डूंगरपुर. मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में दवाइयों का टोटा हो गया है. मरीजों को बीपी-शुगर, उल्टी-दस्त और एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं मिल रही हैं, जिससे मरीज दवाइयों के लिए भटक रहे हैं. इस कारण अब दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं.
कोरोना की तीसरी लहर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. दो दिन में 18 कोरोना मरीज सामने आए हैं. मौसम के बदले मिजाज से हॉस्पिटल में सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, उल्टी-दस्त, पेट दर्द के मरीज बढ़ गए हैं. वहीं बीपी और शुगर जैसी बीमारी से जूझ रहे लोग भी हॉस्पिटल आ रहे हैं. लेकिन मरीजों को निशुल्क दवा काउंटर (Free Medicines Shortage in Dungarpur) पर पूरी दवाइयां नहीं मिल रही हैं. ऐसे में बची हुई दूसरी दवाइयां प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदने की मजबूरी है.
निशुल्क दवाइयां नहीं मिलने के चलते मरीजों पर आर्थिक भार झेलना पड़ रहा है. राज्य सरकार की ओर से निःशुल्क जांच व दवा योजना के बाद सभी जिला हॉस्पिटल में 600 से ज्यादा दवाइयां रखी जा रही हैं, लेकिन दवाइयों की कमी से मरीज भटकने को मजबूर हैं.
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मरीज बोले: 5 में से 2-3 दवाइयां ही मिलती हैं
हॉस्पिटल में दवाइयों की कमी की लेकर मरीजों ने बताया कि पर्ची में लिखी आधी-अधूरी दवाइयां मिल रही हैं. एक मरीज के भाई अविनाश यादव ने बताया की बुखार की शिकायत पर हॉस्पिटल आया था. डॉक्टर को दिखाने के बाद दवाई लेने गया तो सिर्फ 2 दवाइयां ही मिलीं. पैरासिटामोल, बीपी ओर भूखे पेट की पेंटाप्रोजल की दवाई नहीं मिली. दवा काउंटर पर नॉट अवेलेबल लिखकर दे दिया. इस कारण अब दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं.
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मरीज बंशीलाल सेवक ने बताया कि बीपी-शुगर के साथ ही चक्कर आने, जी घबराने की शिकायत है. निःशुल्क दवा काउंटर पर 3 दवाइयां दे दी, लेकिन एक गैस की दवाई नहीं होना बताकर भेज दिया. अब दवाई निजी मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ेगी. मरीज नवीन कोटेड ने बताया कि पेट दर्द की शिकायत पर डॉक्टर को दिखाने के बाद दवा लेने गया तो एक भी दवा नहीं मिली, जबकि डॉक्टर ने पर्ची पर 4 दवाएं लिखी थीं. उसे सभी दवा प्राइवेट स्टोर से खरीदनी होंगी. इसे लेकर पीएमओ डॉ कांतिलाल मेघवाल ने बताया कि जल्द ही दवाइयां उपलब्ध करवाई जाएंगी.