डूंगरपुर. जिले में रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़े की पाबंदियों के चलते होटल और रेस्टोरेंट कई दिनों से बंद है. ऐसे में जिला अस्पताल में संचालित रोटी बैंक मरीजों और उनके परिजनों की भूख मिटाने का एक मात्र सहारा बना है, जहां प्रतिदिन लोगों को निशुल्क भोजन करवाया जा रहा है. मानव सेवा के लिए ढाई साल पहले शुरू हुआ रोटी बैंक कोरोना काल में भी बदस्तूर जारी है. एक रिपोर्ट..
डूंगरपुर जिला अस्पताल में आने वाले मरीज के साथ उनके परिजन और रिश्तेदारों में कोई भूखा नहीं रहे, इसके लिए ढाई साल पहले शहर के भामाशाहो ने मिलकर रोटी बैंक की स्थापना की. अस्पताल परिसर में बनाए गए रोटी बैंक में हर भूखे को भरपेट मुफ्त में भोजन दिया जाता है. जिससे उसके पेट की भूख मिट सके. इसी उद्देश्य से शहर से 70 भामाशाहो ने 1-1 लाख रुपये का सहयोग दिया था. कोरोनाकाल के इस दौर में जहा लोग बीमारी से जूझ रहे हैं और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, वही रोटी बैंक आज भी भरपेट खाना खिला रहा है. ज़िला अस्पताल में रोजाना सैंकड़ों मरीज आते हैं, जिसमें कई लोग दूर-दराज गांवों से होते हैं और उनके पास अस्पताल में खाने-पीने की कोई सुविधा नहीं रहती है. ऐसे में इन लोगों के लिए रोटी बैंक सबसे बड़ा सहारा बन चुका है, जहां उन्हें रोटी, सब्जी, दाल और चावल खाने में दिए जाते हैं.
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सुबह से शुरू होता है खाना बनाने का काम
रोटी बैंक में खाना बनाने वाले रसोइए बताते हैं कि सुबह से रोजाना खाना बनाने का काम शुरू हो जाता है. अस्पताल में मरीजों की संख्या का आंकलन करते हुए खाना बनाया जाता है. दोपहर 12 बजे से खाना शुरू हो जाता है. यहां लोगों के बैठने के लिए टेबल भी लगी हुई, जहां लोग आराम से बैठकर भरपेट भोजन करते है. कोरोना के कारण मरीजों की संख्या बढ़ी है तो खाना खाने के लिए भी कुछ लोग ज्यादा ही आ रहे हैं.
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खास मौके पर भोजन करवाकर कमा सकते है पुण्य
रोटी बैंक के सचिव प्रेमांशु पंडया बताते हैं कि प्रतिदिन के भोजन का अनुमानित खर्च करीब 3100 रुपये के करीब है. कई भामाशाह ऐसे हैं, जो 3100 रुपये देकर लोगों को भोजन करवाते हैं. इसके अलावा जन्मदिन, शादी की सालगिरह, पुण्यतिथि या किसी भी खास मौके को भी यादगार बनाने के लिए लोग रोटी बैंक में आकर लोगो को भोजन करवाते हैं. वहीं कोरोना के इस दौर में जो लोग अस्पताल से ठीक होकर गए है, वे भी अब लोगों को भोजन करवाने में मदद करने आगे आ रहे हैं. कोरोना के चलते शादी समारोह में कम खर्च होने के कारण कई लोग यहां भोजन करवा रहे हैं.
ढाई साल पहले भामाशाहों को प्रेरित कर बनाया था रोटी बैंक
ढाई साल पहले पूर्व सभापति केके गुप्ता ने पहल करते हुए भामाशाहों को प्रेरित किया और उनसे सहयोग लेकर रोटी बैंक की स्थापना की. भामाशाहों का सहयोग आज भी जारी है. जिसकी वजह से रोजाना सुबह-शाम जरूरतमंद लोगों को निशुल्क भोजन उपलब्ध हो रहा है. पिछले साल लॉकडाउन में ओर इस साल भी कोरोना काल में रोटी बैंक की सेवाएं अनवरत जारी है.