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कमाल का सरकारी स्कूल: शिक्षक दंपति का नवाचार बच्चों को आया रास, खेल-खेल में पढ़ाई और खुद का बैंक भी

डूंगरपुर में एक ऐसा कमाल का सरकारी स्कूल है. जहां स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए खुद का बैंक भी है. यहां पढ़ने वाले बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई करते है. जो यहां के छात्रों को बहुत रास आती है. ये स्कूल है राजकीय प्राथमिक स्कूल भिलवटा. इस स्कूल में कभी बच्चों की संख्या 5 हुआ करती थी. लेकिन आज यहां दूर-दूर से पढ़ने के लिए आ रहे है. और ये सब बदला 2013 में यहां पढ़ाने के लिए आए शिक्षक दंपति ने, देखिए डूंगरपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

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डूंगरपुर से भिलवटा स्कूल में बच्चों का बैंक
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Published : Feb 12, 2020, 12:59 PM IST

डूंगरपुर. सरकारी योजनाओं की सोच से कहीं आगे चलने वाला जिले का राजकीय प्राथमिक स्कूल भिलवटा इन दिनों सुर्खियों में है. स्कूल के शिक्षक दंपति के पढ़ाने की तकनीक से यह स्कूल अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. यहां अन्य स्कूलों के बच्चे भी टीसी लेकर इस अनोखे स्कूल में दाखिला ले रहे हैं.

जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर ऊंचे पहाड़ पर बना राजकीय प्राथमिक विद्यालय भिलवटा में कभी बच्चे पढ़ने के लिए आया नहीं करते थे. उसका कारण था स्कूल के ऊंचे पहाड़ पर होना और यहां तक पहुंचने के लिए खराब रास्ता, जिससे परेशान बच्चे यहां एडमिशन लेने से कतराते थे. कभी साल 2013 में यहां के छात्रों की संख्या महज 5 थी, तब शिक्षक दीपक और उनकी पत्नी दीपिका पंड्या की नियुक्ति इस स्कूल में हुई. उस समय स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ाने और क्षेत्र के बच्चों को स्कूल की तरफ आकर्षित करने के लिए शिक्षक दंपति ने कई एक नवाचार किये.

डूंगरपुर से भिलवटा स्कूल में बच्चों का बैंक

पढ़ें- राजस्थान का ये बेमिसाल सरकारी स्कूल, जहां पानी की जहाज में बैठकर पढ़ते हैं बच्चे

खेल-खेल में बच्चों की हो रही पढ़ाई

शिक्षक दीपक और उनकी पत्नी दीपिका ने चाइल्ड साइकॉलोजी के हिसाब से पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए खुद ही रिसर्च की. फिर कक्षा 5 तक के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना शुरू कर दिया. पढ़ाई का तरीका बच्चों को इतना रोचक लगा कि अब स्कूल में नामांकन 58 तक पहुंच गया. इस नवाचार के लिए जो खर्चा आया, वो भी शिक्षक दंपति ने खुद ही अपनी जेब से भरा. खेल-खेल में पढ़ाई से बच्चों को जल्दी समझने में आने लगा.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस सरकारी स्कूल में बच्चों के पोषाहार के लिए 'मास्टरजी' उगाते हैं ऑर्गेनिक सब्जियां

जिसके चलते भिलवटा स्कूल के बच्चों का शैक्षिक स्तर भी अन्य सरकारी स्कूल के बच्चों से अच्छा है. परिस्थितियां अब इस कदर बदल चुकी है कि अन्य स्कूलों के बच्चे भी टीसी लेकर भिलवटा स्कूल में दाखिला लेकर पढ़ने ऑटो से पहुंचते है. यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार और सामाजिक जीवन की अच्छी बातें भी सिखाई जाती हैं. इसके अलावा यहां स्कूल भी तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है.

