धौलपुर: आगरा पुलिस ने डकैत मुकेश ठाकुर का एनकाउंटर किया था. इससे धौलपुर का जरगा गांव नाराज है. वजह डकैत शव की सुपुर्दगी में की गई देरी. लोगों को 75000 के इनामी और तीन प्रदेशों के कुख्यात दस्यु मुकेश ठाकुर के शव को पत्नी और परिजनों को सौंपे जाने में बरती गई देरी अखर रही है. यूपी पुलिस की नीयत और एनकाउंटर कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं. फिर जिस तरह से रात के अंधेरे में शव को आगरा से धौलपुर लाया गया उसे लेकर भी सवाल हैं. सवाल अंतिम संस्कार को लेकर भी खड़े किए जा रहे हैं.
उमड़ा लोगों का हुजूम
मुकेश के अंतिम संस्कार में शरीक होने के लिए आसपास के गांवों से लोगों की भारी भीड़ जुटी. लोग देर शाम तक शव गांव पहुंचने का इंतजार करते रहे. रविवार को डकैत मुकेश ठाकुर के एनकाउंटर के बाद डेड बॉडी को यूपी पुलिस ने परिजनों को नहीं सौंपा था. जिसे लेकर इलाके में भारी विरोध हो रहा था. सोमवार सुबह बसेड़ी कस्बे में कुछ युवाओं ने बाजार को बंद कराने की कोशिश भी की जिसे स्थानीय पुलिस ने नाकाम कर दिया. पुलिस को सुबह बाजार बंद कराने के घटनाक्रम से ही आशंका थी कि मुकेश की डेड बॉडी गांव जारगा आते ही उसके अंतिम संस्कार में भारी भीड़ जुटेगी.
...और लोगों के कई सवाल
सूचना कंफर्म होते ही कानून व्यवस्था संभालने के लिए बसेड़ी थाना पुलिस के अलावा कई थानों की पुलिस एवं पुलिस का रिजर्व जाब्ता जारगा पहुंचा. लोग इसी बात पर चर्चा करते रहे कि पहले दिन पति मुकेश का शव लेने पहुंची पत्नी और रिश्तेदारों को आखिरकार आगरा पुलिस ने थाने पर बेवजह क्यों बैठा रखा? शव क्यों नहीं दिया गया? ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते परिजनों को 2 दिन बाद शव दिया गया और उसे जानबूझकर देर रात को यूपी पुलिस के भारी-भरकम जाब्ते के साथ पैतृक गांव जारगा लाया गया? लोगों का कहना था कि आखिर अब आगरा पुलिस को क्या डर है?
पोस्टमार्टम की वजह से देरी
डकैत मुकेश ठाकुर के केस को एसएसपी मुनिराजजी हैंडल कर रहे हैं. पूरे मामले की उन्हें जानकारी है. उन्होंने बताया कि डकैत के शव का पोस्टमार्टम पैनल करता है. यह सीएमओ की ओर से तय किया जाता है. इसके गठन में वक्त लगा, इस कारण पोस्टमार्टम देरी से हुआ. यही वजह रही कि परिजनों को शव सुपुर्द करने में विलम्ब हुआ.
रात 10 बजे पहुंचा शव
पुलिस की कई गाड़ियां और देर शाम को पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत सहित सैंपऊ सीओ विजय कुमार सिंह, धौलपुर सीओ प्रवेंद्र महला सहित सैंपऊ थाना प्रभारी परमजीत पटेल सहित आसपास के थानों के इंचार्ज भी रात में जारगा में डेरा डाले रहे. आगरा से रात 10 बजे के करीब डकैत मुकेश ठाकुर का शव गांव पहुंचा. जिस वक्त शव पहुंचा उस वक्त चारों ओर सिर्फ पुलिस ही पुलिस नजर आ रही थी. देर रात होने की वजह से दिन में जुटी लोगों की भीड़ छंट गई थी.
पॉलिथीन और कपड़े में पैक थी डेड बॉडी
डकैत मुकेश ठाकुर का शव उसके गांव जारगा रात को पहुंचा. पॉलिथीन और कपड़े में पैक डेड बॉडी को पुलिस ने खोलने नहीं दिया और उसे सीधे ही शमशान ले जाने की सलाह दी. लेकिन परिजन और गांव के लोग शव को घर पर ले जाने के लिए अड़ गए. लोगों के अड़ने पर शव को घर पर ले जाया गया तो गांव के अंदर पहले से मौजूद सैकड़ों की संख्या में लोग शव देखने इकट्ठे हो गए. प्लास्टिक और कपड़े की पैकिंग से शव को बाहर निकालकर हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से नहलाने और नए कपड़े पहनाने की जिद करने लगे. लेकिन पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत और पुलिस अफसरों ने शव के 2 दिन पुराने होने और कोविड-19 के संक्रमण फैलने का हवाला देते हुए जनहित में पैकिंग खोलने से रोक दिया. इसे लेकर लोग नाराज देखे गए .इसके बाद शव का शमशान में अंतिम संस्कार कर दिया गया.