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कृषि कानूनों का विरोध: किसान बोले जायज मांगों को मानने के लिए भी केंद्र सरकार नहीं है तैयार

देश के अलग-अलग हिस्सों में कृषि कानून का विरोध हो रहा है, लेकिन केंद्र सरकार टस से मस नहीं हो रही है. धौलपुर में भी किसानों ने कृषि कानून को वापस लेने के लिए बसेड़ी उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. किसानों ने कानून में संशोधन की मांग की है.

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एसडीएम को ज्ञापन
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Published : Feb 15, 2021, 11:08 PM IST

धौलपुर. जिले के बसेड़ी उपखंड के किसानों ने कृषि कानून के विरोध में सोमवार को बसेड़ी उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देकर कानून में संशोधन की मांग की. ज्ञापन के माध्यम से किसानों ने एमएसपी से नीचे खरीद रुकवाने और राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में सुधार कराने की भी मांग की है.

मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में किसानों ने बताया कि राज्य सरकार को भी किसानों के प्रति गंभीर होना पड़ेगा. पिछले लंबे समय से राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया किसानों के प्रति अड़ियल बना हुआ है.

आंदोलन करते हुए लगभग 80 दिन हो चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार टस से मस नहीं हो रही है. किसानों की जायज मांगों को मानने के लिए भी केंद्र सरकार तैयार नहीं है. केंद्र सरकार की ओर से किसानों के साथ कुठाराघात किया जा रहा है.

पढ़ें- बसेड़ी में अनियंत्रित होकर टैक्टर ट्रॉली पलटी, 12 घायल

किसानों ने कहा कि देश की लगभग 80 प्रतिशत अर्थव्यवस्था खेती पर निर्भर रहती है. उसके बावजूद केंद्र सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान बिना सवाल-जवाब किए लोकसभा एवं राज्यसभा में तीनों कानून पारित कर दिया. केंद्र सरकार किसानों के उत्पादन का समर्थन मूल्य तक निर्धारित नहीं कर पा रही है. जिसके कारण देश के किसानों में आक्रोश है. किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर तीनों कानून को केंद्र सरकार वापस नहीं लेती है तो सरकार को परिणाम भुगतना पड़ेगा.

धौलपुर. जिले के बसेड़ी उपखंड के किसानों ने कृषि कानून के विरोध में सोमवार को बसेड़ी उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देकर कानून में संशोधन की मांग की. ज्ञापन के माध्यम से किसानों ने एमएसपी से नीचे खरीद रुकवाने और राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में सुधार कराने की भी मांग की है.

मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में किसानों ने बताया कि राज्य सरकार को भी किसानों के प्रति गंभीर होना पड़ेगा. पिछले लंबे समय से राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया किसानों के प्रति अड़ियल बना हुआ है.

आंदोलन करते हुए लगभग 80 दिन हो चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार टस से मस नहीं हो रही है. किसानों की जायज मांगों को मानने के लिए भी केंद्र सरकार तैयार नहीं है. केंद्र सरकार की ओर से किसानों के साथ कुठाराघात किया जा रहा है.

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किसानों ने कहा कि देश की लगभग 80 प्रतिशत अर्थव्यवस्था खेती पर निर्भर रहती है. उसके बावजूद केंद्र सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान बिना सवाल-जवाब किए लोकसभा एवं राज्यसभा में तीनों कानून पारित कर दिया. केंद्र सरकार किसानों के उत्पादन का समर्थन मूल्य तक निर्धारित नहीं कर पा रही है. जिसके कारण देश के किसानों में आक्रोश है. किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर तीनों कानून को केंद्र सरकार वापस नहीं लेती है तो सरकार को परिणाम भुगतना पड़ेगा.

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