डूंगरपुर. कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में कुल कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 2 लाख के पार पहुंच गया है. सभी सरकारी अस्पताल भी फुल कैपिसिटी पर चल रहे हैं. प्रत्येक अस्पताल में कोरोना वार्ड बनाया हुआ है. जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जाता है. कैसे हैं इन कोरोना वार्डों के हालात, किस तरह से डॉक्टर मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. मरीजों का क्या कहना है कोरोना वार्ड में मिलने वाली सुविधाओं पर ये सब जानने ईटीवी भारत की टीम डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में पहुंची.
जिला अस्पताल में बनाया गया है कोरोना वार्ड
डूंगरपुर की बात करें तो अब तक कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3500 के पार पहुंच गई है. वहीं तीन दर्जन से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के जिला कोविड अस्पताल में अभी 20 कोरोना पॉजिटिव भर्ती हैं. कोरोना वार्ड में 17 और 3 गंभीर मरीजों को आईसीयू में भर्ती किया गया है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर कोरोना जांच की सुविधा है, जहां पहले मरीजों का पंजीयन, ऑनलाइन ओर फिर कोरोना टेस्ट किया जाता है.
पढे़ं: Special: खास है जयपुर का 'पेपर मैन', भारतीय परंपरा को पुनः जीवित करने के लिए घूम रहा पूरा विश्व
कोरोना वार्ड के साथ में अटैच हैं बाथरूम
जांच के दूसरे दिन ऑनलाइन रिपोर्ट आती है. इसी परिसर में फर्स्ट फ्लोर पर नेगेटिव वार्ड के साथ ही दूसरी विंग के मेडिकल कॉलेज प्राचार्य और अधीक्षक का कार्यालय हैं. कोविड अस्पताल के दूसरे फ्लोर पर कोरोना पॉजिटिव वार्ड बना हुआ है. जहां मरीजों को भर्ती करने के लिए करीब 300 बेड लगे हुए हैं. जहां मरीजों को भर्ती किया है वहां पर्सनल रूम भी है. इन वार्डो में अटैच लेट बाथ भी हैं. इसके अलावा जनरल वार्ड में कॉमन लेटबाथ की सुविधा है.
प्रत्येक वार्ड में 2 बार आती है डॉक्टरों की टीम
कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों को लेकर डॉक्टरों की टीम पूरी सतर्कता बरत रही है. 24 घंटे मरीजों के देखभाल के लिए डॉक्टर की टीम अस्पताल में रहती है. कोरोना वार्ड के इंचार्ज डॉ. आजेश डामोर ने बताया कि जितने भी चिकित्साकर्मी कोरोना वार्ड में मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं वो सब पीपीई किट पहन कर रखते हैं. टीम की तरफ से हर मरीज का नियमित अंतराल पर चैकअप किया जाता है. अगर उन्हें कोई तकलीफ हो तो मरीज का तापमान और पल्स की जांच कर दवाइयां दी जाती हैं.
दिन में दो बार होती है संक्रमित मरीज की जांच
डॉ. आजेश डामोर ने बताया कि पूरी टीम दिन-रात कोरोना मरीजों की देखभाल में जी जान से जुटी हुई है. डॉक्टरों की टीम की तरफ से किसी भी तरह की कोताही चेकअप और इलाज में नहीं बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ के लिए दोहरी लड़ाई लड़ने जैसा है. ड्यूटी पर जब वो होते हैं तो उन्हें ख्याल रखना होता है कि किसी भी कोरोना मरीज को कोई तकलीफ ना हो और जब वो घर जाते हैं तो उन्हें खुद भी कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना पड़ता है, ताकी परिवार को कोई दूसरा सदस्य संक्रमित ना हो जाए.
पढे़ं: Special: फ्रंटलाइन हेल्थ वॉरियर्स आशा वर्कर्स की अनदेखी कर रही सरकार, न्यूनतम मानदेय की दरकार
ड्यूटी और जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं चिकित्साकर्मी
डामोर ने बताया कि उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं और घर पर एक छोटी बच्ची है. ऐसे में उन दोनों को एहतियात रखना पड़ता है कि कहीं बच्ची संक्रमित ना हो जाए. इसलिए वो घर पर प्रोपर मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं. कोरोना में परिवार और अस्पताल के बीच सामंजस्य बैठाना काफी मुश्किल का काम है लेकिन सभी डॉक्टर्स और चिकित्साकर्मी अपनी ड्यूटी और जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. कोरोना पॉजिटिव मरीजों का चौथे दिन फिर से सैंपल लिया जाता है.
घर जैसा है कोरोना वार्ड का माहौल
जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों ने बताया कि यहां का माहौल काफी अच्छा है. खाने से लेकर साफ-सफाई तक पूरी व्यवस्था है. मरीजों ने बताया कि भर्ती होते ही उन्हें दवाइयों के साथ ही अलग बेड शीट भी मिल जाती है. दो बार डॉक्टर व नर्सिंगकर्मी खुद वार्ड में राउंड कर हालत जानते हैं अगर कोई इमरजेंसी हो तो तत्काल डॉक्टर्स की टीम आ जाती है.
साफ-सफाई और खाने की है उत्तम व्यवस्था
कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों ने बताया कि सफाई के लिए रोजाना सुबह कर्मचारी आते हैं. वार्ड में झाडू और पोछा लगाया जाता है. कचरा उठाने का भी पुख्ता प्रबंध है. इसके साथ ही मरीजों को पीने के लिए आरओ का शुद्ध पानी दिया जाता है. प्रत्येक मरीज के पास अलग से कैन रखा जाता है. मरीजों के खाने की भी यहां खास व्यवस्था की गई है. सुबह होते ही चाय और नाश्ता वार्ड में आ जाता है और दोपहर करीब 1 बजे लंच के लिए खाना आता है. जिसमें 2 सब्जी, दाल, सलाद, 5 रोटियां, चावल और नींबू दिया जाता है. शाम को 4 बजे चाय और बिस्किट ओर फिर रात में 8 बजे डिनर के लिए खाना आता है. कोरोना वार्ड में मिलने वाले खाने की क्वालिटी भी काफी अच्छी है.
डॉक्टरों की अपील- मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें
डॉक्टरों का कहना है कि जब तक दवाई नहीं आ जाती तब तक कोरोना से बचाव ही सबसे अच्छा उपचार है. इसके लिए लोगों को सतर्क रहने और सरकार की तरफ से जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की जरूरत है. नियमित मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें साथ ही भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. इससे काफी हद तक कोरोना से बचा जा सकता है.