पढ़ें- Special : चूरू की इस स्कूल में हर दिन सेलिब्रेट होते हैं 'स्पेशल डे', जानिए

स्कूल में बच्चों का अपना बैंक, जहां बच्चे करते है बचत

इस स्कूल को और अनोखा बनाती है यहां के बच्चों के खुद का बैंक. स्कूल में बच्चों का एक बैंक भी है, जिसमें बच्चे बचत का पैसा जमा करते हैं. फिलहाल इस बैंक में करीब 30 हजार रुपए जमा है. इसी रकम से बच्चे होली, दीवाली पर ड्रेस भी लेते हैं. वहीं बीमार होने पर इनके इलाज के लिए भी बैंक से राशि दी जाती है, जिससे बच्चों के परिवार पर भार ना पड़े. यह रकम इन्हीं बच्चों ने पॉकेट मनी से इकट्ठी की गई हैं.

डूंगरपुर. सरकारी योजनाओं की सोच से कहीं आगे चलने वाला जिले का राजकीय प्राथमिक स्कूल भिलवटा इन दिनों सुर्खियों में है. स्कूल के शिक्षक दंपति के पढ़ाने की तकनीक से यह स्कूल अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. यहां अन्य स्कूलों के बच्चे भी टीसी लेकर इस अनोखे स्कूल में दाखिला ले रहे हैं.

जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर ऊंचे पहाड़ पर बना राजकीय प्राथमिक विद्यालय भिलवटा में कभी बच्चे पढ़ने के लिए आया नहीं करते थे. उसका कारण था स्कूल के ऊंचे पहाड़ पर होना और यहां तक पहुंचने के लिए खराब रास्ता, जिससे परेशान बच्चे यहां एडमिशन लेने से कतराते थे. कभी साल 2013 में यहां के छात्रों की संख्या महज 5 थी, तब शिक्षक दीपक और उनकी पत्नी दीपिका पंड्या की नियुक्ति इस स्कूल में हुई. उस समय स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ाने और क्षेत्र के बच्चों को स्कूल की तरफ आकर्षित करने के लिए शिक्षक दंपति ने कई एक नवाचार किये.

डूंगरपुर से भिलवटा स्कूल में बच्चों का बैंक

पढ़ें- राजस्थान का ये बेमिसाल सरकारी स्कूल, जहां पानी की जहाज में बैठकर पढ़ते हैं बच्चे

खेल-खेल में बच्चों की हो रही पढ़ाई

शिक्षक दीपक और उनकी पत्नी दीपिका ने चाइल्ड साइकॉलोजी के हिसाब से पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए खुद ही रिसर्च की. फिर कक्षा 5 तक के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना शुरू कर दिया. पढ़ाई का तरीका बच्चों को इतना रोचक लगा कि अब स्कूल में नामांकन 58 तक पहुंच गया. इस नवाचार के लिए जो खर्चा आया, वो भी शिक्षक दंपति ने खुद ही अपनी जेब से भरा. खेल-खेल में पढ़ाई से बच्चों को जल्दी समझने में आने लगा.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस सरकारी स्कूल में बच्चों के पोषाहार के लिए 'मास्टरजी' उगाते हैं ऑर्गेनिक सब्जियां

जिसके चलते भिलवटा स्कूल के बच्चों का शैक्षिक स्तर भी अन्य सरकारी स्कूल के बच्चों से अच्छा है. परिस्थितियां अब इस कदर बदल चुकी है कि अन्य स्कूलों के बच्चे भी टीसी लेकर भिलवटा स्कूल में दाखिला लेकर पढ़ने ऑटो से पहुंचते है. यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार और सामाजिक जीवन की अच्छी बातें भी सिखाई जाती हैं. इसके अलावा यहां स्कूल भी तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है.

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स्कूल में बच्चों का अपना बैंक, जहां बच्चे करते है बचत

इस स्कूल को और अनोखा बनाती है यहां के बच्चों के खुद का बैंक. स्कूल में बच्चों का एक बैंक भी है, जिसमें बच्चे बचत का पैसा जमा करते हैं. फिलहाल इस बैंक में करीब 30 हजार रुपए जमा है. इसी रकम से बच्चे होली, दीवाली पर ड्रेस भी लेते हैं. वहीं बीमार होने पर इनके इलाज के लिए भी बैंक से राशि दी जाती है, जिससे बच्चों के परिवार पर भार ना पड़े. यह रकम इन्हीं बच्चों ने पॉकेट मनी से इकट्ठी की गई हैं.

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