपये दिए थे. वहीं चालक ने उन्हें कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हुए उनसे 16 हजार गांव के पास पहुंचकर और वसूले. इतना ही नहीं आरोप ये भी लगाया कि वहां ड्यूटी पर कार्यरत लोगों ने ये भी धमकी दी कि अगर मीडिया को बताया कि भेजने के पैसे लिए जा रहे हैं तो उन्हें यहां से घर नहीं भेजा जाएगा.

वहीं जब हमने इस मसले को लेकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक असीजा से बात की तो उनका कहना था की ऐसा कुछ मामला सुना तो उन्होंने भी था. लेकिन कोई शिकायतकर्ता सामने नहीं आया था. अब पूरी जानकारी मिली है, शीघ्र ही सख्त कार्रवाई की जायेगी. वहीं इस तरह से उनसे वसूली कर उनकी मुसीबतें और बढ़ा दी गई हैं. ऐसे मामले सामने आने पर तो यही प्रतीत हो रहा है कि सरकार और सरकार के नुमाइंदे सिर्फ झूठे वादे और कागजी बयानबाजी कर सिर्फ पक्ष-विपक्ष खेल रही है व प्रवासी मजूदरों के साथ डर्टी पॉलटिक्स करने के सिवाय कुछ नहीं कर रही है.

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