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धौलपुर: कंचनपुर क्षेत्र के विद्यालयों में धूमघाम से मनाया गया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

धौलपुर जिले के कंचनपुर थाना क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अलीगढ़ के साथ-साथ कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय हांसई में श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. विद्यालय प्रशासन की ओर से छात्र-छात्राओं के लिए दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और राधा-कृष्ण की मनमोहक झांकी सजाई गई.

धौलपुर, कृष्ण जन्मोत्सव, दही-हांडी प्रतियोगिता
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Published : Aug 25, 2019, 7:52 AM IST

धौलपुर. जिले के बाड़ी उपखंड की उप तहसील कंचनपुर थाना अंतर्गत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अलीगढ़ के साथ-साथ कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय हांसई में श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. भगवान श्री कृष्ण का विधि विधान से पूजन किया गया और प्रसादी लगाई गई. इस अवसर पर विद्यालय प्रशासन की ओर से छात्र-छात्राओं के लिए दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और राधा-कृष्ण की मनमोहक झांकी सजाई गई. विद्यालय का वातावरण पूर्णतय कृष्णमय हो गया. बच्चों में भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति का भाव जागृत हुआ.

पढ़ें- जयपुरः नंदलाल के आगमन पर नंद-गांव सा सजा गोविंद देव जी मंदिर

हांसई विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कमलेश मीणा ने जन्माष्टमी व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि व्रत से हमारी आत्मा पवित्र होती है और पवित्र आत्माओं में ही भगवान वास करते हैं. विद्यालयों में छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने राधा-कृष्ण के भजन सहित कई प्रस्तुतियां दी और विद्यालय परिवार की ओर से सभी बच्चों, शिक्षकों और ग्रामवासियों के लिए दही, मिश्री, पेड़ा और केले की प्रसादी भी बांटी गई.

धौलपुर. जिले के बाड़ी उपखंड की उप तहसील कंचनपुर थाना अंतर्गत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अलीगढ़ के साथ-साथ कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय हांसई में श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. भगवान श्री कृष्ण का विधि विधान से पूजन किया गया और प्रसादी लगाई गई. इस अवसर पर विद्यालय प्रशासन की ओर से छात्र-छात्राओं के लिए दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और राधा-कृष्ण की मनमोहक झांकी सजाई गई. विद्यालय का वातावरण पूर्णतय कृष्णमय हो गया. बच्चों में भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति का भाव जागृत हुआ.

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हांसई विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कमलेश मीणा ने जन्माष्टमी व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि व्रत से हमारी आत्मा पवित्र होती है और पवित्र आत्माओं में ही भगवान वास करते हैं. विद्यालयों में छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने राधा-कृष्ण के भजन सहित कई प्रस्तुतियां दी और विद्यालय परिवार की ओर से सभी बच्चों, शिक्षकों और ग्रामवासियों के लिए दही, मिश्री, पेड़ा और केले की प्रसादी भी बांटी गई.

Intro:धौलपुर: कंचनपुर क्षेत्र के विद्यालयों में मनाया श्री कृष्ण जन्मोत्सव...  
 
धौलपुर जिले के कंचनपुर थाना क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अलीगढ़ के साथ-साथ कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय हांसई में श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया।

