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डूंगरपुर: पंचायत चुनाव में महिलाओं का दबदबा, 80 पुरुषों के मुकाबले 88 महिलाएं के सिर सजा सरपंच का ताज - डूंगरपुर न्यूज

डूंगरपुर में 168 ग्राम पंचायतों को नए सरपंच मिल गए. इस पंचायत चुनाव में महिलाओं ने दमखम दिखाया और 88 सीटों पर उन्होंने जीत हासिल की. वहीं गांव का मुखिया चुनने के लिए दिव्यांग मतदाताओं ने भी रुचि दिखाई.

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88 महिलाएं बनी सरपंच
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Published : Jan 19, 2020, 12:14 PM IST

डूंगरपुर. पहले चरण के पंचायतीराज चुनाव के नतीजों की पूरी तस्वीर सामने आ गई है. जिले में 168 ग्राम पंचायतों को 5 साल के लिए नया मुखिया मिल गया है. खास बात यह है, कि पुरूष प्रधान मानी जाने वाली राजनीति में आधी आबादी यानी नारी शक्ति ने अपना पूरा दमखम दिखाया और आधे से ज्यादा सीटों पर सरपंच का ताज पहना है.

88 महिलाएं बनी सरपंच

पंचायत चुनाव 2020 में पहले चरण के तहत जिले के 4 पंचायत समितियों में 168 ग्राम पंचायतों में चुनाव हुए है. इसमें बड़े पैमाने पर पहली बार महिला सरपंचों ने जीत दर्ज की है. इस बार 88 महिलाओं ने पहले चरण के चुनाव में जीत हासिल की है. वहीं 80 पुरुष सरपंच का चुनाव जीत पाए हैं. ऐसे में अब महिलाएं गांव का नेतृत्व करेगी और गांव की सुख-सुविधाओं के साथ ही विकास का खाका तैयार करेगी. हालांकि, कई महिलाओं ने लगातार दूसरी और तीसरी बार पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करते हुए अपनी बादशाहत कायम रखी.

यह भी पढ़ें. डूंगरपुर: विधायक गणेश घोघरा की पत्नी बनीं मझोला पंचायत की सरपंच

दूसरी ओर भले ही सरपंच चुनाव जीतने में महिलाओं की संख्या ज्यादा है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि महिला के बदले परिवार का पुरुष चाहे पति, ससुर, भाई या पिता ही सरपंच के कार्य करते हैं. महिला सरपंच केवल कागजों में हस्ताक्षर करने तक सीमित रह जाती हैं. ऐसे में जीत के बाद महिलाएं ही प्रत्यक्ष रूप से काम संभाले, इसकी चुनौती सामने है. वहीं गांव का मुखिया चुनने के लिए दिव्यांग मतदाताओं ने भी रुचि दिखाई.

इन पंचायतों में कब्जा बरकरार

ग्राम पंचायत डेचा में शंकरलाल के परिवार ने इतिहास रच दिया. इस ग्राम पंचायत से इस बार शंकरलाल की पत्नी गंगादेवी ने करीब 15 सौ वोटों से जीत हासिल कर सामने खड़े हुए सभी प्रत्याशियों की जमानत जप्त करा दी. शंकरलाल पूर्व प्रधान के पद पर भी रह चुके हैं. ग्राम पंचायत साबली में लीलाराम वरहात तीसरी बार सरपंच बने.

यह भी पढ़ें. डूंगरपुर: कुएं में डूबने से युवक की मौत, दूसरे दिन हुआ पोस्टमार्टम

इस सीट पर पहले भी इनके परिवार की राधा वरहात का कब्जा था. वहीं जिला प्रमुख माधवलाल वरहात की पत्नी नीरू देवी नारेली ग्राम पंचायत से लगातार दूसरी बार सरपंच का चुनाव जीतकर आई हैं. इसके अलावा डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा की पत्नी जमना देवी में मझोला ग्राम पंचायत से सरपंच का चुनाव जीता है. जमना देवी लगातार तीसरी बार सरपंच बनी है.

