डूंगरपुर. शहर से महज 5 किलोमीटर की दुरी पर है मांडवा गांव. आजादी की 72 वी वर्षगांठ मना रहे देश के आदिवासी अंचल डूंगरपुर जिले में हर साल आने वाले करोड़ों के बजट के बाद भी ग्राम पंचायत मांडवा के लोगो की अंतिम यात्रा सुरक्षित नहीं है.
गांव के दाता एनीकट की तलहटी में शमशान घाट होने से बहते पानी में चलकर ग्रामीणों को शव यात्रा निकालनी पड़ती है. कमर और कंधे तक पानी में चलकर शव यात्रा को श्मशान तक पहुंचने में जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है उसकी बानगी आप तस्वीरों में देख सकते हैं. ऐसा भी नहीं है कि ग्रामीणों ने इस समस्या के समाधान की मांग नहीं उठाई. कई बार प्रशासन को गुहार लगाई गई, लेकिन समस्या जस की तस बने हुए हैं.
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लोगो ने बताया कि मांडवा ग्राम पंचायत में किसी की मौत हो जाये तो शव के अंतिम संस्कार के लिए शव यात्रा कहीं कंधे तो कहीं कमर तक बहती डिमिया नदी की विपरीत धारा को पार कर निकालनी पड़ती है. ये मुश्किलें तब और बढ़ जाती हैं. जब बारिश के मौसम में नदी में पानी का वेग बढ़ जाता है. नदी उफान पर आ जाती है. ऐसे में नदी से होकर शव ले जाने वालों की जान पर खतरा भी बढ़ जाता है.
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इतना ही नहीं एक बार शवयात्रा के दौरान यहां एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है. स्थानीय लोगो ने बताया कि साल 2006 में सरकार की अनदेखी के चलते शव यात्रा के दौरान एक व्यक्ति शवयात्रा के दौरान उफनती नदी में बह गया था. ऐसा खतरा हर बार मंडराता रहता है जब गांव में किसी मौत हो जाती है. जहां परिवार के लोग अपने सदस्य की मौत पर मातम मना रहे होते हैं. उससे भी भयानक स्थिति तब पेश आती है जब उसकी अंतिम यात्रा निकाली जाती है. अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन यहां के लोगो की इस समस्या को कब सुनता है और कब इसका समाधान किया जाता है.