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सीएस को तलब कर एक लाख रुपए के हर्जाना आदेश पर रोक - RAJASTHAN HIGH COURT

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला. सीएस को तलब कर एक लाख रुपए के हर्जाना आदेश पर रोक. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 28, 2024, 8:51 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना से जुड़े मामले में दायर याचिका में एकलपीठ की ओर से मुख्य सचिव को तलब करने और राज्य सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाने के आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश मुख्य सचिव की ओर से दायर याचिका अपील पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि एकलपीठ ने मामले को जनहित याचिका की तरह से देखते हुए आदेश जारी कर दिए और सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगा दिया.

अपील में महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने अदालत को बताया कि एकलपीठ के समक्ष आरएसआरटीसी के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसकी राज्य सरकार पक्षकार भी नहीं थी. इसके बावजूद एकलपीठ ने न केवल मामले में मुख्य सचिव को तलब किया, बल्कि 2015 के एक आदेश का हवाला देते हुए सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगा दिया.

पढ़ें : Rajasthan: अदालत ने 25.75 लाख रुपए का मोटर दुर्घटना क्लेम किया खारिज

ऐसे में एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से एकलपीठ के समक्ष खंडपीठ के आदेश की जानकारी दी. इस पर एकलपीठ ने मामले की सुनवाई आठ सप्ताह के लिए टाल दी.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत दिनों भरपाई व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि 7 मई, 2015 को जयपुर में फ्लाई ओवर और सड़कों को चौड़ा करवाने, मुख्य चौराहों और तिराहों का विकास, चारदीवारी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, अतिक्रमण हटाने, जेब्रा क्रॉसिंग, पैदल व साइकिल मार्गों का विकास, सड़कों से यातायात में बाधा बने पेड, ट्रांसफार्मर व डेयरी बूथ हटाने सहित 25 बिंदुओं को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे.

इस मामले में मई, 2015 से सितंबर, 2022 तक महाधिवक्ता पैरवी के लिए हाजिर होते रहे, लेकिन फरवरी, 2024 में कोई हाजिर नहीं हुआ और मार्च में फिर एजी पेश हुए. इसके बाद दो तारीखों पर एएजी पेश हुए, लेकिन फिर कोई नहीं आया. ऐसे में राज्य सरकार की लापरवाही पर जवाब देने के लिए मुख्य सचिव को बुलाना जरूरी है. इस आदेश को मुख्य सचिव ने खंडपीठ में चुनौती दी थी.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना से जुड़े मामले में दायर याचिका में एकलपीठ की ओर से मुख्य सचिव को तलब करने और राज्य सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाने के आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश मुख्य सचिव की ओर से दायर याचिका अपील पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि एकलपीठ ने मामले को जनहित याचिका की तरह से देखते हुए आदेश जारी कर दिए और सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगा दिया.

अपील में महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने अदालत को बताया कि एकलपीठ के समक्ष आरएसआरटीसी के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसकी राज्य सरकार पक्षकार भी नहीं थी. इसके बावजूद एकलपीठ ने न केवल मामले में मुख्य सचिव को तलब किया, बल्कि 2015 के एक आदेश का हवाला देते हुए सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगा दिया.

पढ़ें : Rajasthan: अदालत ने 25.75 लाख रुपए का मोटर दुर्घटना क्लेम किया खारिज

ऐसे में एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से एकलपीठ के समक्ष खंडपीठ के आदेश की जानकारी दी. इस पर एकलपीठ ने मामले की सुनवाई आठ सप्ताह के लिए टाल दी.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत दिनों भरपाई व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि 7 मई, 2015 को जयपुर में फ्लाई ओवर और सड़कों को चौड़ा करवाने, मुख्य चौराहों और तिराहों का विकास, चारदीवारी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, अतिक्रमण हटाने, जेब्रा क्रॉसिंग, पैदल व साइकिल मार्गों का विकास, सड़कों से यातायात में बाधा बने पेड, ट्रांसफार्मर व डेयरी बूथ हटाने सहित 25 बिंदुओं को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे.

इस मामले में मई, 2015 से सितंबर, 2022 तक महाधिवक्ता पैरवी के लिए हाजिर होते रहे, लेकिन फरवरी, 2024 में कोई हाजिर नहीं हुआ और मार्च में फिर एजी पेश हुए. इसके बाद दो तारीखों पर एएजी पेश हुए, लेकिन फिर कोई नहीं आया. ऐसे में राज्य सरकार की लापरवाही पर जवाब देने के लिए मुख्य सचिव को बुलाना जरूरी है. इस आदेश को मुख्य सचिव ने खंडपीठ में चुनौती दी थी.

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