डूंगरपुर. कोरोना वायरस जैसी महामारी से बचाव को लेकर देशभर में लॉक डाउन है और सभी राज्यों की सीमाएं सील कर दी गई हैं. लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी है, बावजूद डूंगरपुर जिले के रतनपुर बॉर्डर पर महाराष्ट्र व गुजरात से हजारों की तादाद में लोग पहुंचे तो हालात बिगड़ने लगे. इस पर प्रशासन ने डॉक्टरों की अतिरिक्त टीम स्क्रीनिंग के लिए लगाई और वाहनों से लोगों को सुरक्षित उनके घरों के लिए रवाना किया .
रतनपुर में राजस्थान-गुजरात राज्य का बॉर्डर एरिया है और यहां पर राज्य की सीमा पुलिस की ओर से सील कर दी गई है. जिला कलेक्टर कानाराम ने रतनपुर बॉर्डर के हालात बताते हुए कहा कि देश में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन की घोषणा के बाद बॉर्डर पर अचानक लोगों की भीड़ पहुंचना शुरू हो गई. महाराष्ट्र व गुजरात राज्य में जो लोग नॉकरीपेशा या मजदूरवर्ग है, उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आया तो वे लोग वापस अपने घरों को लौटने लगे.
पढ़ेंः कोरोना काल में भाजपा अध्यक्ष की अपील, 1 करोड़ भाजपा कार्यकर्ता 5 करोड़ गरीबों को कराएं भोजन
जिला कलेक्टर कानाराम ने बताया कि गुरुवार शाम 6 बजे तक करीब 15 हजार लोग रतनपुर बॉर्डर पर पंहुचे हैं. जिसमें से 50 प्रतिशत डूंगरपुर जिले के है तो वहीं अन्य 50 प्रतिशत लोग उदयपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाडा व अन्य जगहों के है. ऐसे में उन लोगो को रतनपुर बॉर्डर पर ही रोककर पहले उनकी स्क्रीनिंग की गई. इसके बाद लोगों को वाहनों के जरिये उनके जिले या गांव के लिए रवाना कर दिया गया.
पढ़ें- COVID-19 UPDATE: प्रदेश में 38 मरीज कोरोना पॉजिटिव, 1939 लोगों के हुए टेस्ट
जिला कलेक्टर के मुताबिक बताया कि गुरुवार रात को भी हजारों की तादाद में लोग पहुचेंगे, जिनके लिए पानी और नाश्ते का इंतजाम किया गया है. उन लोगों की स्क्रीनिंग के बाद ही आगे के लिए रवाना किया जा रहा है. वहीं लोग बेवजह दहशत में ना आएं इसके लिए प्रशासन ने दूसरे इंतजाम भी किए हैं. जिले में हर पंचायत और वार्ड लेवल पर एएनएम, आशा सहयोगिनी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की अलग-अलग टीमें बनाकर सर्वे करवाया जा रहा है. साथ ही जो लोग बाहर से आए हैं, उन्हें होम आइसोलेशन के लिए पाबंद किया गया है.
खाद्यान्न वितरण में लोग आगे आए, 2.50 लाख से ज्यादा राशि प्राप्त हुई...
कलेक्टर कानाराम के अनुसार कोरोना वायरस के कारण बड़ी आपदा आई है, जिसमें कई लोगों के रोजी-रोटी का साधन नहीं है. उनकी मदद के लिए कई स्वयंसेवी संगठन व भामाशाह भी सामने आए हैं. उनकी ओर से अब तक 2.50 लाख रुपये की सहायता मिली है और अन्य कई लोग भी प्रेरित हो रहे हैं. कलेक्टर ने कहा कि गांव में रहने वाले गरीब परिवार या जिनके घर में राशन नहीं है, ऐसे लोगों को चिन्हित कर राशन व खाने के पैकेट पहुंचाने के निर्देश सभी पंचायतों को दिए गए है. इसके अलावा किसानों के मुआवजे के 33 करोड़ रुपये का बजट भी प्राप्त हो चुका है जिसे लोगो के खातों में डाल दिया जाएगा.
घरों तक पंहुचेगा सामान और दवाइयां...
कलेक्टर ने कहा कि जिले में जरूरत के सामान की दुकानें, किराणा, सब्जी, मेडिकल स्टोर पूरे दिन के लिए खुले रहेंगे. लोग अपने जरूरत का सामान लेने जा सकेंगे. जो लोग नहीं जा पा रहे हैं, उनके लिए होलसेल उपभोक्ता भंडार के माध्यम से डूंगरपुर शहर में हर वार्ड में सामान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए शुक्रवार से ही खाद्यान्न सामग्री का वाहन घूमेगा. वहीं सब्जी व दवाइयां भी लोगों को उनके घरों तक मिल जाए, इसके प्रयास किए जा रहे है.