धौलपुर. जिले में मानसून के देर तक रहने पर खरीफ फसल की लावणी का काम पिछड़ गया है. लेट समय तक बारिश होने के कारण खरीफ की बाजरा, तिल, उड़द, मूंग और मक्का की कटाई देरी से होने पर आगामी फसल रबी की बुवाई भी प्रभावित हो रही है. रबी फसल में सरसों की बुवाई का शुरुआती समय 15 सितंबर से 15 अक्टूबर माना जाता है. लेकिन खरीफ फसल की बारिश के चलते कटाई देरी से होने पर रबी फसल की सरसों की बुवाई लगभग 15 से 20 दिन तक पिछड़ रही है. जिससे किसानों की चिंता बढ़ने लगी है.
किसानों ने बताया कि खरीफ फसल की बुवाई से लेकर पिछले एक माह तक का सफर अच्छा रहा था. किसानों ने महंगे खाद, बीज और कीटनाशक डालकर खेती करने लायक बनाया था. लेकिन बारिश का दौर देरी से चलने पर खरीफ फसल की लावणी का काम पिछड़ गया. जिसका असर उत्पादन में कमी के साथ चारे की भी समस्या गहराने लगी है. किसानों के मुताबिक बाजरा में मापदंड के अनुसार करीब 30 से 40 फीसदी तक उत्पादन में गिरावट की संभावना है.
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उसके अलावा तलहन और तिलहन की फसलें लगभग पूरी तरह से नुकसान दे रही है.जिसमे खासकर तिलहन की फसल अधिक बारिश और खेतों में जल भराव से गल चुकी है. वहीं खरीफ की लावणी पिछड़ने से आगामी फसल रबी भी प्रभावित हो रही है. किसानों के मुताबिक सरसों की बुवाई का समय 15 सितंबर से 15 अक्टूबर माना जाता है. ऐसे में सरसों की बुवाई करीब 20 दिन पिछड़ रही है. सरसों की बुवाई को लेकर किसानों ने खेतों से खरतवार हटाने की कवायद शुरू कर दी है.
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उधर, कृषि विभाग ने बताया कि मौसम के परिवर्तन से खरीफ और रबी दोनों की फसलें प्रभावित हुई है. मौजूदा समय में खरीफ फसल की लावणी का काम जोरों से चल रहा है. वहीं रबी फसल की बुवाई जिसमें खासकर सरसों फसल की बुवाई की जिले में किसानों ने शुरुआत कर दी है. कृषि विभाग ने कास्तकारों को हिदायत देते हुए कहा कि सरसों की बुवाई करने से पूर्व बीज का पूरी तरह से उपचार करें. मृदा का परीक्षण कराकर ही खेतों में बीज को डालें. जिले इस सीजन में लगभग 65 हजार हेक्टेयर सरसों की बुवाई की जाएगी. किसान उन्नत किश्म के बीज और खाद का जरूर उपयोग करें. जिससे आगामी समय में अनुमान के मुताबिक उत्पादन मिल सके.