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डूंगरपुर वन क्षेत्र में बढ़ा पैंथर का कुनबा...36 की मौजूदगी दर्ज - Dungarpur news

डूंगरपुर से अच्छी खबर है. जिले के वन क्षेत्रों में पैंथर का कुनबा बढ़ा है. साथ ही अन्य जीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है लेकिन इस बार वन्य जीवों की गणना नहीं हो पाएगी.

राजस्थान न्यूज, Dungarpur news
डूंगरपुर में बढ़ी पैंथर की संख्या
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Published : Jun 29, 2021, 6:29 PM IST

डूंगरपुर. जिले में वन क्षेत्रों में इन दिनों पैंथर की दहाड़ सुनाई दे रही है. जिससे पैंथर की संख्या में बढ़ोतरी मानी जा रही है. जबकि 12 साल पहले एक भी पैंथर नहीं था. हालांकि, कोरोना के कारण पिछले एक साल से वन्यजीवों की गणना अलग-अलग कारणों से टलती रही है.

वन विभाग की ओर हर साल वन्य जीवों की गणना (calculations of wild organisms) की जाती है लेकिन 10 साल में पहली बार इस साल गणना नहीं होगी. पहले कोरोना संक्रमण और अब अब मानसून की वजह से वन्य जीव गणना टाल दी गई है. वहीं डूंगरपुर जिले में पिछले कई साल में पैंथर सहित अन्य वन्य जीवों के संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

डूंगरपुर में बढ़ी पैंथर की संख्या
  • इस बार नहीं होगी वन्य जीवों की गणना
  • पैंथर की संख्या में बढ़ोतरी
  • मोर, नील गाय, गीदड़ अन्य जीवों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज
  • धनमाता पहाड़ी पर दिखा पैंथर का कुनबा

डूंगरपुर वन विभाग (Dungarpur Forest Department) के उपवन संरक्षक सुपोंग शशि ने बताया की पहले कोरोना संक्रमण, फिर तौकते तूफान और मानसून की वजह से वन क्षेत्र में पानी की कहीं भी समस्या नहीं होने से वन्यजीव गणना टाल दी गई है. पिछले कुछ साल में जिले में वन्य जीवों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. 12 साल पहले जिले में एक भी पैंथर नहीं था लेकिन अब पैंथर की संख्या जिले में 36 हो गई है. इसके अलावा मोर, नील गाय, जंगली सूअर, गीदड़, जरख सहित अन्य वन्यजीवों की गणना में वृद्धि हुई है.

यह भी पढ़ें. बेरोजगारों के लिए खुशखबरी! राजस्थान में 60 हजार से अधिक को मिलेगा रोजगार, REET में बढ़ सकती हैं सीटें

पानी की उपलब्धता पर विशेष फोकस

उपवन संरक्षक सुपोंग शशि का कहना है कि इसका मुख्य कारण यहां जंगलों में वृद्धि होना है. उन्होंने बताया कि वन विभाग ने जंगलों में पानी की उपलब्धता पर विशेष फोकस किया है. जिससे छोटे-बड़े सभी जानवरों की संख्या बढ़ी तो इनको भोजन सुलभ भी हुआ है. उन्होंने बताया की जंगलों में हरियाली बढ़ने से इनका घर सुरक्षित हुआ है.

यहां की आबोहवा और वन क्षेत्र वन्यजीवों के लिए सबसे बेहतर

जिले में वन्यजीवों के लिए वन क्षेत्र सबसे उपयुक्त है. अधिकारियों का कहना है कि जिले में कई घने वन क्षेत्र है, जहां पैंथर और अन्य वन्यजीव रहते हैं. यह वन क्षेत्र वन्यजीवों के लिए उपयुक्त है. वहीं जंगलों में पानी की उपलब्धता वन्य जीवों के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. वन क्षेत्रों में लोगों की दखल नहीं होने के कारण भी वन्य जीव आसानी से विचरण करते हैं और उन्हें जंगलों में आसानी से शिकार भी मिल जाता है.

यह भी पढ़ें. उदयपुर में पैंथर का आतंक, घर में सोई महिला पर किया हमला....अब तक 4 लोगों को शिकार बनाया

धनमाता की पहाड़ी पर दिखाई दिया पैंथर का कुनबा

राजस्थान न्यूज, Dungarpur news
वन क्षेत्र में पैंथर

जिले में पैंथर की संख्या बढ़ने से वन्यजीव प्रेमी काफी उत्साहित है. डूंगरपुर शहर के धनमाता की पहाड़ी पर पैंथर का कुनबा अक्सर देखा जाता है. पिछले दिनों में कई बार पैंथर और उनके शावक पहाड़ी पर नजर आ चुके हैं. जिसके कारण पहाड़ी की तलहटी में रहने वाले लोग भयभीत रहते हैं. हालांकि, पैंथर के इस कुनबे से अब तक किसी भी तरह जनहानि नहीं हुई है. वहीं वन विभाग भी पैंथर के इस कुनबे पर नजर रखे हुए है.

