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BTP लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है, पार्टी से जिसने सांसद का चुनाव लड़ा वही करवा रहे भूचाल: रमेश भाई वसावा

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Published : Aug 22, 2021, 9:54 AM IST

Updated : Aug 22, 2021, 10:02 AM IST

भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी का प्रदेश प्रवक्ता बनाने और उनके बयान से बीटीपी में विवाद बढ़ता जा रहा है. अब बीटीपी के राजस्थान प्रभारी रमेश भाई वसावा ने कांति भाई आदिवासी पर पलटवार किया है.

Rajasthan BJP, Rajasthan Congress
रमेश भाई वसावा

डूंगरपुर. भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में घमासान मच गया है. पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी में शामिल करने के बाद से उपजा विवाद अब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच गया है. इसके बाद अब पार्टी के शीर्ष नेता और स्थानीय पदाधिकारियों के बीच भी घमासान शुरू हो गया है.

पढ़ें- BTP का संग्राम थमा नहीं...अब सोशल मीडिया पर पदाधिकारियों से पूछे जाने लगे हैं सवाल?

बीटीपी से डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लोकसभा प्रत्याशी रहे और प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य कांति भाई आदिवासी के सोशल मीडिया पर डाले गए एक पोस्ट से मामला बढ़ गया है. कांति भाई आदिवासी ने राजस्थान में आए भूचाल के लिए केंद्रीय नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रदेश प्रभारी पर खेमेबाजी के आरोप लगाए थे. इस पर बीटीपी के राजस्थान प्रभारी रमेश भाई वसावा ने पलटवार किया है.

BTP लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है

रमेश भाई वसावा ने कांति भाई आदिवासी के सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान में भूचाल उन लोगों में आया है जो इसके जिम्मेदार हैं. भूचाल लाने का प्रयास जो लोग कर रहे थे उन लोगों में ही अब भूचाल आ गया है, जबकि पार्टी या आदिवासी परिवार में कोई भूचाल नहीं है. पार्टी और आदिवासी परिवार आज भी अच्छी तरह से काम कर रहा है, लेकिन कई स्वार्थी लोग अपना एक पैर कांग्रेस में रखते हैं और दूसरा पैर बीटीपी में रखते हैं.

बीटीपी लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है

प्रदेश प्रभारी रमेश भाई वसावा ने बीटीपी को राजस्थान में लीज पर लाने के बयानों की कड़े शब्दों में निंदा की. उन्होंने कहा कि बीटीपी में रहते हुए वे लोग आज पार्टी को लीज पर लाने जैसे बयान दे रहे हैं. लीज का मतलब किराए पर लाना होता है और कभी कोई पार्टी लीज पर नहीं मिलती. बीटीपी लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है. उन्होंने कहा कि लीज पर खान या खदान मिलती है, जहां से पत्थर, मार्बल जितना चाहे उतना निकालो ओर फिर खत्म हो जाए तो उसे छोड़ दो. वे स्वार्थी लोग इसी तरह पार्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनका पार्टी की रीति-नीति से कोई लेना-देना नहीं है.

जिसने सांसद का चुनाव लड़ा वही करवा रहा खेमेबाजी

रमेश भाई वसावा ने बीटीपी में खेमेबाजी के लिए इशारों ही इशारों में कांति भाई आदिवासी को जिम्मेदार बताया. कांति भाई बीटीपी से लोकसभा क्षेत्र डूंगरपुर-बांसवाड़ा के प्रत्याशी भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि बीटीपी राजस्थान में आदिवासियों की रक्षा के लिए, उनके हित-अधिकार के लिए, युवाओं का नेतृत्व मजबूत करने के लिए, नए नेतृत्व की खोज के काम कर रही है.

पढ़ें- विधायकों का सोशल मीडिया वॉरः बीटीपी विधायक ने कांग्रेस विधायक को खुद का घर संभालने की दी नसीहत

बीटीपी आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार और एजुकेशन के खिलाफ लड़ रही है न कि पार्टी लीज पर है. उन्होंने कहा कि बीटीपी के लिए लीज शब्द का इस्तेमाल करने वाले स्वार्थी लोग हैं और उन लोगों को हमने देखा है. हमारी ही पार्टी में बीटीपी से सांसद का चुनाव भी लड़ चुके हैं, वही लोग अशोक गहलोत के पास समर्थन देने पंहुच गए थे. वे लोग बताएं कि क्यों गए थे और किसे लेकर गए थे. इससे साफ है कि पार्टी में खेमेबाजी करने वाले लोग कौन हैं. उनकी इन हरकतों को आज का युवा समझ चुका है.

केंद्रीय नेतृत्व पर खड़े किए थे सवाल

बता दें, बीटीपी से सांसद प्रत्याशी रहे रोत कांति भाई आदिवासी ने फेसबुक पोस्ट कर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने बीटीपी के प्रदेश निर्णय कमेटी की बिना सलाह के पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को पार्टी में शामिल करने के साथ ही प्रदेश प्रवक्ता बनाए जाने पर भी सवाल खड़े किए थे. साथ ही प्रदेश प्रभारी पर खेमेबाजी करने के भी आरोप लगाए थे.

