धौलपुर. जिले भर में रविवार को गोवर्धन पूजा बड़े आस्था और श्रद्धा के साथ संपन्न हुई. घर-घर में श्रद्धालुओं ने गोबर से गोवर्धन भगवान का विग्रह बनाकर पूजा-अर्चना की. गोवर्धन भगवान को पकवान एवं मिष्ठान से भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना की.
बता दें, दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है. हालांकि देश के कुछ हिस्सों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 तरह के महिलाएं पकवान बनाती हैं, जिनका गोवर्धन भगवान को भोग लगाया जाता है. इन सभी पकवानों को एक साथ मिलाया जाता है, जिसे ब्रज क्षेत्र में अन्नकूट के नाम से जाना जाता है.
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दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का महत्व द्वापर युग से ही चला आ रहा है. रविवार को महिलाओं ने घरों के बरामदे और आंगन में गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन का विग्रह स्थापित किया है. गोवर्धन भगवान के विग्रह की प्रत्येक परिवार के सदस्यों द्वारा पूजा अर्चना की गई. वहीं, जिले के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में रात में भी गोवर्धन भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.
इसलिए की जाती है गोवर्धन पूजा...
पौराणिक मान्यता के मुताबिक ब्रज वासियों की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को हाथ की छोटी उंगली पर उठाकर हजारों जीव जंतुओं और इंसानी जिंदगियों को स्वर्ग के देवता इंद्र के कोप से बचाया था. श्रीकृष्ण भगवान ने इंद्र के घमंड को चूरकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की शुरुआत इसी दिन से कराई थी.
दिवाली के अगले दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं. भगवान गोवर्धन का विग्रह बनाकर परिवार के सभी सदस्यों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है. गोवर्धन भगवान को 56 भोग और 108 तरह के पकवान से भोग लगाया जाता है. नाना प्रकार के पकवानों को एक साथ मिलाकर घर के सदस्यों द्वारा प्रसादी ग्रहण की जाती है, जिसे अन्नकूट के नाम से जाना जाता है. गोवर्धन पूजा वाले दिन से ही अन्नकूट की ब्रज क्षेत्र में शुरुआत होती है. गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है.