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700 साल पुराना ऐतिहासिक मंदिर, श्याम वर्ण की मूर्ति इसलिए पड़ा 'शामलाजी का ऊंडा' मंदिर नाम - Jain Samaj Paryushan Special

जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व शुरू हो चुका है.डूंगरपुर शहर के फौज का बडला के पास स्थित शामलाजी का ऊंडा मंदिर प्राचीन जैन मंदिर है. इसमें विराजित भगवान नेमिनाथजी की मूर्ति करीब 700 साल पुरानी है.

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Published : Sep 4, 2019, 3:29 PM IST

डूंगरपुर. जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व शुरू हो चुका है. मंदिरो में भक्ति आराधना का दौर चल रहा है. ऐसे में डूंगरपुर में ऐसे कई ऐतिहासिक मंदिर है जो डूंगरपुर की स्थापना के समय से बने हुए है. वहीं हजारों लोगों की आस्था इन मंदिरों से जुड़ी हुई है.

डूंगरपुर में है 700 साल पुराना जैन मंदिर

ऐसा ही एक मंदिर है डूंगरपुर शहर के फौज का बडला के पास स्थित शामलाजी का ऊंडा मंदिर. दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष बदामीलाल वखारिया बताते है कि यहां भगवान की मूर्ति श्याम वर्ण की है. इसीलिए इस मंदिर का नाम भी शामलाजी का ऊंडा मंदिर पड़ा है. यह मंदिर करीब 700 साल पुराना और ऐतिहासिक है. डूंगरपुर की स्थापना के समय से यह मंदिर है और इसमें विराजित भगवान नेमिनाथजी की मूर्ति भी करीब 700 साल पुरानी ही है. इसीलिए मंदिर से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.

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वहीं बदामीलाल वखारिया बताते है मंदिर में खुदाई के वक्त भी कई बार ऐतिहासिक और हजारों साल की पुरानी मूर्तियां निकली है. यहां भगवान की जो भी व्यक्ति भक्ति और श्रद्धा से आराधना करता है. उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. उन्होंने पर्युषण पर्व के 10 धर्मो के बारे में बताते हुए कहा कि पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म के रूप में मनाया गया, भवन की शांन्तिधारा की गई और देश-दुनिया मे खुशहाली के लिए मंगल कामना की गई.

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वहीं वखारिया ने बताया कि पर्युषण महापर्व के तहत पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म, दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म, उत्तम आर्जव धर्म, उत्तम शौच धर्म, उत्तम सत्य धर्म, उत्तम संयम धर्म, उत्तम तप धर्म, उत्तम आकिंचन धर्म, उत्तम ब्रम्हचर्य धर्म के रूप में भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

डूंगरपुर. जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व शुरू हो चुका है. मंदिरो में भक्ति आराधना का दौर चल रहा है. ऐसे में डूंगरपुर में ऐसे कई ऐतिहासिक मंदिर है जो डूंगरपुर की स्थापना के समय से बने हुए है. वहीं हजारों लोगों की आस्था इन मंदिरों से जुड़ी हुई है.

डूंगरपुर में है 700 साल पुराना जैन मंदिर

ऐसा ही एक मंदिर है डूंगरपुर शहर के फौज का बडला के पास स्थित शामलाजी का ऊंडा मंदिर. दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष बदामीलाल वखारिया बताते है कि यहां भगवान की मूर्ति श्याम वर्ण की है. इसीलिए इस मंदिर का नाम भी शामलाजी का ऊंडा मंदिर पड़ा है. यह मंदिर करीब 700 साल पुराना और ऐतिहासिक है. डूंगरपुर की स्थापना के समय से यह मंदिर है और इसमें विराजित भगवान नेमिनाथजी की मूर्ति भी करीब 700 साल पुरानी ही है. इसीलिए मंदिर से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.

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वहीं बदामीलाल वखारिया बताते है मंदिर में खुदाई के वक्त भी कई बार ऐतिहासिक और हजारों साल की पुरानी मूर्तियां निकली है. यहां भगवान की जो भी व्यक्ति भक्ति और श्रद्धा से आराधना करता है. उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. उन्होंने पर्युषण पर्व के 10 धर्मो के बारे में बताते हुए कहा कि पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म के रूप में मनाया गया, भवन की शांन्तिधारा की गई और देश-दुनिया मे खुशहाली के लिए मंगल कामना की गई.

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वहीं वखारिया ने बताया कि पर्युषण महापर्व के तहत पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म, दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म, उत्तम आर्जव धर्म, उत्तम शौच धर्म, उत्तम सत्य धर्म, उत्तम संयम धर्म, उत्तम तप धर्म, उत्तम आकिंचन धर्म, उत्तम ब्रम्हचर्य धर्म के रूप में भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

Intro:डूंगरपुर। जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व शुरू हो चुके है। मंदिरो में भक्ति आराधना का दौर चल रहा है। ऐसे में डूंगरपुर में ऐसे कई ऐतिहासिक मंदिर है जो डूंगरपुर की स्थापना के समय से बने हुए है और हजारों लोगों की आस्था इन मंदिरों से जुड़ी हुई है।Body:ऐसा ही एक मंदिर है डूंगरपुर शहर के फ़ौज का बडला के पास स्थित शामलाजी का ऊंडा मंदिर। दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष बदामीलाल वखारिया बताते है कि यहां भगवान की मूर्ति श्याम वर्ण की है इसीलिए इस मंदिर का नाम भी शामलाजी का ऊंडा मंदिर पड़ा है। वे बताते है कि यह मंदिर करीब 700 साल पुराना ओर ऐतिहासिक है। डूंगरपुर की स्थापना के समय से यह मंदिर है और इसमें विराजित भगवान नेमिनाथजी की मूर्ति भी करीब 700 साल पुरानी ही है। इसीलिए मंदिर से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
बदामीलाल वखारिया बताते है मंदिर में खुदाई के वक्त भी कई बार ऐतिहासिक और हजारों साल की पुरानी मूर्तियां निकली है। यहां भगवान की जो भी व्यक्ति भक्ति और श्रद्धा से आराधना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। उन्होंने पर्युषण पर्व के 10 धर्मो के बारे में बताते हुए कहा कि पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म के रूप में मनाया गया। भवन की शांन्तिधारा की गई और देश-दुनिया मे खुशहाली के लिए मंगल कामना की गई।
बदामीलाल वखारिया ने बताया कि पर्युषण महापर्व के तहत पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म, दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म, उत्तम आर्जव धर्म , उत्तम शौच धर्म, उत्तम सत्य धर्म, उत्तम संयम धर्म, उत्तम तप धर्म, उत्तम आकिंचन धर्म, उत्तम ब्रम्हचर्य धर्म के रूप में भगवान की पूजा अर्चना की जाती है।

बाईट- बदामीलाल वखारिया, अध्यक्ष दिगंबर जैन समाज डूंगरपुर।Conclusion:
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