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जिलाध्यक्ष बहुत बड़े आदमी हैं...उनको कांग्रेस और गरीबों के लिए काम करने में कोई रुचि नहीं : भगोरा

लोकसभा चुनाव में बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से कांग्रेस को मिली करारी हार को लेकर मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया गैरहाजिर रहे. इस पर बोलते हुए कांग्रेस प्रत्याशी तारा चंद भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया और 3 बार समय बदला गया, लेकिन वे नहीं आए, ये उनकी मर्जी है.

मीटिंग में नहीं पहुंचे जिलाध्यक्ष
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Published : Jun 3, 2019, 5:19 PM IST

डूंगरपुर. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ताराचन्द भगोरा की करारी हार के बाद उस पर मंथन करने लिए सोमवार को वागड़ गांधी वाटिका हॉल में बैठक आयोजित की गई. जिला कांग्रेस की बैठक के बावजूद इसमें जिलाध्यक्ष का नहीं आना कई मायनो में चर्चा का विषय रहा. वहीं, भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया और 3 बार समय बदला गया, लेकिन वे नहीं आए, ये उनकी मर्जी है.

आंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस

बता दें, लोकसभा चुनावो में हार की समीक्षा बैठक में पूर्व सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी रहे ताराचन्द भगोरा, जिला उपाध्याय वल्लभराम पाटीदार सहित कई कांग्रेस पदाधिकारी मौजूद रहे. बैठक में जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया के नहीं आने के सवालों पर भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया और 3 बार समय बदला गया, लेकिन वे नहीं आए, ये उनकी मर्जी है. भगोरा ने जिलाध्यक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे बहुत बड़े आदमी हैं उनके पास समय का अभाव है. कांग्रेस या गरीबों के लिए काम करने में उनकी कोई रुचि नहीं दिखती है.

भगोरा ने हार को लेकर कहा कि यहां कांग्रेस बुरी तरह से हारी है, इसलिए चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई गई ह,। आगे पंचायतीराज चुनाव होने हैं और कांग्रेस की नींव गांवो में ही है. ऐसे में गांव और बूथ को मजबूत करने और राज्य सरकार के हाथ मजबूत करने की अपील की. भगोरा ने हार की वजह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आलस्यता को बताया. उन्होंने कहा कि प्रचार के दौरान बीजेपी और बीटीपी तो कहीं थी ही नहीं सब जगह कांग्रेस का माहौल था, लेकिन बाद में बीटीपी को हराने के लिए कांग्रेस का सामान्य वोटर भी भाजपा की ओर चला गया.

भगोरा ने गुटबाजी के सवाल पर कहा कि आजादी के बाद से अब तक गुटबाजी तो है, लेकिन कांग्रेस को हराकर वे लोग ठीक नहीं कर रहे हैं. साथ ही यह सब जानकारी आलाकमान को है. बांसवाडा-डूंगरपुर दोनों जिलाध्यक्ष के बूथ पर कांग्रेस की हार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह तो योग्यता का मामला है जिसमें योग्यता है वह अच्छा रिजल्ट देता है और जो कभी लोगों के बीच ही नहीं गया उस पर कोई कैसे भरोसा करेगा.

डूंगरपुर. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ताराचन्द भगोरा की करारी हार के बाद उस पर मंथन करने लिए सोमवार को वागड़ गांधी वाटिका हॉल में बैठक आयोजित की गई. जिला कांग्रेस की बैठक के बावजूद इसमें जिलाध्यक्ष का नहीं आना कई मायनो में चर्चा का विषय रहा. वहीं, भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया और 3 बार समय बदला गया, लेकिन वे नहीं आए, ये उनकी मर्जी है.

आंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस

बता दें, लोकसभा चुनावो में हार की समीक्षा बैठक में पूर्व सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी रहे ताराचन्द भगोरा, जिला उपाध्याय वल्लभराम पाटीदार सहित कई कांग्रेस पदाधिकारी मौजूद रहे. बैठक में जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया के नहीं आने के सवालों पर भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया और 3 बार समय बदला गया, लेकिन वे नहीं आए, ये उनकी मर्जी है. भगोरा ने जिलाध्यक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे बहुत बड़े आदमी हैं उनके पास समय का अभाव है. कांग्रेस या गरीबों के लिए काम करने में उनकी कोई रुचि नहीं दिखती है.

