डूंगरपुर. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ताराचन्द भगोरा की करारी हार के बाद उस पर मंथन करने लिए सोमवार को वागड़ गांधी वाटिका हॉल में बैठक आयोजित की गई. जिला कांग्रेस की बैठक के बावजूद इसमें जिलाध्यक्ष का नहीं आना कई मायनो में चर्चा का विषय रहा. वहीं, भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया और 3 बार समय बदला गया, लेकिन वे नहीं आए, ये उनकी मर्जी है.
बता दें, लोकसभा चुनावो में हार की समीक्षा बैठक में पूर्व सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी रहे ताराचन्द भगोरा, जिला उपाध्याय वल्लभराम पाटीदार सहित कई कांग्रेस पदाधिकारी मौजूद रहे. बैठक में जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया के नहीं आने के सवालों पर भगोरा ने कहा कि मीटिंग के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया और 3 बार समय बदला गया, लेकिन वे नहीं आए, ये उनकी मर्जी है. भगोरा ने जिलाध्यक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे बहुत बड़े आदमी हैं उनके पास समय का अभाव है. कांग्रेस या गरीबों के लिए काम करने में उनकी कोई रुचि नहीं दिखती है.
भगोरा ने हार को लेकर कहा कि यहां कांग्रेस बुरी तरह से हारी है, इसलिए चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई गई ह,। आगे पंचायतीराज चुनाव होने हैं और कांग्रेस की नींव गांवो में ही है. ऐसे में गांव और बूथ को मजबूत करने और राज्य सरकार के हाथ मजबूत करने की अपील की. भगोरा ने हार की वजह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आलस्यता को बताया. उन्होंने कहा कि प्रचार के दौरान बीजेपी और बीटीपी तो कहीं थी ही नहीं सब जगह कांग्रेस का माहौल था, लेकिन बाद में बीटीपी को हराने के लिए कांग्रेस का सामान्य वोटर भी भाजपा की ओर चला गया.
भगोरा ने गुटबाजी के सवाल पर कहा कि आजादी के बाद से अब तक गुटबाजी तो है, लेकिन कांग्रेस को हराकर वे लोग ठीक नहीं कर रहे हैं. साथ ही यह सब जानकारी आलाकमान को है. बांसवाडा-डूंगरपुर दोनों जिलाध्यक्ष के बूथ पर कांग्रेस की हार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह तो योग्यता का मामला है जिसमें योग्यता है वह अच्छा रिजल्ट देता है और जो कभी लोगों के बीच ही नहीं गया उस पर कोई कैसे भरोसा करेगा.