डूंगरपुर. कोरोना महामारी के कारण अन्य राज्यों से डूंगरपुर लौटे प्रवासियों को बेरोजगारी से बचाने के लिए वन विभाग की ओर से मनरेगा के तहत लगभग 9 करोड़ रुपये के कामों की मंजूरी मिली है. इससे प्रवासियों को रोजगार मिलेगा. इसके साथ ही जंगल भी सुरक्षित रहेंगे. पिछले 70 सालों में तबाह हुए जंगलों को संजीवनी बुटी भी मिलेगी. महाराष्ट्र और गुजरात जैसे ओद्योगिक राज्यों से डूंगरपुर लौटे हजारों लोगों को इससे सहारा मिलेगा है.
उपवन संरक्षक अपूर्वकृष्ण श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से मनरेगा के तहत कार्य शुरू करने का एक्शन प्लान तैयार कर लिया था. जिसमें जंगल को बचाने और उन्हें समृद्ध बनाने के लिए मनरेगा श्रमिकों के साथ प्रवासियों को रोजगार के माध्यम से जोड़ा गया है. मनरेगा योजना जिले के विभिन्न वनखंडों में 94 कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिसके तहत 8 करोड़ 95 लाख 3 हजार 861 रुपए के कार्य करवाएं जाएंगे.
बता दें कि इन योजनाओं के तहत जंगल की पक्की दीवार बनाई जा रही है. जिससे इंसान या पशुओं से वनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे. साथ ही कच्चे चेकडैम तैयार किये जा रहे हैं, जिससे बरसात का पानी जंगल में रोककर उससे भू-जल स्तर सुधारने में मदद मिलेगी. जंगल से आबोहवा के अनुरूप पनपने वाले पेड़ों के बीज संग्रहित करने जैसे कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
इन वनखंडों में स्वीकृत किए गए कार्य...
1. बिछीवाड़ा रेंज: 22 कार्य, 1 करोड़ 15 लाख रुपए
2. डूंगरपुर रेंज: 21 कार्य, 1 करोड़ 59 लाख 69 हजार 170 रुपए
3. आसपुर: रेंज 13 कार्य, 1 करोड़ 29 लाख 85 हजार 470 रुपए
4. सागवाड़ा रेंज: 15 कार्य, 1 करोड़ 31 लाख, 25 हजार 899 रुपए
5. सीमलवाड़ा रेंज: 16 कार्य, 1 करोड़ 57 लाख 85 हजार 257 रुपए
6. आंतरी रेंज: 11 कार्य , 2 करोड़, 1 लाख 38 हजार 65 रुपए
बहरहाल, वन विभाग ने तो नरेगा योजना के तहत प्रवासियों को जंगल और जंगल को प्रवासियों के लिए एक बार फिर निर्भर बनाने की योजना तैयार की है. सब कुछ ठीक रहा और प्रवासियों ने वन विभाग की योजना में रुचि दिखाई तो जल्द की डूंगरपुर के जंगल एक बार फिर समृद्ध होंगे. इसके साथ ही इन प्रवासियों के सामने आ रही बेरोजगारी की समस्या और काम के लिए अन्य राज्यों में पलायन में कमी आएगी.