डूंगरपुर. भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा की ओर से अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग को लेकर डूंगरपुर जिला मुख्यालय सहित सभी उपखंड स्तर पर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे गए. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ जुटी जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ती दिखी.
भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने डूंगरपुर, सीमलवाड़ा और सागवाड़ा उपखंड मुख्यालय पर एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे. सीमलवाड़ा में चौरासी से बीटीपी विधायक राजकुमार रोत के नेतृत्व में मोर्चा के कार्यकर्ता उपखंड कार्यालय पहुंचे और नारेबाजी के साथ प्रदर्शन करते हुए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान विधायक के नेतृत्व में लोगों की भारी भीड़ जुटी. इतना ही नहीं कोरोना की महामारी में खतरे के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग के भी नियमों का पालन नहीं किया गया. वहीं प्रशासन भी पूरे मामले में मौन दिखाई दिया.
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इस अवसर पर सौंपे गए ज्ञापन में राजस्थान, गुजरात , महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश कि भील सांस्कृतिक क्षेत्र को एक सूत्र में बांधकर अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग की है. जिससे आदिवासी लोगों की संस्कृति, रीति रिवाज, बोली समेत विचार एक सूत्र में बंधे रहे. ज्ञापन में भील समाज ने भील प्रदेश अनुसूचित क्षेत्र में वन विभाग की भर्तियों में 80% आरक्षण स्थानीय आदिवासियों से भरी जाने, पुलिस विभाग में आदिवासी जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी पुलिसकर्मीयों की भर्ती करने, माही कडाना का पानी डूंगरपुर जिले में आदिवासियों को पेयजल हेतु उपलब्ध कराने के साथ ही बेणेश्वर धाम में 80% भूमि आदिवासियों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज किये जाने की मांग की है.