धौलपुर. जिले के सरकारी अस्पतालों की आउटडोर मरीज पर्ची ई-मित्रों से उपलब्ध करा कर मरीजों को राहत देने वाली पहल को अब प्रदेश भर के सभी जिलों में लागू किया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धौलपुर जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल के इस प्रोजेक्ट की सराहना करते हुए, इस मॉडल को एक अप्रैल 2020 से प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने की तैयारी कर ली है.
मुख्यमंत्री के निर्देश पर धौलपुर जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने राजस्थान के 33 जिलों के अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से मॉडल को लेकर पूरी जानकारी दी. गत दिनों धौलपुर राजकीय अस्पताल में आउटडोर पर्ची लेने के लिए घंटो तक लाइन में खड़े रहने से होने वाली परेशानियों को देखते हुए, जिला कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से चर्चा करते हुए, एक नया मॉडल लागू किया. इस मॉडल के तहत ई-मित्र केन्द्रों को मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के अंतर्गत स्टेशनरी और डोस्मेटिक्स प्रिंटर फ्री में उपलब्ध कराए गए.
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उसके बाद इसका प्रचार प्रसार किया गया. आज की तारीख में ई-मित्र केन्द्रों पर आउटडोर पर्ची मिल रही हैं और यह पर्ची सात दिन तक मान्य रहती है. जानकारी के अनुसार धौलपुर जिला अस्पताल में करीब तीन हजार का ओपीडी हैं. जिसमें से आज की तारीख में करीब 50 प्रतिशत पर्चियां ई-मित्र केन्द्रों से आ रही हैं. जिला मुख्यालय पर स्थित 12 ई-मित्र केन्द्रों पर पर्ची काउंटर खुले हुए हैं. इससे रोगी और उसके परिजनों को अस्पतालों में डॉक्टरों को दिखाने के लिए लम्बी-लम्बी लाइनों से मुक्ति मिल गई है.
अब राजस्थान सरकार ने धौलपुर जिले के इस मॉडल को 1 अप्रैल 2020 से पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्णय किया हैं. जिले में चल रहे इस अभिनव प्रयोग की राजस्थान सरकार ने सराहना की है. वहीं अब इस मॉडल को 1 अप्रैल से संपूर्ण राजस्थान में लागू करने की तैयारी भी प्रारंभ कर दी गई है. इसके लिए ई मित्र केन्द्रों की ओर से ओपीडी रजिस्ट्रेशन पर्ची विषय पर ट्रेनिंग का आयोजन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से किया गया है. जिसमें राजस्थान के समस्त 33 जिलों के अधिकारियों को जिला कलक्टर जायसवाल ने इस मॉडल के लागू करने की प्रक्रिया के बाबत जानकारी दी.
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जानकारी के अनुसार धौलपुर जिला अस्पताल के कांउटरों पर काम करने वाले 5 ठेका कार्मिकों को हटाने से, आरएमआरएस का प्रति कम्प्यूटर ऑपरेटर 11 हजार 32 रुपए प्रति माह के हिसाब से कुल 6 लाख 62 हजार रुपये प्रति वर्ष का वित्तीय भार भी कम हुआ है. मरीजों को इस नई पहल का लाभ यह मिला कि उनकी आउटडोर पर्ची का उपयोग 7 दिवस में कभी भी किया जा सकता है. उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं देना पड़ रहा है. ई-मित्र केन्द्रों से पर्ची मिलने के बाद मरीजों और उनके परिजनों ने जिला कलेक्टर के इस पहल की सराहना की हैं.