कुचामनसिटी: डीडवाना में महाशिवरात्रि पर साम्प्रदायिक सौहार्द्र और हिन्दू मुस्लिम एकता का नजारा देखने को मिला. जोगामंडी धाम के प्रमुख पीर लक्ष्मणनाथ बुधवार सुबह रथ पर सवार होकर जुलूस के साथ नगर भ्रमण के लिए निकले. उनका यह जुलूस सबसे पहले सैयदों की हताई और काजियों के मौहल्ले में पहुंचा. यहां सदियों पुरानी परंपरा के तहत मुस्लिम समुदाय के लोगों ने महंत का स्वागत कर उन्हें नारियल भेंट किया. शहर में महाशिवरात्रि पर यह अनूठी परम्परा निभाई जाती है.
इस पुरानी परंपरा के तहत नाथ सम्प्रदाय के जोगा मण्डी धाम में जब भी मठाधीश की नियुक्ति होती है, तब मुस्लिम समाज उन्हें पगड़ी पहनाता है और माथुर समाज शॉल ओढ़ाता है, तब जाकर नए महंत की नियुक्ति होती है. डीडवाना के शहर काजी रेहाना उस्मानी ने बताया कि 'मैं अपने बचपन से देखता आया हूं कि महाशिवरात्रि पर नाथजी की सवारी हमारे मोहल्ले में आती है. मेरे वालिद भी इस बारे में बताते रहते थे कि यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है'.
मुस्लिम समाज की ओर से नाथ जी का सम्मान किया जाता है. उस्मानी ने कहा कि आज के दौर में इस प्रकार की परंपरा जब निभाई जाती है तो हमें खुशी होती है. 'मैं उम्मीद करता हूं कि डीडवाना ही नहीं पूरे देश में ऐसे ही भाई चारे का माहौल बना रहे. मुस्लिम समाज के लोग उन्हें सम्मान से पीर कहकर बुलाते हैं'.
सैकड़ों साल पुरानी है परंपरा: महंत लक्ष्मणनाथ ने बताया कि यह परंपरा सैंकड़ों साल पुरानी है. इस मठ पर जब भी कोई गद्दीनशीन होता है तो पहली चादर मुस्लिम समुदाय की ओर से ही निभाई जाती है. नगर भ्रमण के दौरान यह जुलूस सभी मोहल्लों में जाता है. सबका धर्म अपनी जगह है और परंपरा अपनी जगह है. सभी लोग अपने अपने धर्म का पालन करते हुए अपनी परम्पराएं निभाएं.