डूंगरपुर. प्रदेश में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए गहलोत सरकार ने प्रदेश में 24 मई तक लॉकडाउन लगा रखा है. वहीं, कोरोना महामारी अब गांवों तक पहुंच चुकी है. कोरोना संक्रमण के बीच गांवों की हालात जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम डूंगरपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर डूंगरपुर पंचायत समिति के ग्राम पंचायत माड़ा पंहुची.
बता दें, माड़ा पंचायत में कुल 3 हजार मकान है, तो वहीं माड़ा मुख्य गांव में 800 घरों में 4200 की आबादी निवास करती है. लबाना और पाटीदार समाज के परिवार गांव में बहुतायत में हैं. इसके अलावा आसपास की बिखरी हुई बस्तियां हैं, जिसमें आदिवासी और अन्य समाज के लोग रहते हैं.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का असर माड़ा गांव पर भी पड़ा. गांव में 110 लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हुए तो वहीं 42 एक्टिव केस है. ऐसे में प्रशासन की ओर से आमजन की सुरक्षा के लिए कर्फ्यू लगाया गया है. गांव के लोगों ने पिछले 10 दिनों में 3 युवाओं की मौत के दर्द को भी देखा है, ऐसे में हर घर में माहौल गमगीन और चिंताजनक है.
गांव को कोरोना संक्रमण जैसे खतरे से बचाने के लिए गांव के युवाओं की कमेटी सुरक्षा पहरी बनकर सामने आई. कर्फ्यू के चलते गांव में प्रमुख बाजार और दुकानें बंद है तो वहीं सड़के भी सुनी पड़ी है. पुलिस और प्रशासन के साथ गांव के युवा इस माहामारी से लोगों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.
अब किसी को मरने नहीं देंगे...
गांव के युवा मंडल के अध्यक्ष मनोज लबाना और गणेश लबाना बताते हैं कि पिछले दिनों में गांव के तीन युवाओं की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई है. महेश लबाना 35 वर्ष और खेमराज पटेल 46 वर्ष की मौत एक ही दिन सुबह और शाम के समय हो गई. गांव के इन युवाओं की मौत देखकर हर व्यक्ति का दिल पसीज गया. मनोज बताते हैं कि हमने हमारे भाइयों को खोया है, लेकिन अब किसी भाई, बहन या किसी भी व्यक्ति की मौत कोरोना से नहीं होने देंगे. इसके लिए जो कुछ भी करना पड़े वह युवाओं की कमेटी खुद की सुरक्षा रखते हुए करेंगे.
गांव के मुख्य सड़क पर कांटे और बैरिकेट्स लगाकर पहरा
गांव के युवाओं का कहना है कि माड़ा के तीन रास्ते पर बैरिकेट्स के साथ ही कांटे डालकर रोका गया है ताकि गांव में कोई भी व्यक्ति बेवजह आना-जाना नहीं कर सके. वहीं, इन रास्तों पर युवाओं की टीम मास्क, सैनिटाइजर के साथ पहरा देते हुए भी नजर आती है. गांव में हर आने-जाने वाले से कारण पूछा जाता है और बेवजह घूमते मिलने पर पुलिस की मदद से कार्रवाई भी की जाती है. गांव के युवा बताते हैं कि गांव में प्रमुख 3 प्रवेश मार्ग है, जहां इसी तरह का पहरा दिन-रात लगाया जा रहा है.
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युवाओं की टीम पंहुचाती है मदद
गांव के लोग बताते हैं कि कोरोना के बढ़ते खतरे से बचने के लिए सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन और गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. घर के अंदर हो या बाहर मास्क के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग रखी जा रही है. हालांकि, गांव में कर्फ्यू लागू होने की वजह से पूरा बाजार और दुकान बंद है. ऐसे में लोगों को अगर किसी भी तरह की जरूरत के सामान की घर में जरूरत होती है तो, यही युवाओं की कमेटी उन तक मदद पंहुचाती है. युवा बताते हैं कि गांव के लोग उन्हें फोन पर जरूरत के सामान की सूचना देते हैं, जिसे वे उन्हें उपलब्ध करवाते हैं.
संक्रमण से मुक्त रखने घर को करवाया सैनिटाइज
माड़ा उपसरपंच रमेश लबाना बताते हैं कि गांव में लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद गांव में यह महामारी ज्यादा नहीं फैले, इसके लिए प्रत्येक घर को सैनिटाइज करवाया गया. गांव की मुख्य सड़कों और गली-मोहल्लों को भी सैनिटाइज करवाया गया. उन्होंने बताया कि गांव के जरूरतमंद लोगों तक चिकित्सा विभाग के माध्यम से सर्वे करते हुए दवाइयां भी वितरण करवाई गई है.
वहीं, गांव में सीनियर स्कूल में कोरोना कन्ट्रोल रूम बनाया गया है, जहां कन्ट्रोल रूम प्रभारी और ग्राम प्रभारी लगाए गए हैं. ग्राम प्रभारी कल्याण लबाना बताते हैं कि गांव में अभी किसी की हालत गंभीर नहीं है और लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है.
कर्फ्यू और लॉकडाउन की सख्ती से हो रही पालना
रामसागड़ा थानाधिकारी बाबूलाल डामोर ने बताया कि माड़ा गांव में 42 एक्टिव केस होने के कारण कर्फ्यू लगा हुआ है. गांव में कर्फ्यू की सख्ती से पालना करवाई जा रही है. उन्होंने बताया कि जो लोग बेवजह घूम रहे हैं उन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर या फिर जुर्माना की कार्रवाई की जा रही है. वहीं, कोई दुकानदार नियमों की अवहेलना करते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है. साथ ही लोगों से समझाइश भी की जा रही है.
चिकित्सा और इलाज के लिए 2 किमी दूर सीएचसी
माड़ा गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है, लेकिन पड़ोस के ही गामड़ी अहाड़ा गांव में मुख्य मार्ग पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. जहां इलाज के लिए लोगों को जाना पड़ता है. वहीं सीएचसी होने के बावजूद कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करने या फिर ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है, ऐसे में मरीजों को कोरोना के इलाज के लिए 16 किमी दूर डूंगरपुर अस्पताल ही जाना पड़ता है.
इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है. वहीं, गामड़ी अहाड़ा में एम्बुलेंस की सुविधा है, लेकिन उस एम्बुलेंस के किसी मरीज को ले जाने की स्थिति में उसके वापस आने तक का इंतजार भी करना पड़ता है.