धौलपुर. जिले में मानसून की कमी का असर रबी की फसल की बुआई पर साफ तौर पर देखा जा रहा है. औसत से कम हुई बारिश के चलते खेतों से नमी गायब होने का खमियाजा काश्तकारों को झेलना पड़ रहा है. खेतों में रबी की बुआई को लेकर भले ही चहल-पहल बढ़ गई है. खासकर सरसों और आलू की बुआई शुरू हो चुकी है, लेकिन जैसे ही बुआई रफ्तार पकड़ती उससे पहले ही मौसम ने ब्रेक लगा दिए हैं. यानी दिन के समय मौसम में आई गर्माहट ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
जानकारी के मुताबिक अब तक सरसों की एक तिहाई हिस्से की बुआई की जा चुकी है, लेकिन दिन में पड़ने वाली चटक धूप और गर्म हवाओं के कारण सरसों का बीज अंकुरित नहीं हो पा रहा है. इससे काश्तकारों को आर्थिक चपत लग चुकी है. एक-दो सप्ताह से रात में मौसम का मिजाज ठंडा देखकर किसानों ने सरसों की बुआई की शुरुआत की थी, लेकिन दिन में पड़ रही ज्येष्ठ माह जैसी गर्मी ने काश्तकारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
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फसलों की बुआई के लिए काश्तकारों को आगे भी काफी हद तक मौसम पर निर्भर रहना पड़ सकता है. आगामी समय में मौसम क्या गुल खिलाता है इसका अंदाज लगाना अभी से मुश्किल है, लेकिन दिन और रात के विरोधाभासी मौसम के चलते किसानों ने हाल फिलहाल सरसों की बुआई से हाथ खींच लिए हैं.
किसान विनीत शर्मा, राजवीर सिंह, मूला बघेल ने बताया कि रात के समय मौसम में ठंडक से वातावरण में जो नमी बनती है और दिन में पड़ने वाली चटक धूप और गर्म हवा से हवा हवाई हुए जा रही है. ऐसे में रबी की फसल को लेकर किसानों को मौसम ने सोचने को मजबूर कर दिया है.
नहीं मिट रहा संघर्ष
विधाता ने मानों किसान के मुकद्दर में सिर्फ और सिर्फ संघर्ष ही लिखा है. पिछले कई वर्षों से मौसम भी कुछ इस तरह किसानों की परीक्षा ले रहा है. कभी अतिवृष्टि, कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखा. आवारा जानवर और पशुओं की मार सो अलग से है. खेती के लिए बनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद किसान के कदम डगमगाए नहीं हैं. खेतों में एक बार फिर किसानों की हलचल शुरू हो गई है. किसान परिवारों को दिन और रात खेतो की जुताई, बुआई और पलेवा की तैयारी में देखा जा रहा है. खेती का भविष्य क्या होगा, उसे इसकी कतई चिंता नहीं है.
सिंचाई संकट बढ़ाएगा परेशानी
जिले के अलग-अलग हिस्सों में फसलों का आधार कहीं बांध का पानी है तो कहीं नहर और निजी संसाधन. अलबत्ता कई इलाकों में तो केवल मावठ और छिटपुट बारिश से ही सरसों की फसल तैयार हो जाती थी. इस बार बारिश की कमी के कारण जिले के अधिकांश बांध और एनीकट रीते पड़े हैं. वहीं, मौसम भी खेती के मुफीद दिखाई नहीं दे रहा है. ऐसे में रबी की प्रमुख फसल सरसों, आलू और गेंहूं के लिए बांधों का खाली होना भारी चिंता का विषय बना हुआ है.
वैसे भी सरसों की बुआई का उपयुक्त समय 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक माना जाता है. अभी तक उम्मीद से काफी कम हुई बुआई से सरसों की खेती पिछडऩे के हालात दिखाई देने लगे हैं. हालांकि मौसम को देखकर किसानों ने सरसों की अभी तक जितनी भी बुआई की है, उसमें से ज्यादातर खेतों में बीज अंकुरित नहीं हुआ है.
विभाग दौड़ा रहा कागजी घोड़े
काश्तकार वर्ग रवी की फसल तैयारी को लेकर पूरी ताकत से जुट गया है. वहीं, कृषि विभाग की तरफ से किसानों को सलाह और सुझाव भी देने वाला कोई नहीं है. विभाग की सक्रियता केवल कागजी घोड़े दौड़ने से आगे नहीं बढ़ी है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से विभागीय बैठकें भी ऑनलाइन हो पा रही है. ऐसे में किसानों को खेती किसानी से जुड़ी जानकारी ना के बराबर मिल रही है.
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वहीं, किसान भगवान भरोसे खेती की सार-संभाल और बुआई में जुटे हुए हैं. रबी की प्रमुख खेती सरसों की बुआई का ये पीक समय चल रहा है और ज्यादातर जगह आलू की बुआई हो चुकी है, लेकिन कृषि अधिकारी किसानों को खेती संबंधी जरूरी सलाह भी नहीं दे पा रहे हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार और कृषि विभाग की ओर से किसानों को खेती के संबंध में उचित सलाह नहीं दी जा रही है.
कृषि विभाग ने बताया कि इस बार 1.42 लाख हेक्टेयर रबी की फसल का एरिया तय किया गया है, जिसमें 70 हजार हेक्टेयर सरसों और 60 हजार हेक्टेयर गेहूं की फसल के साथ 12 हजार हेक्टेयर में आलू के साथ अन्य फसलों की वुबाई का आंकलन है.