डूंगरपुर. जिले के राजकीय बालिका छात्रावास बांसिया में रविवार रात एक छात्रा की तबीयत अचानक खराब हो गई. हॉस्टल में मौजूद अन्य छात्राओं ने जब पीड़िता को अस्पताल ले जाने के लिए वार्डन को जानकारी देने का प्रायास किया, तो वहां न तो वार्डन थी, न कोच था और न ही गार्ड मौजूद थे. तीनों लोग दरवाजों में ताला लगा कर कहीं बाहर चले गए थे. ऐसे में छात्राओं ने छात्रावास की छत पर जा कर जोर-जोर से मदद की गुहार लगई जिसके बाद आसपास के लोग हॉस्टल पहुंचे.
बीमार छात्रा ने रोते हुए बताया कि उसके पेट मे खूब दर्द हो रहा है. अन्य छात्राओं ने जब पीड़ित को अस्पताल ले जाने के लिए वार्डन को उठाने का प्रयास किया, तो पता चला कि हॉस्टल की वार्डन कलावती मनात, कोच ओर चौकीदार दशरथ बरंडा सभी हॉस्टल से नदारद हैं. छात्रावास के दोनों दरवाजों पर भी ताला लगा हुआ था. ऐसे में घबराई छात्राएं हॉस्टल की छत पर चढ़ी ओर मदद के लिए चिल्लाने लगीं. उनके चिल्लाने पर नजदीक रहने वाली उप-सरपंच देविका डामोर, समाजसेवी गुणवत कलाल सहित ग्रामीण हॉस्टल पहुंचे. हॉस्टल पर ताला लगा होने की वजह से वह भी बाहर खड़े रहे.
ग्रामीणों ने एसडीएम ओर तहसीलदार को सूचना देकर छात्रावास का ताला तोड़ा और पीड़ित छात्रा को निजी वाहन से सीमलवाड़ा अस्पताल पहुंचाया. सूचना मिलने के काफी देर बाद चौकीदार दशरथ शराब के नशे में हॉस्टल (Negligence of hostel staff in Dungarpur) पहुंचा, जिसका वहां मौजूद छात्राओं ने जमकर विरोध किया. मामले के बाद छात्राओं ने तीनों स्टाफों को हटाने की मांग की है. मामले की सूचना पर जनजाति विभाग के अधिकारी रणछोड़ लाल डामोर ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ित छात्रा का हाल चाल लिया. उन्होंने बताया कि मैं पीड़िता का हालचाल लेने के बाद हॉस्टल गया. बीमार छात्रा का अस्पताल में इलाज चल रहा है. उन्होंने कहा कि हॉस्टल वार्डन, कोच ओर चौकीदार के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.