डूंगरपुर. जिले में पिछले कुछ दिनों से 'जौहार' शब्द को लेकर राजनीतिक बहसबाजी जारी है. वहीं, इस बीच बहसबाजी में अब साधू, संत, मेट और कोतवाल भी उतर आए हैं. लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक सति सुरमालदास लसूड़िया धाम के अनुयायियों ने भी 'जौहार' शब्द का विरोध किया है. 'जौहार' शब्द का उच्चारण पिछले विधानसभा चुनावों में उभर कर आई बीटीपी की ओर से किया जाता है.
सती सुरमालदास धाम लसूड़िया डूंगरपुर जिले के अनुयायियों, भक्तों, संत, मेट और कोतवाली की बैठक में लसूड़िया धाम के महंत विक्रमदास महाराज ने शिरकत की. महाराज ने बैठक में मौजूद भक्तों से कहा कि पिछले कुछ दिनों से एक पार्टी (बीटीपी) के लोग जनजाति क्षेत्र में लोगों को गुमराह कर रहे हैं. देवी-देवताओं के मंदिर, धाम को निशाना बनाकर ध्वज उतार रहे हैं और अपनी पार्टी का ध्वज लगा रहे हैं. पिछले दिनों सोनार माता मंदिर पर उन लोगों ने माता की ध्वज उतारकर मंदिर के पुजारी से मारपीट तक की थी.
पढ़ेंः जयपुरः बेरोजगार हुए पर्यटक गाइड अभ्यर्थी, 10 साल से काट रहे विभाग के चक्कर
महाराज ने कहा कि जनजाति क्षेत्र में आदिवासी समुदाय ही नहीं अपितु सभी जातियां मिलजुलकर रहती हैं, लेकिन वे लोग क्षेत्र में जातिगत वैमनस्यता फैला रहे हैं. आदिवासी समुदाय पीढ़ियों से अभिवादन शब्द के रूप में 'जय गुरु महाराज, जय सीताराम, राम-राम' कहते आया है, लेकिन वे लोग यहां के आदिवासियों को 'जौहार' शब्द बोलने को कह रहे हैं. जो की कभी यहां का अभिवादन शब्द था ही नहीं.
महाराज ने कहा कि वे लोग क्षेत्र में धार्मिक आस्था पर प्रहार करते हुए लाखों भक्तों की आस्था पर ठेस पंहुचा रहे हैं. सती सुरमालदास के भक्त, संतो और अनुयायियों ने राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर क्षेत्र ने धार्मिक आस्था के मंदिर और जातिगत वैमनस्यता फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.