धौलपुर. जिलेभर में रबी की फसलों की कटाई शुरू हो गई. किसान सुबह से शाम तक खेतों में कड़ी मशक्कत कर सरसों और आलू को निकालने में लगे हैं. हालांकि, पिछले साल की तुलना में अबकी सरसों और आलू दोनों ही फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट देखी जा रही है. साथ ही मंडी में इन दोनों फसलों की कीमत भी कम मिल रही है. वहीं, लागत के अनुरुप भाव न मिलने से किसान खासा चिंतित हैं. जनवरी में पड़े अत्यधिक पाले के कारण इन फसलों को भारी नुकसान होने की बात कही जा रही है.
किसान विनीत कुमार शर्मा ने बताया पिछले साल की तुलना में अबकी रबी की फसल का सीजन अच्छा नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि फसल बुआई से लेकर दिसंबर तक का सफर ठीक था. बुआई के बाद आलू और सरसों दोनों ही फसल खेतों में अच्छी तरह से अंकुरित भी हुई थी, क्योंकि किसानों ने महंगे कीटनाशक के साथ ही खाद, यूरिया डालकर फसलों की अच्छे से देखरेख की थी. लेकिन 5 जनवरी के बाद मौसम में बदलाव का असर फसल पर पड़ा. जिसके कारण उन्हें भारी नुकसान पहुंचा है.
उन्होंने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा आलू की फसल के उत्पादन में 30 से 40 और सरसों के उत्पादन में करीब 35 फीसद तक की गिरावट आई है. किसानों को मंडी में इन फसलों की अच्छी कीमत भी नहीं मिल पा रही है. आलम यह है कि आलू की 55 किलो की बोरी का भाव महज 200 से 225 के बीच है. वहीं, सरसों की फसल 5 हजार से लेकर 5 हजार 200 रुपए क्विंटल तक बाजार में खरीदी जा रही है.
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सामलिया कुशवाह नाम के किसान ने बताया कि अब खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा हो गई है. कड़ी मेहनत और भारी लागत के बावजूद किसानों को उनके फसलों की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है. ऊपर से मौसमी मार के कारण भी किसानों को खासी दिक्कतें पेश आती हैं. यही कारण है कि अब किसान राज्य की गहलोत सरकार से गिरदावरी करा कर पाले से हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
पाले और घने कोहरे ने फसल को पहुंचाया नुकसान - कृषि अधिकारी धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि जनवरी महीने में पड़े घने कोहरे और पाले ने रबी की फसलों को खासा नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि आलू और सरसों दोनों ही फसल मौसम की दृष्टि से नाजुक होती हैं. अधिक सर्दी और बरसात को झेलने की क्षमता इनमें नहीं होती है. लिहाजा आलू और सरसों दोनों ही फसलों में नुकसान की संभावना अधिक होती है.
उन्होंने बताया कि इस सीजन में आलू की फसल की बुआई करीब 7695 हैक्टेयर जमीन पर हुई थी. वहीं, सरसों की बुआई 77 हजार 144 हैक्टेयर पर हुई थी. हालांकि, पिछले साल की अपेक्षा आलू की बुआई रकबे में कम हुई है. सरसों की बुआई में इजाफा देखा गया है, लेकिन मौसम की मार से आलू और सरसों दोनों फसल के उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग नुकसान का आंकलन कर रहा है. जिसकी रिपोर्ट प्रशासन और राज्य सरकार को भेजी जाएगी.
गेहूं की बंपर पैदावार की संभावना - रबी की आलू और सरसों दोनों ही फसल में नुकसान देखा जा रहा है तो वहीं गेहूं की फसल में बंपर पैदावार की संभावना जताई जा रही है. किसान विनीत शर्मा ने बताया कि सर्दी का मौसम गेहूं की फसल के लिए अनुकूल रहा है. हालांकि, गेहूं फसल की कटाई अप्रैल के महीने से शुरू होगी. लेकिन गेहूं फसल के शुरुआती लक्षणों में अच्छे उत्पादन की संभावना दिखाई दे रही है. वहीं, पिछले साल की अपेक्षा अच्छे उत्पादन की संभावना जताई जा रही है. अबकी गेहूं की बुआई 58 हजार 820 हैक्टेयर में हुई है.
कृषि विभाग किसानों को बेसिक जानकारी देने में हो रहा नाकाम - जिले का कृषि विभाग किसानों को फसल बचाव की बेसिक जानकारी देने में नाकाम साबित हो रहा है. कृषि विभाग द्वारा किसानों को दी जाने वाली जानकारियां महज दफ्तर और फाइलों तक ही सिमट कर रह जाती हैं. धरातल पर किसानों को फसल बचाव की जानकारियों का अभाव रहता है. जिसके कारण उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है.