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कर्णागत शुरू होते ही लोगों ने तीर्थराज मचकुंड सहित नदियों पर पितरों को किया तर्पण - shraddha paksha till 28 september

धौलपुर में करणागत शुरू होते ही लोगों ने तीर्थराज मचकुंड सहित अन्य नदियों पर पितरों को तर्पण किया. पंडित और आचार्यों ने नदी के घाटों पर मंत्रोचारण कर तर्पण कराया. लोगों ने अपने पूर्वजों को याद किया. साथ ही परिवार के लिए सुख-समृद्धि के साथ हरा-भरा होने की मनौती मांगी.

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Published : Sep 13, 2019, 12:38 PM IST

धौलपुर. श्राद्ध पक्ष के शुरू होते ही मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो गए हैं. वहीं श्राद्ध पक्ष 28 सितंबर तक चलेगा. श्राद्ध पक्ष के शुरू होते ही लोगों ने तीर्थराज मचकुंड, पार्वती नदी सहित अन्य घाटों पर पहुंच पितरों को तर्पण कर पूजा-अर्चना की. साथ ही लोगों ने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने और परिवार में सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए पितरों को तर्पण किया.

धौलपुर में लोगों ने पितरों को किया तर्पण

बता दें कि शास्त्रों के अनुसार पितरों को देवताओं से भी उच्च कोटि का स्थान दिया गया हैं. इस कारण पितरों की अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए ही श्राद्ध किया जाता है. साथ ही श्रद्धापूर्वक पितरों का श्राद्ध किया जाता है. जिससे वह संतुष्ट होकर परिवार को सुख सम्रद्धि दें. श्राद्ध पक्ष में जिस तिथि को अपने पूर्वजों का देहांत हुआ है उस तिथि को उनका आव्हान कर श्राद्ध करना चाहिए. साथ ही दान पुण्य कर कौआ, गाय, कुत्ता और पतंगा के हिस्से को निकालना चाहिए. जिसके बाद ब्राहमणों को भोजन कराने के बाद उन्हें भी भोजन देना चाहिए. इससे पूर्वजों को तृप्ति मिलती है.

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जाने क्यों शुरू हुआ पितृपक्ष

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब राजा कर्ण संसार को छोड़कर गए. तब उन्हें स्वर्ग में जाकर खाने के लिए सोना दिया गया. जिसके बाद स्वर्ग में कहा गया कि आपने पृथ्वी पर सिर्फ सोने का दान किया है. लिहाजा आपको खाने में सोना ही दिया जाएगा. लेकिन आपके पुण्य इतने है कि आप जो चाहेंगे वही आपको दिया जाएगा. उसके बाद राजा कर्ण ने याचना कि मुझे मात्र 15 दिन के लिए पृथ्वी पर भेजा जाए, राजा की बात मानी ली गई. राजा को पुनः धरती पर भेज दिया गया. उसके बाद राजा कर्ण ने 15 दिन तक संसार की हर वस्तु का जी भरकर दान किया. उसके बाद राजा के तर्पण पूर्ण हुए. तभी से आर्य संस्कृति में कारणागतों को प्रमुख रूप से मान्यता दी जाने लगी है.

यह भी पढ़ें. कुछ इस तरह करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न, होगी धन की वर्षा

श्राद्ध पक्ष के अवसर पर तीर्थराज मचकुंड चंबल नदी, पार्वती नदी सहित अन्य सरोवर और तालाबों पर लोगों का हुजूम देखा गया. पंडित और आचार्यों ने नदी के घाटों पर मंत्रोचारण करा कर अन्न, तिल, चावल, जौ आदि से तर्पण कराया. लोगों ने विधि-विधान पूर्वक एवं शास्त्र सम्मत पितरों को तर्पण कर याद किया.

धौलपुर. श्राद्ध पक्ष के शुरू होते ही मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो गए हैं. वहीं श्राद्ध पक्ष 28 सितंबर तक चलेगा. श्राद्ध पक्ष के शुरू होते ही लोगों ने तीर्थराज मचकुंड, पार्वती नदी सहित अन्य घाटों पर पहुंच पितरों को तर्पण कर पूजा-अर्चना की. साथ ही लोगों ने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने और परिवार में सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए पितरों को तर्पण किया.

धौलपुर में लोगों ने पितरों को किया तर्पण

बता दें कि शास्त्रों के अनुसार पितरों को देवताओं से भी उच्च कोटि का स्थान दिया गया हैं. इस कारण पितरों की अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए ही श्राद्ध किया जाता है. साथ ही श्रद्धापूर्वक पितरों का श्राद्ध किया जाता है. जिससे वह संतुष्ट होकर परिवार को सुख सम्रद्धि दें. श्राद्ध पक्ष में जिस तिथि को अपने पूर्वजों का देहांत हुआ है उस तिथि को उनका आव्हान कर श्राद्ध करना चाहिए. साथ ही दान पुण्य कर कौआ, गाय, कुत्ता और पतंगा के हिस्से को निकालना चाहिए. जिसके बाद ब्राहमणों को भोजन कराने के बाद उन्हें भी भोजन देना चाहिए. इससे पूर्वजों को तृप्ति मिलती है.