भगोरा ने हार को लेकर कहा कि यहां कांग्रेस बुरी तरह से हारी है, इसलिए चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई गई ह,। आगे पंचायतीराज चुनाव होने हैं और कांग्रेस की नींव गांवो में ही है. ऐसे में गांव और बूथ को मजबूत करने और राज्य सरकार के हाथ मजबूत करने की अपील की. भगोरा ने हार की वजह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आलस्यता को बताया. उन्होंने कहा कि प्रचार के दौरान बीजेपी और बीटीपी तो कहीं थी ही नहीं सब जगह कांग्रेस का माहौल था, लेकिन बाद में बीटीपी को हराने के लिए कांग्रेस का सामान्य वोटर भी भाजपा की ओर चला गया.

भगोरा ने गुटबाजी के सवाल पर कहा कि आजादी के बाद से अब तक गुटबाजी तो है, लेकिन कांग्रेस को हराकर वे लोग ठीक नहीं कर रहे हैं. साथ ही यह सब जानकारी आलाकमान को है. बांसवाडा-डूंगरपुर दोनों जिलाध्यक्ष के बूथ पर कांग्रेस की हार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह तो योग्यता का मामला है जिसमें योग्यता है वह अच्छा रिजल्ट देता है और जो कभी लोगों के बीच ही नहीं गया उस पर कोई कैसे भरोसा करेगा.

Intro:डूंगरपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ताराचन्द भगोरा की करारी हार के बाद उस पर मंथन करने लिए सोमवार को वागड़ गांधी वाटिका हॉल में बैठक आयोजित की गई। जिला कांग्रेस की बैठक के बावजूद इसमें जिलाध्यक्ष के नहीं आना कई मायनो में चर्चा का विषय बन गया।


Body:चुनावो में हार की समीक्षा बैठक में पूर्व सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी रहे ताराचन्द भगोरा, जिला उपाध्याय वल्लभराम पाटीदार सहित कई कांग्रेस पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक में जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया के नही आने के सवालों पर भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किए और 3 बार समय बदला लेकिन वे नही आये तो यह उनकी मर्जी है। भगोरा ने जिलाध्यक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे बहुत बड़े आदमी है उनके पास समय का अभाव है। कांग्रेस या गरीबो के लिए काम करने में उनकी कोई रुचि नहीं दिखती है।
भगोरा ने उनकी हार को लेकर कहा कि यहां कांग्रेस बुरी तरह से हारी है इसलिए बैठकर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई है। आगे पंचायतीराज चुनाव होने है और कांग्रेस की नींव गांवो में ही है ऐसे में गांव और बूथ को मजबूत करने और राज्य सरकार के हाथ मजबूत करने की अपील की। भगोरा ने हार की वजह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आलस्यता को बताया। उन्होंने कहा कि प्रचार के दौरान बीजेपी और बीटीपी तो कही थी ही नही सब जगह कांग्रेस का माहौल था, लेकिन बाद में बीटीपी को हराने के लिए कांग्रेस का सामान्य वोटर भी भाजपा की ओर चला गया।
भगोरा ने गुटबाजी के सवाल पर कहा कि आजादी के बाद से अब तक गुटबाजी तो है लेकिन कांग्रेस को हराकर वे लोग ठीक नही कर रहे है ओर यह सब जानकारी आलाकमान को है। बांसवाडा ओर डूंगरपुर दोनों जिलाध्यक्ष के बूथ पर कांग्रेस की हार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह तो योग्यता का मामला है जिसमे योग्यता है वह अच्छा रिजल्ट देता है और जो कभी लोगो के बीच ही नहीं गया वहा कोई कैसे भरोसा करेगा, इसलिए वहां भी कम वोट मिले है। बैठक में पूर्व उपजिला प्रमुख प्रेमकुमार पाटीदार, प्रधान लक्ष्मण कोटेड, प्रधान मंजुला रोत सहित कई मौजूद थे।

बाईट- ताराचन्द भगोरा, लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रहे।


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