आसपुर (डूंगरपुर). कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन है. ऐसे में गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों में रोजगार करने को गए युवा भी बेरोजगार होकर घर लोट आए हैं. इनके सामने आने वाले समय में रोजी-रोटी का संकट न हो, इस उद्देश्य से आठ वर्ष से अधिक समय से बंजर और नकारा पड़ी जमीन पर खेती करने का निर्णय लिया है. सभी एकजुट होकर अब गन्ने की खेती करने में जुटे हुए हैं.
8 साल से बेकार पड़ी है जमीन
हम बात कर रहे है जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के जसपुर झापका गांव की. यहां के बिगाड़ा जमीन हुलियाजसपुर गांव से सोम कमला आंबा की नहर गुजरती है. जिसके चलते में सीपेज की समस्या बनी रहती है. करीब 20 बीघा से अधिक जमीन बीते आठ सालों से बेकार पड़ी हुई थी.
पहले होती थी खेती
इससे पूर्व यहां पर खेती होती थी, लेकिन नहर में सीपेज अधिक हो जाने से जमीन दलदली हो गई व इसमें वनस्पती भी उग आई. कोरोना संक्रमण के चलते राज्य से बाहर रोजगार को गए लोगों को घरों में आने के बाद इन्हें इस भूमि की याद आई और सबने मिलकर बेकार पड़ी भूमि पर गन्ने की फसल लगाने का निर्णय लिया.
20 से 25 बीघा जमीन बंजर
पूर्व सरपंच रमेश मीणा बताते हैं कि नहर में सीपेज के चलते करीब 20 से 25 बीघा जमीन खाली पड़ी हुई थी. लॉकडाउन की वजह से गुजरात से 70 लोग परिवार सहित गांव लौटे हैं. इन सभी ने बैठक कर निर्णय लिया कि इस जमीन पर गन्ने की खेती की जाए.
राजेन्द्र मीणा कहते हैं कि हम परिवार सहित गांव के कई लोग गुजरात में मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. कोरोना वायरस की वजह से पिछले एक माहिने से सभी काम बंद पड़े हैं. ऐसे में हम सबने नकारा पड़ी जमीन पर खेती करने का निर्णय लिया है.
रमणलाल मीणा ने बताया कि सोम कमला आंबा की नहर से हमें बहुत ही आस थी, लेकिन नहर के धीरे-धीरे जर्जर होने और सीपेज के चलते कृषि भूमि बंजर हो गई. जिसके बाद हम सब खेती छोड़कर रोजगार के लिए गुजरात और महाराष्ट्र चले गए.