डूंगरपुर. प्रदेशभर में वन महोत्सव मनाया जा रहा है. सावन के मौसम में विभाग की तरफ से पौधारोपण के अभियान चलाए जा रहे हैं. दूसरी तरफ वन विभाग इस कदर आंखें मूंदे हुए है कि आदिवासी इलाकों से लगातार लकड़ी की तस्करी हो रही है.
डूंगरपुर जिले में लकड़ी तस्करों के हौसले बुलंद हैं. यहां से गुजरात के लिए लकड़ी की तस्करी होती है. जिला स्पेशल पुलिस टीम ने रविवार को लकड़ी तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की. डीएसटी ने 3 ट्रक को जब्त करते हुए चालकों को गिरफ्तार कर लिया.
कहने को तो जिले में अवैध लकड़ी तस्करी के खिलाफ पुलिस का अभियान चल रहा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर ट्रक जब्त करना और चालकों को गिरफ्तार करने से ज्यादा कुछ नहीं किया जाता. जंगल से इतनी भारी मात्रा में बड़े पेड़ों को गुपचुप तरीके से कैसे काटा जा सकता है. क्या वन विभाग को इसकी भनक नहीं लगती. फिर लकड़ी ट्रकों में लोड भी हो जाती है और सड़क के रास्ते गुजरात तक पहुंच जाती है. इस पूरे नेटवर्क में किन लोगों का हाथ है, यह पुलिस क्या कभी नहीं जान पाई.
जिला स्पेशल पुलिस टीम को सूचना मिली थी कि हाइवे से सदर थाना क्षेत्र में लकड़ी की तस्करी की जा रही है. डीएसटी प्रभारी दिलीप दान के निर्देशन में हेड कांस्टेबल नवीन कुमार, महावीर, मुकेश, यशपाल, चालक पंकज की टीम ने मोतली मोड़ पर रैकी शुरू कर दी. इस दौरान मुखबिर के बताए अनुसार तीनों ट्रकों को रोककर तिरपाल हटाकर तलाशी ली तो उनमें भारी मात्रा में लकड़ी भरी हुई थी.
ट्रक चालक लकड़ी तस्करी को लेकर कोई जवाब भी नहीं दे सके, न ही कोई वैध कागजात उनके पास थे. इस पर डीएसटी ने लकड़ी से भरे तीनो ट्रकों को जब्त करते हुए सदर थाना पुलिस को सुपुर्द कर दिया. वहीं सलूंबर निवासी ट्रक चालक मुनीर खान, शाहिद नूर रहमान और गड़ा मौरेया निवासी हरीश बरंडा को हिरासत में लिया गया है.
पुलिस मामले में चालकों से पूछताछ कर रही है. बताया जा रहा है लकड़ी को तस्करी कर गुजरात ले जा रहे थे. जिनका उपयोग महंगे फर्नीचर बनाने में किया जाता है. इस कारण डूंगरपुर सहित आसपास के जिलों में लकड़ी तस्कर सक्रिय हैं. बहरहाल, इस मामले में कई ओहदेदार और रसूख वाले लोगों की मिलीभगत संभव है. जिसकी पुलिस को जांच करनी होगी.