इससे दो दिन पहले बीटीपी के 6 नेताओं ने देवेंद्र कटारा को पार्टी में शामिल करने का विरोध करते हुए बीटीपी से नाता तोड़ लिया था. इन 6 नेताओं (2 जिला परिषद सदस्य, 3 पंचायत समिति सदस्य और 1 ब्लॉक अध्यक्ष) ने सोशल मीडिया पर बीटीपी को राजस्थान में लीज पर लाने का बयान पोस्ट किया था. इन बयानों को लेकर अब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व नाराज दिखाई दे रहा है.

डूंगरपुर. भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में घमासान मच गया है. पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी में शामिल करने के बाद से उपजा विवाद अब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच गया है. इसके बाद अब पार्टी के शीर्ष नेता और स्थानीय पदाधिकारियों के बीच भी घमासान शुरू हो गया है.

पढ़ें- BTP का संग्राम थमा नहीं...अब सोशल मीडिया पर पदाधिकारियों से पूछे जाने लगे हैं सवाल?

बीटीपी से डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लोकसभा प्रत्याशी रहे और प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य कांति भाई आदिवासी के सोशल मीडिया पर डाले गए एक पोस्ट से मामला बढ़ गया है. कांति भाई आदिवासी ने राजस्थान में आए भूचाल के लिए केंद्रीय नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रदेश प्रभारी पर खेमेबाजी के आरोप लगाए थे. इस पर बीटीपी के राजस्थान प्रभारी रमेश भाई वसावा ने पलटवार किया है.

BTP लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है

रमेश भाई वसावा ने कांति भाई आदिवासी के सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान में भूचाल उन लोगों में आया है जो इसके जिम्मेदार हैं. भूचाल लाने का प्रयास जो लोग कर रहे थे उन लोगों में ही अब भूचाल आ गया है, जबकि पार्टी या आदिवासी परिवार में कोई भूचाल नहीं है. पार्टी और आदिवासी परिवार आज भी अच्छी तरह से काम कर रहा है, लेकिन कई स्वार्थी लोग अपना एक पैर कांग्रेस में रखते हैं और दूसरा पैर बीटीपी में रखते हैं.

बीटीपी लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है

प्रदेश प्रभारी रमेश भाई वसावा ने बीटीपी को राजस्थान में लीज पर लाने के बयानों की कड़े शब्दों में निंदा की. उन्होंने कहा कि बीटीपी में रहते हुए वे लोग आज पार्टी को लीज पर लाने जैसे बयान दे रहे हैं. लीज का मतलब किराए पर लाना होता है और कभी कोई पार्टी लीज पर नहीं मिलती. बीटीपी लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है. उन्होंने कहा कि लीज पर खान या खदान मिलती है, जहां से पत्थर, मार्बल जितना चाहे उतना निकालो ओर फिर खत्म हो जाए तो उसे छोड़ दो. वे स्वार्थी लोग इसी तरह पार्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनका पार्टी की रीति-नीति से कोई लेना-देना नहीं है.

जिसने सांसद का चुनाव लड़ा वही करवा रहा खेमेबाजी

रमेश भाई वसावा ने बीटीपी में खेमेबाजी के लिए इशारों ही इशारों में कांति भाई आदिवासी को जिम्मेदार बताया. कांति भाई बीटीपी से लोकसभा क्षेत्र डूंगरपुर-बांसवाड़ा के प्रत्याशी भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि बीटीपी राजस्थान में आदिवासियों की रक्षा के लिए, उनके हित-अधिकार के लिए, युवाओं का नेतृत्व मजबूत करने के लिए, नए नेतृत्व की खोज के काम कर रही है.

पढ़ें- विधायकों का सोशल मीडिया वॉरः बीटीपी विधायक ने कांग्रेस विधायक को खुद का घर संभालने की दी नसीहत

बीटीपी आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार और एजुकेशन के खिलाफ लड़ रही है न कि पार्टी लीज पर है. उन्होंने कहा कि बीटीपी के लिए लीज शब्द का इस्तेमाल करने वाले स्वार्थी लोग हैं और उन लोगों को हमने देखा है. हमारी ही पार्टी में बीटीपी से सांसद का चुनाव भी लड़ चुके हैं, वही लोग अशोक गहलोत के पास समर्थन देने पंहुच गए थे. वे लोग बताएं कि क्यों गए थे और किसे लेकर गए थे. इससे साफ है कि पार्टी में खेमेबाजी करने वाले लोग कौन हैं. उनकी इन हरकतों को आज का युवा समझ चुका है.

केंद्रीय नेतृत्व पर खड़े किए थे सवाल

बता दें, बीटीपी से सांसद प्रत्याशी रहे रोत कांति भाई आदिवासी ने फेसबुक पोस्ट कर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने बीटीपी के प्रदेश निर्णय कमेटी की बिना सलाह के पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को पार्टी में शामिल करने के साथ ही प्रदेश प्रवक्ता बनाए जाने पर भी सवाल खड़े किए थे. साथ ही प्रदेश प्रभारी पर खेमेबाजी करने के भी आरोप लगाए थे.

इससे दो दिन पहले बीटीपी के 6 नेताओं ने देवेंद्र कटारा को पार्टी में शामिल करने का विरोध करते हुए बीटीपी से नाता तोड़ लिया था. इन 6 नेताओं (2 जिला परिषद सदस्य, 3 पंचायत समिति सदस्य और 1 ब्लॉक अध्यक्ष) ने सोशल मीडिया पर बीटीपी को राजस्थान में लीज पर लाने का बयान पोस्ट किया था. इन बयानों को लेकर अब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व नाराज दिखाई दे रहा है.

Last Updated : Aug 22, 2021, 10:02 AM IST
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