धौलपुर जिले केे बाड़ी उपखंड की उप तहसील कंचनपुर थाना अंतर्गत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अलीगढ़ के साथ-साथ कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय हांसई में श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। और भगवान श्री कृष्ण का विधि विधान से पूजन किया गया। प्रसादी लगाई गई तथा इस अवसर पर विद्यालय प्रशासन द्वारा छात्र छात्राओं के लिए दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें भाग लेकर बच्चे बहुत ही रोमांचित हुए। राधा कृष्ण की मनमोहक झांकी सजाई गई। वही विद्यालय का वातावरण पूर्णतय कृष्णमय हो गया। बच्चों में भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का भाव जागृत हुआ।Body:वही भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए शिक्षक नेता सुरेश भारद्वाज ने बताया कि- जब-जब पृथ्वी पर आसुरी शक्तियों का प्रभाव चरम पर पहुंचता है। जिससे भगवान के भक्त कष्ट में हो जाते हैं। तब-तब भगवान विभिन्न रूप एवं नामों से पृथ्वी पर जन्म लेकर आसुरी शक्तियों को समाप्त कर भक्तों की रक्षा करते हैं। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण 16 कलाओं से अवतरित हुए जो अब तक हुए भगवान के अवतारों में सबसे शक्तिशाली माने जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण भक्त वत्सल हैं। वे हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उन्होंने पृथ्वी लोक पर एक सच्चे मित्र,एक सच्चे मार्गदर्शक,एक सच्चे प्रेमी और अहंकार को सर्वदा नष्ट करने के विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सुदामा,राधा,अर्जुन का साथ दिया तथा इंद्र का घमंड चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों को शरण दी। साथ ही उन्होंने कहा जो भी भक्त गोवर्धन की परिक्रमा करेगा उसके सारे कष्ट कलयुग में वह स्वयं समाप्त करेंगे। और वही उन्होंने बताया कि-कभी सूरदास ने एक स्वप्न देखा था, कि रुकमणी और राधिका मिली हैं और एक दूजे पर निछावर हुई जा रही हैं।
           सोचता हूँ, कैसा होगा वह क्षण जब दोनों ठकुरानियाँ मिली होंगी। दोनों ने प्रेम किया था। एक ने बालक कन्हैया से, दूसरे ने राजनीतिज्ञ कृष्ण से। एक को अपनी मनमोहक बातों के जाल में फँसा लेने वाला कन्हैया मिला था,और दूसरे को मिले थे सुदर्शन चक्र धारी,महायोद्धा कृष्ण।
      कृष्ण राधिका के बाल सखा थे,पर राधिका का दुर्भाग्य था कि उन्होंने कृष्ण को तात्कालिक विश्व की महाशक्ति बनते नहीं देखा। राधिका को न महाभारत के कुचक्र जाल को सुलझाते चतुर कृष्ण मिले,न पौंड्रक-शिशुपाल का वध करते बाहुबली कृष्ण मिले। 
      रुकमणी कृष्ण की पत्नी थीं, महारानी थीं, पर उन्होंने कृष्ण की वह लीला नहीं देखी जिसके लिए विश्व कृष्ण को स्मरण रखता है। उन्होंने न माखन चोर को देखा,न गौ-चरवाहे को। उनके हिस्से में न बाँसुरी आयी,न माखन।
      कितनी अद्भुत लीला है,राधिका के लिए कृष्ण कन्हैया था, रुकमणी के लिए कन्हैया कृष्ण थे। पत्नी होने के बाद भी रुकमणी को कृष्ण उतने नहीं मिले कि वे उन्हें "तुम" कह पातीं। आप से तुम तक की इस यात्रा को पूरा कर लेना ही प्रेम का चरम पा लेना है। रुकमणी कभी यह यात्रा पूरी नहीं कर सकीं।
     राधिका की यात्रा प्रारम्भ ही 'तुम' से हुई थीं। उन्होंने प्रारम्भ ही "चरम" से किया था। शायद तभी उन्हें कृष्ण नहीं मिले।
     कितना अजीब है न! कृष्ण जिसे नहीं मिले, युगों युगों से आजतक उसी के हैं, और जिसे मिले उसे मिले ही नहीं।
     तभी कहता हूँ, कृष्ण को पाने का प्रयास मत कीजिये। पाने का प्रयास कीजियेगा तो कभी नहीं मिलेंगे। बस प्रेम कर के छोड़ दीजिए, जीवन भर साथ निभाएंगे कृष्ण। कृष्ण इस सृष्टि के सबसे अच्छे मित्र हैं। राधिका हों या सुदामा, कृष्ण ने मित्रता निभाई तो ऐसी निभाई कि इतिहास बन गया।
      राधा और रुकमणी जब मिली होंगी तो रुकमणी राधा के वस्त्रों में माखन की गंध ढूंढती होंगी,और राधा ने रुकमणी के आभूषणों में कृष्ण का बैभव तलाशा होगा। कौन जाने मिला भी या नहीं। सबकुछ कहाँ मिलता है मनुष्य को... कुछ न कुछ तो छूटता ही रहता है।
      जितनी चीज़ें कृष्ण से छूटीं उतनी तो किसी से नहीं छूटीं। कृष्ण से उनकी माँ छूटी, पिता छूटे, फिर जो नंद-यशोदा मिले वे भी छूटे। संगी-साथी छूटे। राधा छूटीं। गोकुल छूटा, फिर मथुरा छूटी। कृष्ण से जीवन भर कुछ न कुछ छूटता ही रहा। कृष्ण जीवन भर त्याग करते रहे। हमारी आज की पीढ़ी जो कुछ भी छूटने पर टूटने लगती है, उसे कृष्ण को गुरु बना लेना चाहिए। जो कृष्ण को समझ लेगा वह कभी अवसाद में नहीं जाएगा। कृष्ण आनंद के देवता है। कुछ छूटने पर भी कैसे खुश रहा जा सकता है, यह कृष्ण से अच्छा कोई सिखा ही नहीं सकता। महागुरु था मेरा कन्हैया...
      इस सृष्टि के सबसे प्यारे मनुष्य का जन्मदिवस है न आज! खुश होइए, आज का दिन खुश होने के लिए ही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन खुश रहना ही व्रत है।Conclusion:वही हांसई विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कमलेश मीणा ने जन्माष्टमी व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि- व्रत से हमारी आत्मा पवित्र होती हैं।और पवित्र आत्माओं में ही भगवान वास करते हैं। 
तथा वही विद्यालयों में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों ने राधा कृष्ण के भजन सहित कई प्रस्तुतियां दी। और विद्यालय परिवार की ओर से सभी बच्चों,
शिक्षकों एवं ग्रामवासियों के लिए दही,मिश्री,पेड़ा एवं केले की प्रसादी बांटी गई।
Byte-1 सुरेश भारद्वाज (शिक्षक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अलीगढ़)।
बाड़ी(धौलपुर)से ईटीवी भारत के लिए राजकुमार शर्मा की रिपोर्ट।

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Rajkumar Sharma
Badi(Dholpur)Raj.
Mob.no.-9079671539
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