डूंगरपुर. राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना की शुरुआत की गई. जिसके तहत जिला अस्पताल लैब टेक्नीशियन व सहायक की नियुक्ति की गई. बता दें कि अब इन लोगों को अपनी नौकरी जाने का खतरा महसूस हो रहा है.
दरअसल, इस योजना के शुरुआत होने पर जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में लैब टेक्नीशियन व सहायक की नियुक्ति की गई. जिससे लोगों को जांच योजना का फायदा मिलना था. इसके बाद राज्य में पैरा मेडिकल काउंसिल के गठन किया गया और लैब टेक्नीशियन के लिए कौंसिल के मान्यता को अनिवार्य कर दिया गया.
निशुल्क जांच योजना में लगे कार्मिकों ने बताया कि जब योजना की शुरूआत हुई तब यह अनिवार्य नहीं था. इस कारण 2013 से वे अपनी सेवाएं देते आ रहे है. उनकी नियुक्ति के समय ठेका पद्धति से उन्हें आरएमआरएस में समायोजित कर दिया गया.
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लैब तकनीशियनों ने बताया कि पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में यूटीबी पर कार्यरत 17 टेक्नीशियनों को पैरामेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण निकाल दिया गया है. ऐसे में निशुल्क जांच योजना में कार्यरत लैब तकनीशियनों और सहायकों में भी अपनी नौकरी को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में निशुल्क जांच योजना के कार्मिकों ने नौकरी बचाने के लिए प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य व सरकार से गुहार लगाई है.