धौलपुर. वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को झकझोर दिया है. कोरोना महामारी के कारण समाज का हर वर्ग प्रभावित हुआ है. इस महामारी की वजह से सबसे अधिक मजदूर को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा. ऐसे में शहरों से लौटे प्रवासी अपने बच्चों का नाम सरकारी स्कूल में लिखवा रहे हैं. जिससे इस साल सरकारी स्कूल में नामांकन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.
कोरोना काल में शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई-लिखाई भारी प्रभावित हुई है. शुरुआत में लगे लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों का बड़े-बड़े शहरों से पलायन हुआ. जो मजदूर अपने गांव और कस्बों में पहुंच गए. मौजूदा वक्त में परिवार और बच्चों के साथ अपने गांव में ही मजदूरी एवं खेती-बाड़ी करने को मजबूर हैं. शहरों से पलायन कर चुके प्रवासियों के बच्चों का दाखिला अब सरकारी स्कूलों में अधिक हो रहा है.
मोटी फीस से मिलेगी अब निजात
सरकारी स्कूलों में इस बार नामांकन में भारी इजाफा हुआ है. इसका सीधा असर कोरोना महामारी माना जा रहा है. हालांकि, स्कूल और कॉलेज अभी बंद हैं लेकिन अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में ही कराना मुनासिब समझा है. इसका एक कारण सरकारी स्कूलों में जाने वाली मोटी फीस से राहत मिलेगी.
बढ़ रहा सरकारी स्कूलों की तरफ रुझान
वहीं दूसरे पहलू में बच्चों को सरकार द्वारा दी जाने वाली गुणवत्ता युक्त एजुकेशन भी मिलेगी. सरकारी स्कूलों में वेल क्वालिफाइड शिक्षकों की लंबी कतार लगी है. जिसे लेकर सरकारी स्कूलों की तरफ अभिभावक और बच्चों का रुझान अधिक हो रहा है.
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गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण इस सीजन में सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए बच्चों के नामांकन में भारी इजाफा हुआ है. इसका मुख्य कारण बड़े-बड़े शहरों में परिवार सहित आजीविका चला रहे उन मजदूरों का है, जो पलायन कर अपने गांव और शहर पहुंचे हैं. कोरोना के हालात अभी भी सामान्य नहीं है. ऐसे में जो मजदूर पलायन कर चुके हैं, वे अब शहर और अपने मूल स्थान पर ही स्थापित हो चुके हैं. ऐसे में उन्होंने अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में ही कराना मुनासिब समझा है.
इस साल 203279 नामांकन
इस कारण पिछले अपेक्षा इस साल सरकारी स्कूलों में नामांकन में भारी वृद्धि हुई है. पिछले साल जिले में सरकारी स्कूलों में 1 लाख 51 हजार 21 छात्रों का नामांकन हुआ था. जो इस साल 2 लाख 3 हजार 279 हो गया है. 12 हजार से अधिक विद्यार्थियों का सरकारी स्कूलों में दाखिला हुआ है. छात्र-छात्राओं ने बताया कि सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं काफी बेहतर हो चुकी है. योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा पढ़ाई कराई जाती है. उसके अलावा स्कॉलरशिप, मिड डे मील योजना, निशुल्क शिक्षा, कंप्यूटर शिक्षा, खेलकूद शिक्षा लैपटॉप योजना छात्राओं के लिए साइकिल और स्कूटी आदि सरकार मुहैया कराई है.
बच्चे सरकारी स्कूल की सुविधा से खुश
सरकारी में स्कूलों में नामांकन लेनेवाले छात्रों का कहना है कि उनके परिजन गांव में खेती-बाड़ी कर मजदूरी कर रहे हैं. वहीं सरकारी स्कूल में बेहतर सुविधाएं हैं. बच्चे कंप्यूटर कक्ष इत्यादि देखकर खासा प्रभावित हैं.
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सैंपऊ उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल शिवदत्त शर्मा ने बताया पिछले साल की अपेक्षा इस साल उनके स्कूल में छात्र-छात्राओं ने अधिक नामांकन कराया है. पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष 250 से अधिक छात्र-छात्राओं ने अधिक प्रवेश लिया है. अभी सरकार ने स्कूल खोलने की विशेष गाइडलाइन जारी नहीं की है. सिर्फ बड़ी क्लासों के बच्चे गाइडलाइन लेने पहुंचते हैं. जिन्हें शिक्षकों द्वारा क्लास रूम में ही सामाजिक दूरी तय कर समझाया जाता है.
बहरहाल, सरकारी स्कूलों में नामांकन में वृद्धि होना इसका मुख्य कारण करोना महामारी माना जा रहा है. उसके अलावा सरकार द्वारा बच्चों को दी जाने वाली आधुनिक सुविधाएं भी आकर्षित कर रही हैं. जिसका नतीजा है कि पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष जिले में छात्र-छात्राओं के नामांकन में भारी इजाफा हुआ है.