80 प्रतिशत से ज्यादा दिव्यांग वोटरों ने किया पहले चरण में मतदान

पंचायत चुनाव के पहले चरण के तहत जिले में सरपंच वार्ड पंच के लिए हुए मतदान में 83.63 प्रतिशत दिव्यांग मतदाताओं ने अपना मतदान किया. जिले की बिछीवाड़ा पंचायत समिति में 92.7 प्रतिशत, सागवाड़ा पंचायत समिति में 88 47 प्रतिशत, सीमलवाड़ा पंचायत समिति में 70.94 प्रतिशत, डूंगरपुर पंचायत समिति में 82.42 प्रतिशत दिव्यांग मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया. इधर, दिव्यांग मतदाताओं के मतदान केंद्र तक पहुंचने और मतदान करने के लिए निर्वाचन विभाग की ओर से विशेष इंतजाम किए गए.

डूंगरपुर. पहले चरण के पंचायतीराज चुनाव के नतीजों की पूरी तस्वीर सामने आ गई है. जिले में 168 ग्राम पंचायतों को 5 साल के लिए नया मुखिया मिल गया है. खास बात यह है, कि पुरूष प्रधान मानी जाने वाली राजनीति में आधी आबादी यानी नारी शक्ति ने अपना पूरा दमखम दिखाया और आधे से ज्यादा सीटों पर सरपंच का ताज पहना है.

88 महिलाएं बनी सरपंच

पंचायत चुनाव 2020 में पहले चरण के तहत जिले के 4 पंचायत समितियों में 168 ग्राम पंचायतों में चुनाव हुए है. इसमें बड़े पैमाने पर पहली बार महिला सरपंचों ने जीत दर्ज की है. इस बार 88 महिलाओं ने पहले चरण के चुनाव में जीत हासिल की है. वहीं 80 पुरुष सरपंच का चुनाव जीत पाए हैं. ऐसे में अब महिलाएं गांव का नेतृत्व करेगी और गांव की सुख-सुविधाओं के साथ ही विकास का खाका तैयार करेगी. हालांकि, कई महिलाओं ने लगातार दूसरी और तीसरी बार पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करते हुए अपनी बादशाहत कायम रखी.

यह भी पढ़ें. डूंगरपुर: विधायक गणेश घोघरा की पत्नी बनीं मझोला पंचायत की सरपंच

दूसरी ओर भले ही सरपंच चुनाव जीतने में महिलाओं की संख्या ज्यादा है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि महिला के बदले परिवार का पुरुष चाहे पति, ससुर, भाई या पिता ही सरपंच के कार्य करते हैं. महिला सरपंच केवल कागजों में हस्ताक्षर करने तक सीमित रह जाती हैं. ऐसे में जीत के बाद महिलाएं ही प्रत्यक्ष रूप से काम संभाले, इसकी चुनौती सामने है. वहीं गांव का मुखिया चुनने के लिए दिव्यांग मतदाताओं ने भी रुचि दिखाई.

इन पंचायतों में कब्जा बरकरार

ग्राम पंचायत डेचा में शंकरलाल के परिवार ने इतिहास रच दिया. इस ग्राम पंचायत से इस बार शंकरलाल की पत्नी गंगादेवी ने करीब 15 सौ वोटों से जीत हासिल कर सामने खड़े हुए सभी प्रत्याशियों की जमानत जप्त करा दी. शंकरलाल पूर्व प्रधान के पद पर भी रह चुके हैं. ग्राम पंचायत साबली में लीलाराम वरहात तीसरी बार सरपंच बने.

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इस सीट पर पहले भी इनके परिवार की राधा वरहात का कब्जा था. वहीं जिला प्रमुख माधवलाल वरहात की पत्नी नीरू देवी नारेली ग्राम पंचायत से लगातार दूसरी बार सरपंच का चुनाव जीतकर आई हैं. इसके अलावा डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा की पत्नी जमना देवी में मझोला ग्राम पंचायत से सरपंच का चुनाव जीता है. जमना देवी लगातार तीसरी बार सरपंच बनी है.

80 प्रतिशत से ज्यादा दिव्यांग वोटरों ने किया पहले चरण में मतदान

पंचायत चुनाव के पहले चरण के तहत जिले में सरपंच वार्ड पंच के लिए हुए मतदान में 83.63 प्रतिशत दिव्यांग मतदाताओं ने अपना मतदान किया. जिले की बिछीवाड़ा पंचायत समिति में 92.7 प्रतिशत, सागवाड़ा पंचायत समिति में 88 47 प्रतिशत, सीमलवाड़ा पंचायत समिति में 70.94 प्रतिशत, डूंगरपुर पंचायत समिति में 82.42 प्रतिशत दिव्यांग मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया. इधर, दिव्यांग मतदाताओं के मतदान केंद्र तक पहुंचने और मतदान करने के लिए निर्वाचन विभाग की ओर से विशेष इंतजाम किए गए.

