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डूंगरपुरः 700 साल पुराने ऐतिहासिक नगर के प्रवेश द्वार का पुरातात्विक पद्धति से होगा जीर्णोद्धार

रियासतकाल में डूंगरपुर नगर के सुरक्षा प्रहरी की भूमिका निभाने वाले ऐतिहासिक नगर प्रवेश द्वारों की अब सुध ली जा रही है. इन प्रवेश द्वारों का जीर्णोद्धार करने का नगर परिषद ने बीड़ा उठाया है.

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Published : Nov 13, 2019, 5:05 PM IST

डूंगरपुर. नगर के प्रवेश द्वारों की अब नगर परिषद द्वारा सुध ली जा रही है. बता दें कि नगर की स्थापना को 700 साल हो चुके हैं और इनके साथ ही इन प्रवेश द्वारों का निर्माण भी करवाया गया था, लेकिन अब ये प्रवेश द्वार ढलते दिनों के साथ जर्जर होते जा रहे हैं.

700 साल पुराने ऐतिहासिक नगर के प्रवेश द्वार का पुरातात्विक पद्धति से होगा जीर्णोद्वार

नगर परिषद सभापति केके गुप्ता ने बताया कि करीब 700 साल पहले डूंगरपुर नगर की स्थापना के साथ तत्कालीन शासकों ने नगर की सुरक्षा के लिए परकोटा और प्रवेश द्वार बनवाए थे, जो कालांतर में जर्जर हो गए हैं. ये प्रवेश द्वार स्थापत्य और वास्तु कला के बेजोड़ नमूने हैं और इन्हें अब संरक्षण की जरूरत है. वहीं, नगर की इन ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए अब नगर परिषद आगे आया है.

पढ़ेंः डूंगरपुर: नवजात बच्चे को जन्म देकर पुलिया के नीचे छोड़ गई निर्दयी मां

सभापति केके गुप्ता ने 31 लाख रुपये स्वीकृत कर पुराने शहर में स्थित कान्हड़ पोल (कानेरा पोल) और चांदपोल दरवाजों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है. इसके साथ ही दोनों ही दरवाजों के लिए कार्यादेश भी जारी कर दिए हैं. गुप्ता ने बताया कि पुरातत्व विशेषज्ञों की देखरेख और उनके निर्देशन में कुशल कारीगरों के द्वारा जीर्णोद्धार का कार्य किया जाएगा, ताकि इन धरोहरों को मूल स्वरूप में वापस लाया जा सके. बता दें कि नगरपरिषद की ओर से इससे पहले जज साहब का दरवाजा का भी जीर्णोद्धार किया गया है.

डूंगरपुर. नगर के प्रवेश द्वारों की अब नगर परिषद द्वारा सुध ली जा रही है. बता दें कि नगर की स्थापना को 700 साल हो चुके हैं और इनके साथ ही इन प्रवेश द्वारों का निर्माण भी करवाया गया था, लेकिन अब ये प्रवेश द्वार ढलते दिनों के साथ जर्जर होते जा रहे हैं.

700 साल पुराने ऐतिहासिक नगर के प्रवेश द्वार का पुरातात्विक पद्धति से होगा जीर्णोद्वार

नगर परिषद सभापति केके गुप्ता ने बताया कि करीब 700 साल पहले डूंगरपुर नगर की स्थापना के साथ तत्कालीन शासकों ने नगर की सुरक्षा के लिए परकोटा और प्रवेश द्वार बनवाए थे, जो कालांतर में जर्जर हो गए हैं. ये प्रवेश द्वार स्थापत्य और वास्तु कला के बेजोड़ नमूने हैं और इन्हें अब संरक्षण की जरूरत है. वहीं, नगर की इन ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए अब नगर परिषद आगे आया है.

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सभापति केके गुप्ता ने 31 लाख रुपये स्वीकृत कर पुराने शहर में स्थित कान्हड़ पोल (कानेरा पोल) और चांदपोल दरवाजों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है. इसके साथ ही दोनों ही दरवाजों के लिए कार्यादेश भी जारी कर दिए हैं. गुप्ता ने बताया कि पुरातत्व विशेषज्ञों की देखरेख और उनके निर्देशन में कुशल कारीगरों के द्वारा जीर्णोद्धार का कार्य किया जाएगा, ताकि इन धरोहरों को मूल स्वरूप में वापस लाया जा सके. बता दें कि नगरपरिषद की ओर से इससे पहले जज साहब का दरवाजा का भी जीर्णोद्धार किया गया है.

Intro:डूंगरपुर। रियासतकाल में डूंगरपुर नगर के सुरक्षा प्रहरी की भूमिका निभाने वाले ऐतिहासिक नगर प्रवेश द्वारों की अब सुध ली जा रही है। इन प्रवेश द्वारों का जीर्णोद्धार करने का बीड़ा अब नगर अपरिषद ने उठाया है।Body:आपको बता दे कि डूंगरपुर स्थापना के 738 साल हो चुके है ओर नगर की स्थापना के साथ ही इन प्रवेश द्वार का निर्माण भी करवाया गया था, लेकिन अब यह प्रवेश द्वार जर्जरहाल हो रहे है।
नगर परिषद सभापति केके गुप्ता ने बताया कि करीब 700 साल पहले डूंगरपुर नगर की स्थापना के साथ तत्कालीन शासको ने नगर की सुरक्षा के लिए परकोटा ओर प्रवेश द्वार बनवाए थे जो कालांतर में जर्जर हो गए है। यह प्रवेश द्वार स्थापत्य ओर वास्तु कला के बेजोड़ नमूने है और इन्हें अब संरक्षण की जरूरत है। डूंगरपुर नगर की इन ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए अब नगर अपरिषद आगे आई है। सभापति केके गुप्ता ने 31 लाख रुपये स्वीकृत कर पुराने शहर में स्थित कान्हड़ पोल (कानेरा पोल) ओर चांदपोल दरवाजो के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है। इसके साथ ही दोनों ही दरवाजो के लिए कार्यादेश भी जारी कर दिए है। गुप्ता ने बताया कि पुरातत्व विशेषज्ञों की देखरेख ओर उनके निर्देशन में कुशल कारीगरो के द्वारा जीर्णोद्धार का कार्य किया जाएगा ताकि पूरा महत्व की इन धरोहरों का मूल स्वरूप में वापस लाया जा सके। आपको बता दे कि नगरपरिषद की ओर से इससे पहले जज साहब का दरवाजा का भी जीर्णोद्धार किया गया है।

बाईट- केके गुप्ता, सभापति नगर परिषद डूंगरपुरConclusion:
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