डूंगरपुर. गरीबों को दो वक्त की रोटी के लिए रोजगार की गारंटी मिले और गांवों का विकास हो, इसी उद्देश्य से लागू की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में यह योजना ग्रामीणों के लिए रोजगार की नहीं बल्कि सरपंच व ग्राम विकास अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार की योजना बन गई है.
मामला डूंगरपुर जिले की पंचायत समिति चीखली की ग्राम पंचायत अंबाड़ा में साल 2018 में स्वीकृत 13.67 लाख रुपए की सड़क का है. यह सड़क आज तक नहीं बन सकी है जबकि ग्रामीणों की माने तो इसके निर्माण के लिए स्वीकृत राशि को पूर्व सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी व तकनीकी अधिकारियों ने हड़प ली है.
जिले की चिखली पंचायत समिति की ग्राम पंचायत अंबाड़ा ग्राम पंचायत अंबाड़ा में मनरेगा योजना में गौतम वेला के घर से बापू वालजी के घर तक सड़क मय पुलिया निर्माण का कार्य वर्ष साल 2018 में 13.67 लाख रुपये में स्वीकृत हुआ था. स्थानीय परिवारों को मजदूरी से जोड़ना था और इसके लिए श्रम मद में 8.37 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे.
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वहीं मैटीरियल मद में 5 लाख 30 हजार रुपए स्वीकृत किए थे. काम स्वीकृत होने के बाद ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब उनका सड़क का सपना साकार होगा, लेकिन पंचायत के पूर्व सरपंच व तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी ने बिना काम करवाए उस राशि की आपस में ही बंदरबांट कर ली. आज तक वहां सड़क नहीं बनी और जहां सड़क प्रस्तावित थी वहां घने जंगल के बीच एक पगडंडी ही है. ग्रामीण इसी पथरीली और कंटीली पगडंडी से आने जाने को मजबूर हैं.
सरपंच की शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
इस मामले में अम्बाड़ा पंचायत के सरपंच नवीन का कहना है कि पंचायत का कामकाज संभालने के बाद ग्रामीणों ने मौके पर सड़क बनाने की मांग रखी थी. इसके बाद उन्हें पता चला कि मौके पर पहले ही सड़क स्वीकृत हो चुकी है और कागजों में तैयार कर उसकी रकम उठा ली गई है। सरपंच ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर, जिला परिषद, पंचायत समिति और पुलिस सभी से की लेकिन तत्कालीन सरपंच, सचिव और जेटीए के प्रभाव के चलते आज तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है.
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प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल
बहराल डूंगरपुर जिले की अम्बाड़ा पंचायत अब भ्रष्टाचार की पर्याय बनती जा रही है. पहले पंचायत की ओर से पीएम आवास योजना में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. वहीं अब पंचायत में मनरेगा योजना के कार्य में गबन करने का प्रकरण आया है. वर्तमान सरपंच ने मामले की शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग भी प्रशासन से की थी लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में नो टोलरेंस रखने वाली राज्य सरकार के डूंगरपुर जिला प्रशासन ने कार्रवाई तो दूर की बात मामले में जांच तक करवाना मुनासिब नहीं समझा. नतीजा ग्रामीण आज भी पथरीली और कंटीली पगडंडी से आने-जाने को मजबूर हैं.