राजाखेड़ा (धौलपुर). जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पिछले साल हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों की शहादत की देश भर में पहली बरसी मनाई जा रही है. इस अवसर पर राजाखेड़ा उपखंड के गांव जैतपुर में जिला प्रशासन और सीआरपीएफ अधिकारियों ने पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान शहीद भागीरथ सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया. शहीद की मूर्ति के अनावरण के बाद सीआरपीएफ जवानों ने शहीद भागीरथ सिंह को गार्ड आफ ऑनर दिया.
इसके बाद धौलपुर जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल, पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा, अजमेर जोन के सीआरपीएफ कमांडेंट अर्जुन सिंह, राजाखेड़ा उपखंड अधिकारी संतोष कुमार गोयल ने शहीद भागीरथ सिंह की प्रतिमा पर पुष्प चक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की.
इस मौके पर धौलपुर जिला कलेक्टर राकेश कुमार जयसवाल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, कि शहीद भागीरथ सिंह के बलिदान को देश कभी नहीं भुला सकेगा. शहीद भागीरथ सिंह ने देश की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, जिसे आने वाली पीढ़ी हमेशा याद रखेगी.
धौलपुर पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने युवाओं को शहीद भागीरथ सिंह के बलिदान से प्रेरणा लेने की बात कही. साथ ही कहा, कि एक वर्दीधारी के लिए देश की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देना गौरव की बात है.
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प्रशासन के अधिकारियों ने शहीद भागीरथ सिंह के पिता और उनकी पत्नी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. जिला कलेक्टर ने कहा, कि शहीद भागीरथ सिंह के परिवार के साथ प्रशासन हमेशा साथ खड़ा है. उनके परिवार को किसी भी तरह की कोई परेशानी होती है तो वह बेझिझक प्रशासन को बताएं.
शहीद भागीरथ सिंह के भाई बलवीर सिंह ने बताया, कि उनके भाई की शहादत के बाद सरकार और प्रशासन ने काफी बड़े-बड़े वादे किए थे. जिनमें से अधिकतर वादे पूरे नहीं हुए. शहीद के परिजनों ने सरकार और प्रशासन की ओर से किए गए वादों को दोहराते हुए जिला प्रशासन से किसी सड़क, हॉस्पिटल या किसी स्कूल का नाम शहीद भागीरथ सिंह के नाम पर रखने की मांग की है.
पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. जिनमें राजाखेड़ा उपखण्ड के गांव जैतपुर निवासी सीआरपीएफ जवान शहीद भागीरथ सिंह भी थे.
शहीद भागीरथ सिंह साल 2012 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. वह अपने पीछे तीन छोटे-छोटे बच्चे, जिनमें 4 साल का बेटा विनय, 3 साल की बेटी शालिनी और 4 माह की बेटी मालिनी को पीछे छोड़ गए.