Intro:डूंगरपुर। पहले चरण के पंचायतीराज चुनाव के नतीजों की पूरी तस्वीर सामने आ गई है। जिले में 168 ग्राम पंचायतों को 5 साल के लिए नया मुखिया मिल गया है। खास बात यह है कि पुरुष प्रधान मानी जाने वाली राजनीति में आधी आबादी यानी नारी शक्ति ने अपना पूरा दमखम दिखाया और आधे से ज्यादा सीटों पर सरपंच का ताज पहना है। वही गांव का मुखिया चुनने के लिए दिव्यांग मतदाताओं ने भी रुचि दिखाई।


Body:पंचायत चुनाव 2020 में पहले चरण के तहत जिले के 4 पंचायत समितियों में 168 ग्राम पंचायतों में चुनाव हुए है। इसमे बड़े पैमाने पर पहली बार महिला सरपंचों ने जीत दर्ज की है। इस बार 88 महिलाओं ने पहले चरण के चुनाव में जीत हासिल की है तो वहीं 80 पुरुष सरपंच का चुनाव जीत पाए हैं। ऐसे में अब महिलाएं गांव का नेतृत्व करेगी और गांव की सुख सुविधाओं के साथ ही विकास का खाका तैयार करेगी। हालांकि कई महिलाओ ने लगातार दूसरी व तीसरी बार पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करते हुए अपनी बादशाहत कायम रखी।
दूसरी ओर भले ही महिलाओ की संख्या सरपंच चुनाव जीतने की ज्यादा है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि महिला की आड़ में परिवार का पुरुष पति, ससुर, भाई या पिता ही सरपंची चलाते है। महिला सरपंच केवल कागजो में हस्ताक्षर करने तक सीमित रह जाते है। ऐसे में जीत के बाद महिलाओ को आगे बढ़ाने की सबसे बड़ी चुनोती होगी।

- इन पंचायतो में कब्जा बरकरार
ग्राम पंचायत डेचा में शंकरलाल के परिवार ने इतिहास रच दिया। इस ग्राम पंचायत से इस बार शंकरलाल की पत्नी गंगादेवी ने करीब 1500 वोटो से जीत हासिल कर सामने खड़े हुए सभी प्रत्याशियों की जमानत जप्त करा दी। शंकरलाल पूर्व प्रधान के पद पर भी रह चुके हैं। ग्राम पंचायत साबली में लीलाराम वरहात तीसरी बार सरपंच बने। इस सीट पर पहले भी इनके परिवार की राधा वरहात का कब्जा था। वहीं जिला प्रमुख माधवलाल वरहात की पत्नी नीरू देवी नारेली ग्राम पंचायत से लगातार दूसरी बार सरपंच का चुनाव जीतकर आई हैं। इसके अलावा डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा की पत्नी जमना देवी में मझोला ग्राम पंचायत से सरपंच का चुनाव जीता है। जमना देवी लगातार तीसरी बार सरपंच बनी है।

- 80 प्रतिशत से ज्यादा दिव्यांग वोटरों ने किया पहले चरण में मतदान
पंचायत चुनाव के पहले चरण के तहत जिले में सरपंच वार्ड पंच के लिए हुए मतदान में 83.63 प्रतिशत दिव्यांग मतदाताओं ने अपना मतदान किया। जिले की बिछीवाड़ा पंचायत समिति में 92.7 प्रतिशत, सागवाडा पंचायत समिति में 88 47 प्रतिशत, सीमलवाड़ा पंचायत समिति में 70.94 प्रतिशत, डूंगरपुर पंचायत समिति में 82.42 प्रतिशत दिव्यांग मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग करते हुए अपने गांव का मुखिया चुनने में भागीदारी निभाई। इधर, दिव्यांग मतदाताओं के मतदान केंद्र तक पहुंचने और मतदान करने के लिए निर्वाचन विभाग की ओर से विशेष इंतजाम किए गए थे।


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