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धौलपुर में नहीं लगा ऋषि पंचमी पर लगने वाला देव छठ का लक्की मेला, श्रद्धालुओं में निराशा - Dholpur Police

कोरोना गाइडलाइन की पालना में इस वर्ष भी ऋषि पंचमी से लगने वाला देव छठ मेला नहीं लग सका. प्रशासन की रोक के बावजूद भी कुछ महिला और पुरुष श्रद्धालु तीर्थराज मचकुंड पर स्नान और पूजा-अर्चना करने पहुंचे थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने समझाकर उन्हें वापस लौटा दिया.

Lucky Fair of Dev Chhath, dholpur latest news
देव छठ का लक्की मेला
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Published : Sep 11, 2021, 10:48 AM IST

Updated : Sep 11, 2021, 11:33 AM IST

धौलपुर. ऋषि पंचमी से लगने वाले दो दिवसीय देव छठ मेले पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है. ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड पर लगने वाले लक्खी मेले में श्रद्धालुओं की लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ती है, लेकिन राज्य सरकार के आदेशों की पालना में और कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है. कुछ श्रद्धालुओं ने तीर्थराज मचकुंड पर पहुंचने का भी प्रयास किया, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने समझाइश कर उन्हें वापस लौटा दिया.

पढ़ें- Panchang 11 September : जानें शुभ मुहूर्त, तिथि और ग्रह-नक्षत्र की चाल, आज बन रहा ये संयोग

कोरोना गाइडलाइन की पालना में इस वर्ष भी ऋषि पंचमी से लगने वाला देव छठ मेला नहीं लग सका. सुबह से ही पुलिस और प्रशासन की टीम मंदिर परिसर पर तैनात की गई थी. प्रशासन की रोक के बावजूद भी कुछ महिला और पुरुष श्रद्धालु तीर्थराज मचकुंड पर स्नान और पूजा-अर्चना करने पहुंचे थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने समझाकर उन्हें वापस लौटा दिया. मंदिर परिसर को पूरी तरह से खाली करा दिया है. मंदिर पर जाने वाले सभी रास्तों को अवरोधक लगाकर बंद कर दिया गया है.

जिले का सबसे बड़ा दो दिवसीय लक्की मेला देव छठ

धौलपुर जिले में ऋषि पंचमी से तीर्थराज मचकुंड पर लगने वाले 2 दिवसीय देव छठ मेला को सबसे बड़ा मेला माना जाता है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं.

पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण को रणछोड़ नाम इसी स्थान से मिला था. कालिया वन नाम के राक्षस का वध इसी स्थान पर किया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार नवविवाहित वर-वधू की कलंगी और मोहरी का विसर्जन तीर्थराज मचकुंड के सरोवर में किया जाता है, जिससे दांपत्य जीवन में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है. महिला और पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा ब्राह्मण भोज करा कर दान पुण्य किया जाता है. पुण्य लाभ करने से भगवान मचकुंड सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं. तीर्थराज मचकुंड को सभी तीर्थों का भांजा भी माना जाता है.

श्रद्धालुओं में छाई निराशा

देव छठ मेले पर रोक लगने के बाद श्रद्धालुओं में भारी निराशा देखी गई. अधिकांश श्रद्धालु पूजा की सामग्री लेकर मंदिर पर पहुंचे थे, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर को देख प्रशासन का रुख सख्त हो गया है. पुलिस और प्रशासन ने श्रद्धालुओं को बिना पूजा-अर्चना किए वापस लौटा दिया, जिससे श्रद्धालुओं में भारी निराशा देखी गई.

धौलपुर. ऋषि पंचमी से लगने वाले दो दिवसीय देव छठ मेले पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है. ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड पर लगने वाले लक्खी मेले में श्रद्धालुओं की लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ती है, लेकिन राज्य सरकार के आदेशों की पालना में और कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है. कुछ श्रद्धालुओं ने तीर्थराज मचकुंड पर पहुंचने का भी प्रयास किया, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने समझाइश कर उन्हें वापस लौटा दिया.

पढ़ें- Panchang 11 September : जानें शुभ मुहूर्त, तिथि और ग्रह-नक्षत्र की चाल, आज बन रहा ये संयोग

कोरोना गाइडलाइन की पालना में इस वर्ष भी ऋषि पंचमी से लगने वाला देव छठ मेला नहीं लग सका. सुबह से ही पुलिस और प्रशासन की टीम मंदिर परिसर पर तैनात की गई थी. प्रशासन की रोक के बावजूद भी कुछ महिला और पुरुष श्रद्धालु तीर्थराज मचकुंड पर स्नान और पूजा-अर्चना करने पहुंचे थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने समझाकर उन्हें वापस लौटा दिया. मंदिर परिसर को पूरी तरह से खाली करा दिया है. मंदिर पर जाने वाले सभी रास्तों को अवरोधक लगाकर बंद कर दिया गया है.

जिले का सबसे बड़ा दो दिवसीय लक्की मेला देव छठ

धौलपुर जिले में ऋषि पंचमी से तीर्थराज मचकुंड पर लगने वाले 2 दिवसीय देव छठ मेला को सबसे बड़ा मेला माना जाता है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं.

पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण को रणछोड़ नाम इसी स्थान से मिला था. कालिया वन नाम के राक्षस का वध इसी स्थान पर किया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार नवविवाहित वर-वधू की कलंगी और मोहरी का विसर्जन तीर्थराज मचकुंड के सरोवर में किया जाता है, जिससे दांपत्य जीवन में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है. महिला और पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा ब्राह्मण भोज करा कर दान पुण्य किया जाता है. पुण्य लाभ करने से भगवान मचकुंड सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं. तीर्थराज मचकुंड को सभी तीर्थों का भांजा भी माना जाता है.

श्रद्धालुओं में छाई निराशा

देव छठ मेले पर रोक लगने के बाद श्रद्धालुओं में भारी निराशा देखी गई. अधिकांश श्रद्धालु पूजा की सामग्री लेकर मंदिर पर पहुंचे थे, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर को देख प्रशासन का रुख सख्त हो गया है. पुलिस और प्रशासन ने श्रद्धालुओं को बिना पूजा-अर्चना किए वापस लौटा दिया, जिससे श्रद्धालुओं में भारी निराशा देखी गई.

Last Updated : Sep 11, 2021, 11:33 AM IST
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