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डूंगरपुर: मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में लगे कार्मिकों ने लगाई नौकरी बचाने की गुहार

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Published : Jan 19, 2020, 3:43 PM IST

मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के तहत अस्पतालों में कार्यरत लैब टेक्नीशियन और लैब सहायकों को अब अपनी नौकरी जाने का खतरा महसूस हो रहा है. यही कारण है कि वे सरकार से अपनी नौकरी बचाने की गुहार लगा रहे हैं.

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मुख्यमंत्री जांच योजना में लगे कर्मियों को सता रहा नौकरी जाने का डर

डूंगरपुर. राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना की शुरुआत की गई. जिसके तहत जिला अस्पताल लैब टेक्नीशियन व सहायक की नियुक्ति की गई. बता दें कि अब इन लोगों को अपनी नौकरी जाने का खतरा महसूस हो रहा है.

मुख्यमंत्री जांच योजना में लगे कर्मियों को सता रहा नौकरी जाने का डर

दरअसल, इस योजना के शुरुआत होने पर जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में लैब टेक्नीशियन व सहायक की नियुक्ति की गई. जिससे लोगों को जांच योजना का फायदा मिलना था. इसके बाद राज्य में पैरा मेडिकल काउंसिल के गठन किया गया और लैब टेक्नीशियन के लिए कौंसिल के मान्यता को अनिवार्य कर दिया गया.

निशुल्क जांच योजना में लगे कार्मिकों ने बताया कि जब योजना की शुरूआत हुई तब यह अनिवार्य नहीं था. इस कारण 2013 से वे अपनी सेवाएं देते आ रहे है. उनकी नियुक्ति के समय ठेका पद्धति से उन्हें आरएमआरएस में समायोजित कर दिया गया.

यह भी पढ़ें. राजस्थान री आस: आम बजट 2020 से युवाओं, छात्रों और अभिभावकों को ये हैं उम्मीदें

लैब तकनीशियनों ने बताया कि पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में यूटीबी पर कार्यरत 17 टेक्नीशियनों को पैरामेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण निकाल दिया गया है. ऐसे में निशुल्क जांच योजना में कार्यरत लैब तकनीशियनों और सहायकों में भी अपनी नौकरी को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में निशुल्क जांच योजना के कार्मिकों ने नौकरी बचाने के लिए प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य व सरकार से गुहार लगाई है.

डूंगरपुर. राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना की शुरुआत की गई. जिसके तहत जिला अस्पताल लैब टेक्नीशियन व सहायक की नियुक्ति की गई. बता दें कि अब इन लोगों को अपनी नौकरी जाने का खतरा महसूस हो रहा है.

मुख्यमंत्री जांच योजना में लगे कर्मियों को सता रहा नौकरी जाने का डर

दरअसल, इस योजना के शुरुआत होने पर जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में लैब टेक्नीशियन व सहायक की नियुक्ति की गई. जिससे लोगों को जांच योजना का फायदा मिलना था. इसके बाद राज्य में पैरा मेडिकल काउंसिल के गठन किया गया और लैब टेक्नीशियन के लिए कौंसिल के मान्यता को अनिवार्य कर दिया गया.

निशुल्क जांच योजना में लगे कार्मिकों ने बताया कि जब योजना की शुरूआत हुई तब यह अनिवार्य नहीं था. इस कारण 2013 से वे अपनी सेवाएं देते आ रहे है. उनकी नियुक्ति के समय ठेका पद्धति से उन्हें आरएमआरएस में समायोजित कर दिया गया.

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लैब तकनीशियनों ने बताया कि पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में यूटीबी पर कार्यरत 17 टेक्नीशियनों को पैरामेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण निकाल दिया गया है. ऐसे में निशुल्क जांच योजना में कार्यरत लैब तकनीशियनों और सहायकों में भी अपनी नौकरी को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में निशुल्क जांच योजना के कार्मिकों ने नौकरी बचाने के लिए प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य व सरकार से गुहार लगाई है.

Intro:डूंगरपुर। मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना के तहत अस्पतालों में कार्यरत लेब टेक्नीशियन व लेब सहायकों को अब अपनो नोकरी जाने का खतरा महसूस हो रहा है, यही कारण है कि वे सरकार से अपनी नोकरी बचाने की गुहार लगा रहे है। Body:राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना की शुरुआत की गई। इस दौरान जिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी में लैब टेक्नीशियन व सहायक की नियुक्ति की गई, जिससे लोगों को जांच योजना का फायदा मिला। इसके बाद राज्य में पैरा मेडिकल काउंसिल के गठन किया गया और लैब टेक्नीशियन के लिए कौंसिल के मान्यता को अनिवार्य कर दिया गया। निःशुल्क जांच योजना में लगे कार्मिकों ने बताया कि जब योजना की शुरूआत हुई तब यह अनिवार्य नहीं था। इस कारण 2013 से वे अपनी सेवाएं देते आ रहे है। उनकी नियुक्ति के समय ठेका पद्धति से उन्हें आरएमआरएस में समायोजित कर दिया गया।
लैब तकनीशियनों ने बताया कि पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में यूटीबी पर कार्यरत 17 टेक्नीशियनों को पैरामेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण निकाल दिया गया है। ऐसे में निःशुल्क जांच योजना में कार्यरत लैब तकनीशियनों व सहायकों में भी अपनी नोकरी को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे है। ऐसे में निःशुल्क जांच योजना के कार्मिकों ने नोकरी बचाने के लिए प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य व सरकार से गुहार लगाई है।

बाईट- राजेश, लैब टेक्नीशियनConclusion:
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