डूंगरपुर. जिले में वन क्षेत्रों में इन दिनों पैंथर की दहाड़ सुनाई दे रही है. जिससे पैंथर की संख्या में बढ़ोतरी मानी जा रही है. जबकि 12 साल पहले एक भी पैंथर नहीं था. हालांकि, कोरोना के कारण पिछले एक साल से वन्यजीवों की गणना अलग-अलग कारणों से टलती रही है.

वन विभाग की ओर हर साल वन्य जीवों की गणना (calculations of wild organisms) की जाती है लेकिन 10 साल में पहली बार इस साल गणना नहीं होगी. पहले कोरोना संक्रमण और अब अब मानसून की वजह से वन्य जीव गणना टाल दी गई है. वहीं डूंगरपुर जिले में पिछले कई साल में पैंथर सहित अन्य वन्य जीवों के संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

डूंगरपुर में बढ़ी पैंथर की संख्या
  • इस बार नहीं होगी वन्य जीवों की गणना
  • पैंथर की संख्या में बढ़ोतरी
  • मोर, नील गाय, गीदड़ अन्य जीवों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज
  • धनमाता पहाड़ी पर दिखा पैंथर का कुनबा

डूंगरपुर वन विभाग (Dungarpur Forest Department) के उपवन संरक्षक सुपोंग शशि ने बताया की पहले कोरोना संक्रमण, फिर तौकते तूफान और मानसून की वजह से वन क्षेत्र में पानी की कहीं भी समस्या नहीं होने से वन्यजीव गणना टाल दी गई है. पिछले कुछ साल में जिले में वन्य जीवों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. 12 साल पहले जिले में एक भी पैंथर नहीं था लेकिन अब पैंथर की संख्या जिले में 36 हो गई है. इसके अलावा मोर, नील गाय, जंगली सूअर, गीदड़, जरख सहित अन्य वन्यजीवों की गणना में वृद्धि हुई है.

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पानी की उपलब्धता पर विशेष फोकस

उपवन संरक्षक सुपोंग शशि का कहना है कि इसका मुख्य कारण यहां जंगलों में वृद्धि होना है. उन्होंने बताया कि वन विभाग ने जंगलों में पानी की उपलब्धता पर विशेष फोकस किया है. जिससे छोटे-बड़े सभी जानवरों की संख्या बढ़ी तो इनको भोजन सुलभ भी हुआ है. उन्होंने बताया की जंगलों में हरियाली बढ़ने से इनका घर सुरक्षित हुआ है.

यहां की आबोहवा और वन क्षेत्र वन्यजीवों के लिए सबसे बेहतर

जिले में वन्यजीवों के लिए वन क्षेत्र सबसे उपयुक्त है. अधिकारियों का कहना है कि जिले में कई घने वन क्षेत्र है, जहां पैंथर और अन्य वन्यजीव रहते हैं. यह वन क्षेत्र वन्यजीवों के लिए उपयुक्त है. वहीं जंगलों में पानी की उपलब्धता वन्य जीवों के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. वन क्षेत्रों में लोगों की दखल नहीं होने के कारण भी वन्य जीव आसानी से विचरण करते हैं और उन्हें जंगलों में आसानी से शिकार भी मिल जाता है.

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धनमाता की पहाड़ी पर दिखाई दिया पैंथर का कुनबा

राजस्थान न्यूज, Dungarpur news
वन क्षेत्र में पैंथर

जिले में पैंथर की संख्या बढ़ने से वन्यजीव प्रेमी काफी उत्साहित है. डूंगरपुर शहर के धनमाता की पहाड़ी पर पैंथर का कुनबा अक्सर देखा जाता है. पिछले दिनों में कई बार पैंथर और उनके शावक पहाड़ी पर नजर आ चुके हैं. जिसके कारण पहाड़ी की तलहटी में रहने वाले लोग भयभीत रहते हैं. हालांकि, पैंथर के इस कुनबे से अब तक किसी भी तरह जनहानि नहीं हुई है. वहीं वन विभाग भी पैंथर के इस कुनबे पर नजर रखे हुए है.

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