डूंगरपुर. जिले में ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की योजनाएं गरीब लोगों के लिए रोजगार के रूप में किसी संजीवनी से कम नहीं है, लेकिन पिछले 7 दिनों से अपनी मांगों को लेकर ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के इंजीनियर और कनिष्ठ तकनीकी सहायक हड़ताल पर होने से विभागीय योजनाओं का काम ठप पड़ गया है. इंजीनियर और कनिष्ठ तकनीकी सहायकों ने अपनी मांगों को लेकर कार्य का बहिष्कार कर रखा है.
ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के इंजीनियर लंबे समय से अपनी पदोन्नति की मांग को लेकर हड़ताल पर चल रहे हैं, वहीं मनरेगा योजना में लगे कनिष्ठ तकनीकी सहायक, कनिष्ठ सहायकों को कनिष्ठ अभियंता पद पर सीधी भर्ती और समायोजित करने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर है.
इधर इंजीनियर और कनिष्ठ तकनीकी सहायकों की हड़ताल से विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन है. मनरेगा योजना में पूरा काम-पूरा दाम अभियान भी प्रभावित हो रहा है. वर्तमान समय में मनरेगा योजना के पखवाड़े में 1 लाख श्रमिक नियोजित है और पखवाड़ा भी खत्म होने वाला है. ऐसे में तकनीकी अधिकारियों के हड़ताल पर होने से श्रमिकों के कार्य का मेजरमेंट नहीं हो पाएगा और उन्हें उस पखवाड़े के काम का भुगतान भी नहीं हो पाएगा. इतना ही नहीं पखवाड़े में नए काम के मस्टरोल भी जारी नहीं हो पाएंगे, जिसके चलते हजारों मनरेगा श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट भी खड़ा हो सकता है.
राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग के कार्यों की सुचारू संचालन के लिए वाटर शेड के तकनीकी अधिकारियों से काम करवाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन जिले में ऐसे अधिकारियों की संख्या भी नहीं के बराबर है. ऐसे में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मनरेगा श्रमिकों के आगामी भुगतान में काम पर रोजगार देने और पूरा काम पूरा दाम अभियान के सफल क्रियान्वयन में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
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अब देखने वाली बात होगी कि सरकार हड़ताल पर चल रहे ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के इंजीनियर और कनिष्ठ तकनीकी सहायकों की मांगों के संबंध में क्या हल निकाल पाते है. वहीं अगर समय रहते हड़ताल के संबंध में कोई हल नहीं निकाला गया तो खासकर मनरेगा श्रमिकों के सामने घर चलाने के लिए भुगतान और रोजगार का संकट खड़ा हो सकता है.