डूंगरपुर. सरकारें शिक्षा और विद्यार्थियों की सुविधाओं पर लाखों रुपये खर्च कर रही है. स्कूलों के भवन से लेकर किताबें, पोषाहार सबकुछ मिल रहा है लेकिन सबसे बड़ी समस्या शुद्ध पेयजल को लेकर है. जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत रहती है. जिले के 2212 स्कूलों में पेयजल को लेकर बोरवेल या हैंडपंप पर निर्भर है. गर्मियों में पेयजल गहराई में चले जाने से विकट समस्या खड़ी हो जाती है. वहीं फ्लोराइड प्रभावित आसपुर विधानसभा क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की सबसे बड़ी समस्या है. ईटीवी भारत ने जिले के स्कूलों में पेयजल को लेकर हालात जानने का प्रयास किया तो सबसे चिंताजनक स्थिति सामने आई. पेश है एक रिपोर्ट....
राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला, जिसकी भौगोलिक स्थिति पहाड़ियों से घिरी हुई है. आदिवासी और पिछड़ा इलाका होने के कारण सरकारें यहां लाखों-करोड़ों रूपये खर्च करती है. शिक्षा के लिए सरकार की ओर से हर गांव में प्राथमिक शिक्षा से लेकर सीनियर स्कूलें है, जहां सरकार की ओर से तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है. इसके बावजूद स्कूलों में सबसे ज्यादा मूलभूत पेयजल की समस्या गंभीर है.
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डूंगरपुर जिले की बात करें तो जिले में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और सीनियर लेवल के 2212 स्कूलें है. जिनमें शहरी क्षेत्र को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल को लेकर केवल हैंडपंप और बोरवेल ही साधन है. कुछ स्कूलों में हैंडपम्प है तो कई जगह स्कूलों के बाहर हैंडपम्प से पेयजल मिलता है, लेकिन सबसे खराब स्थिति जिले के आसपुर विधानसभा क्षेत्र के स्कूलों की है. जहां देश का भविष्य फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर है.
आसपुर विधानसभा क्षेत्र में आसपुर सहित साबला और दोवड़ा पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले 544 स्कूल आते हैं. इसके अलावा डूंगरपुर पंचायत समिति के भी कुछ स्कूल प्रभावित है, जहां बोरवेल और हैंडपंप से फ्लोराइड वाला पानी आता है और यहीं पानी विद्यार्थी और शिक्षक पी रहे हैं.
पानी से भरे बर्तनों में जम जाता है फ्लोराइड
ईटीवी भारत ने फ्लोराइड की समस्या को लेकर आसपूर क्षेत्र के स्कूलों के हाल जाने तो शिक्षकों ने बताया कि यहां फ्लोराइड की सबसे बड़ी समस्या है. प्रत्येक स्कूल में पेयजल के लिए बोरवेल या हैंडपम्प ही है. जिससे फ्लोराइडयुक्त लाल पानी ही आता है. कुछ गांव ऐसे हैं, जहां फ्लोराइड की मात्रा 500 पीपीएम से भी ज्यादा है और यह पानी बिल्कुल भी पाइन लायक नहीं रहता है. शिक्षकों ने बताया कि बर्तनों में भी फ्लोराइड जमा हो जाता है. मिट्टी के बर्तन हो या स्टील के फ्लोराइड के कारण सफेद हो जाते है. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ बच्चे अपने घरों से बोतल भरकर पानी लाते है, लेकिन वह पानी खत्म होने के बाद स्कूल टंकी से ही पानी पीते हैं.
घरों में शुद्ध पेयजल, स्कूल तरसे
सरकार ने फ्लोराइड प्रभावित आसपुर विधानसभा क्षेत्र में लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने के लिए सोमकमला आंबा बांध से फिल्टर पानी की सप्लाई की जाती है. आसपुर सहित साबला और पुनाली तक शुद्ध पेयजल घरों में मुहैया होता है लेकिन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यह शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है. स्कूलों में सोमकमला आंबा के पानी की सप्लाई नहीं होने से बच्चे बोरवेल या हैंडपंप का फ्लोराइड वाला पानी ही पी रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से अब सोमकमला आम्बा बांध के पानी को डूंगरपुर शहर तक लाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे है. ऐसे में सरकार स्कूलों में भी नल कनेक्शन देकर शुद्ध पेयजल मुहैया करवा सकती है.
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गर्मियों में घट जाएगा जल स्तर तो आएगी समस्या
जिले में हर साल गर्मियों के दिनों में जमीन का भू जल स्तर घट जाता है. ऐसे में हैंडपंप और बोरवेल का पानी गहराई में चला जाता है. उस समय पेयजल की स्थिति खराब हो जाती है. ऐसी समस्या जिले के बिछीवाड़ा, झोंथरी, सीमलवाड़ा और चिखली क्षेत्र में आती है. जहां भू जल स्तर में कमी आ जाती है. वहीं जिले में कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे पहाड़ी इलाका है. ऐसे में वहां स्कूल भी पहाड़ी या ऊंचाई ओर स्थित है. ऐसे में वहां हैंडपंप सूख जाते हैं या फिर पानी अधिक गहराई में चले जाने के कारण उनमें पीने के पानी की समस्या खड़ी हो जाती है. ऐसे स्कूलों में पेयजल के स्थाई समाधान को लेकर अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए है.
आइये जानते हैं किस ब्लॉक में कितने स्कूल
1. आसपूर- 174
2. बिछीवाड़ा- 306
3. चिखली- 196
4. दोवड़ा- 210
5. गलियाकोट- 181
6. झोंथरी- 204
7. साबला- 160
8- सागवाड़ा- 205
बीमारियों का डर
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से बच्चों में कई तरह की बीमारियां फैलने का डर भी हमेशा रहता है. डॉक्टरों के मुताबिक ज्यादातर फ्लोराइड पानी पीने से हड्डियां कमजोर हो जाती है. वहीं दांत पीले पड़ने या शारीरिक विकृति की समस्या हो सकती है. कई बार बच्चों में याददाश्त कम हो जाना या अन्य कई तरह की शिकायतें भी हो सकती है. ऐसे में विशेष ख्याल रखने की जरूरत रहती है.
सरकार अब तो दिलाओ फ्लोराइड पानी से मुक्ति
स्कूलों में पेयजल को लेकर गंभीर समस्या है. आसपुर में फ्लोराइडयुक्त पीने का पानी मिल रहा है तो गर्मियों के भू जल स्तर घटने की समस्या. इससे आमव्यक्ति ही नहीं विद्यार्थी भी परेशान है. बहरहाल अब सरकार को चाहिए कि स्कूलों में भी शुद्ध पेयजल का इन्तजाम करें ताकि बच्चो को पीने के लिए साफ पानी मिल सके और किसी तरह की बीमारियां भी नहीं हो. वहीं गर्मियों में पेयजल की किल्लत का भी स्थाई समाधान की जरूरत है. देखना होगा कि सरकार इस पर कितना काम कर पाती है और बच्चो को कब तक शुद्ध पानी मिलता है.