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जाने क्यों शुरू हुआ पितृपक्ष

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब राजा कर्ण संसार को छोड़कर गए. तब उन्हें स्वर्ग में जाकर खाने के लिए सोना दिया गया. जिसके बाद स्वर्ग में कहा गया कि आपने पृथ्वी पर सिर्फ सोने का दान किया है. लिहाजा आपको खाने में सोना ही दिया जाएगा. लेकिन आपके पुण्य इतने है कि आप जो चाहेंगे वही आपको दिया जाएगा. उसके बाद राजा कर्ण ने याचना कि मुझे मात्र 15 दिन के लिए पृथ्वी पर भेजा जाए, राजा की बात मानी ली गई. राजा को पुनः धरती पर भेज दिया गया. उसके बाद राजा कर्ण ने 15 दिन तक संसार की हर वस्तु का जी भरकर दान किया. उसके बाद राजा के तर्पण पूर्ण हुए. तभी से आर्य संस्कृति में कारणागतों को प्रमुख रूप से मान्यता दी जाने लगी है.

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श्राद्ध पक्ष के अवसर पर तीर्थराज मचकुंड चंबल नदी, पार्वती नदी सहित अन्य सरोवर और तालाबों पर लोगों का हुजूम देखा गया. पंडित और आचार्यों ने नदी के घाटों पर मंत्रोचारण करा कर अन्न, तिल, चावल, जौ आदि से तर्पण कराया. लोगों ने विधि-विधान पूर्वक एवं शास्त्र सम्मत पितरों को तर्पण कर याद किया.

Intro:धौलपुर जिले भर में करणागत शुरू होते ही लोगों का तीर्थराज मचकुण्ड सहित अन्य नदियों पर पितरों को तर्पण किया। पंडित और आचार्यों ने नदी के घाटों पर मंत्रोचारण करा कर अन्न,तिल,चावल,जौं आदि से तर्पण करा कर अपने पूर्वजो को याद कर परिवार के लिए सुख समृद्धि के साथ हरा-भरा होने की मनौती मांगी।


Body:श्राद्ध पक्ष के शुरू होते ही मांगलिक एवं शुभ कार्य बंद हो गए और श्राद्ध पक्ष 28 सितम्बर तक चलेंगे। श्राद्ध पक्ष के शुरू होते ही लोगो ने तीर्थराज मचकुंड,पार्वती नदी सहित अन्य घाटो पर पहुंच कर पितृ पक्ष में अपने पितरो को तर्पण कर पूजा-अर्चना की.लोगो ने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने और परिवार में सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए पितरों को तर्पण किया.
शास्त्रों के अनुसार पितरो को देवताओ से भी उच्च कोटि का स्थान दिया है इस कारण पितरो की अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए ही श्राद्ध किया जाता है और श्रद्धा पूर्वक पितरो का श्राद्ध करे जिससे वह संतुष्ट होकर परिवार को सुख सम्रद्धि दे.श्राद्ध पक्ष में जिस तिथि को अपने पूर्वजो का देहांत हुआ है उस तिथि को उनका आव्हान कर श्राद्ध करना चाहिए और दान पुण्य कर कौआ,गाय,कुत्ता एवं पतंगा के भाग को निकाल कर ब्राहमणों को भोजन कराने के बाद उन्हें भी भोजन दे.इस मौके पर शहर के सैकड़ो लोगो ने तीर्थराज मचकुंड सहित अन्य नदियों पर पहुंच कर पितृ पक्ष में अपने पितरो को तर्पण कर पूजा-अर्चना दान-पुण्य किया.
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब राजा कर्ण संसार को छोड़कर गया था तब उसे स्वर्ग में जाकर खाने के लिए सोना दिया था और स्वर्ग में कहा गया कि आपने पृथ्वी पर सिर्फ सोने का दान किया है लिहाजा आपको खाने में सोना ही दिया जाएगा लेकिन आपके पुण्य इतने है कि आप जो चाहेंगे वही आपको दिया जाएगा। उसके बाद राजा कर्ण ने याचना कि मुझे मात्र 15 दिन के लिए पृथ्वी पर भेजा जाए,राजा की बात मानी गई। जिसको पुनः धरती पर भेज दिया उसके बाद राजा कर्ण ने 15 दिन तक संसार की हर वस्तु का जी भरकर दान किया। उसके बाद राजा के तर्पण पूर्ण हुए तभी आर्य संस्कृति में कारणागतों को प्रमुख रूप से मान्यता दी जाने लगी है।




Conclusion:श्राद्ध पक्ष के अवसर पर तीर्थराज मचकुंड चंबल नदी पार्वती नदी सहित अन्य सरोवर और तालाबों पर लोगों का हुजूम देखा गया. लोगों ने विधि विधान पूर्वक एवं शास्त्र सम्मत पितरों को तर्पण कर याद किया.
Byte - वृंदावन शर्मा,आचार्य
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Neeraj Sharma
Dholpur
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