डूंगरपुर. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में मनरेगा योजना बेरोजगार व मजदूर वर्ग के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. कोरोना काल में जब कई लोगों की नौकरिया चली गई और काम-धंधे बंद हो गए, उस समय भी मनरेगा योजना ही सहारा बनी. इस दौरान मनरेगा योजना से जिले में करीब 4 लाख श्रमिकों को रोजगार मिला, लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि मनरेगा श्रमिकों को काम के बावजूद पूरा दाम नहीं मिल रहा था.
सरकार ने मनरेगा श्रमिकों के लिए 220 रुपये वेज रेट तय कर रखा है, लेकिन मजदूरों को केवल 150 रुपये के आस-पास ही वेज रेट मिल रही था. ऐसे में सरकार की ओर से मनरेगा श्रमिको को पूरी वेज रेट मिले इसके लिए "पूरा काम-पूरा दाम" अभियान की शुरुआत की. इसके बाद श्रमिकों से उनका टास्क पूरा करवाते हुए पूरा दाम भी मिलने लगा और अब मनरेगा श्रमिकों को मिलने वाला वेज रेट 200 के आंकड़े को पार कर गया है. इससे श्रमिकों को उनकी मेहनत के 50 रुपये तक ज्यादा मिलने लगे हैं.
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सरकार लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ ही मनरेगा मजदूरों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए तमाम प्रयास कर रही है. वहींं, मनरेगा कार्य में गुणवत्तायुक्त कार्य के लिए भी प्रयास हो रहे हैं, लेकिन देखना होगा कि सरकार ये प्रयास कितने रंग लाते हैं और श्रमिकों को इसका कितना फायदा मिलता है.
किस पंचायत समिति में कितनी वेज रेट
पंचायत समिति वेज रेट (मई 2020) वेज रेट (फरवरी 2021)
आसपुर 170 रुपये 206 रुपये
बिछीवाड़ा 153 रुपये 188 रुपये
चिखली 154 रुपये 209 रुपये
दोवड़ा 161 रुपये 206 रुपये
डूंगरपुर 146 रुपये 173 रुपये
गलियाकोट 149 रुपये 211 रुपये
झोंथरी 173 रुपये 201 रुपये
साबला 147 रुपये 199 रुपये
सागवाड़ा 175 रुपये 182 रुपये
सीमलवाड़ा 166 रुपये 217 रुपये
डूंगरपुर में सबसे कम और सीमलवाड़ा में सबसे ज्यादा वेज रेट
सरकार की ओर से मनरेगा में 220 रुपये वेज रेट निर्धारित है. पूरा काम पूरा दाम अभियान के तहत वेज रेट में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कुछ पंचायत समितियों में अब भी वेज रेट में इतना फर्क दिखाई नहीं दे रहा है. जिले में सबसे ज्यादा वेज रेट सीमलवाड़ा में 217 रुपये दिया जा रहा है, जबकि सबसे कम वेज रेट डूंगरपुर पंचायत समिति में 173 रुपये ही है. इसके अलावा साबला में 182 और बिछीवाड़ा में 188 रुपये ही वेज रेट है. यहां अब भी वेज रेट में सुधार की जरूरत है.
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नौकरियां छूटने के बाद मनरेगा बना सहारा
जिले में कोरोना काल के समय सबसे बड़ा रोजगार मनरेगा के माध्यम से मिला. जब कोरोना के कारण हर वर्ग परेशान था और रोजगार नहीं मिल रहा था, उस समय सरकार ने मनरेगा योजना की शुरुआत की तो विदेश से लौटे लोग और नौकरिया छूटने से बेरोजगार युवा भी मनरेगा से जुड़े और रोजगार पाया. उस समय जिले में मनरेगा श्रमिकों की संख्या करीब 4 लाख के पार हो गई, हालांकि अनलॉक के बाद श्रमिकों की संख्या में कमी आई और नौकारीपेशा लोग एक बार फिर पलायन कर वापस चले गए. वहीं, वेज रेट अच्छा मिलने से कई लोगों के जीवन में भी फर्क नजर आ रहा है. मनरेगा में रोजाना 200 रुपये का मानदेय मिलने से जीवनयापन सरल हुआ है. डूंगरपुर जिले के कई लोग महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में रोजगाररत हैं.