धौलपुर. कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने लोगों को झकझोर दिया है. दूसरी लहर के दौरान जिले में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ गया था. जिले में कई परिवार के 3 से चार सदस्य कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं. लेकिन जिला प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग कोरोना महामारी से लोगों की हुई मौत के आंकड़े छुपा रहा है.
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक कोरोना महामारी से अब तक जिले में 48 मौतें हुई है, जबकि मुक्ति धाम सेवा समिति के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में 307 मौत रिकॉर्ड में दर्ज है. जहां राज्य सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर कोरोना महामारी से मौत के शिकार हुए परिजनों के आश्रितों को मुआवजा देने का एलान किया है. ऐसे में जिनका रिकॉर्ड सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं है, वह पीड़ित परिवार इस मुआवजा राशि से वंचित रह सकते हैं.
पढ़ें- धार्मिक स्थल और मल्टीप्लेक्स खोलने की तैयारी में सरकार, अनलॉक-3 की गाइडलाइन के लिए कैबिनेट बैठक जल्द
ये हैं आंकड़ा
धौलपुर में अप्रैल 2021 के महीने में महामारी के तांडव से मरने वालों की संख्या में भारी इजाफा देखा गया था. लेकिन जिला प्रशासन के आंकड़े कम सामने आ रहे हैं, जबकि चम्बल मुक्तिधाम सेवा समिति के मुताबिक मार्च से 15 जून 2021 तक कोरोना से 307 मौतें हुई हैं. मार्च माह में 53, अप्रैल में 128, मई में 108 और 15 जून 2021 तक 18 मौते हुई हैं. अगर पूर्व के महीनों की बात की जाए तो 40 मौत का आंकड़ा रहता था. अप्रैल और मई माह में मौतों का आंकड़ा साढ़े तीन गुना रहा हैं. यह सभी मौत कोरोना से हुई हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक कोरोना की प्रथम लहर में 29 और दूसरी लहर में दूसरी लहर में 19 मौतें हुई हैं.
जिले में अब तक 48 मौतें कोरोना से हुई हैं. कोरोना से हुई मौतों को लेकर राजस्थान की गहलोत सरकार ने मृतकों के आश्रितों को मदद करने की घोषणा के आदेश भी जारी कर दिए हैं. सरकार के आदेश के बाद अब सिर्फ 48 मृतक के आश्रितों को ही आर्थिक सहायता मिलेगी. शेष मृतक के आश्रितों को सहायता नहीं मिलेगी, क्योकि उनका नाम रिकॉर्ड में नहीं हैं. अब उन मृतकों के आश्रितों को परेशानी होगी. जिनकी मौत तो कोरोना से हुई, लेकिन उनका नाम सरकारी रिकॉर्ड में इंद्राज नहीं हैं.
शिक्षा विभाग के आंकड़े गायब
बात की जाए तो कोरोना की दूसरी लहर जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर बेहद भारी पड़ी है. जिले के विभिन्न स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में कार्यरत डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षकों और कार्मिकों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है. इनमें से सर्वाधिक अप्रैल महीने में दस और मई माह में आठ कार्मिकों को जान गंवानी पड़ी है. मरने वालों में एक सहायक कर्मचारी, दो लिपिक, एक दर्जन शिक्षक और तीन प्रधानाचार्य स्तर के शिक्षा अधिकारी शामिल हैं.
कई मृतक कार्मिकों के परिवार बेसहारा हो गए हैं. उनकी पैरवी करने वाला कोई नहीं है. इन परिवारों को सरकारी मदद की दरकार है, ताकि जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ सके. शिक्षा विभाग के सूत्रों मुताबिक 18 कार्मिकों की मौत कोरोना से विभिन्न अस्पतालों में हुई हैं. हालांकि इनमें से कई मौत कोविड ड्यूटी के दौरान भी हुई हैं. लेकिन शिक्षा विभाग ने कोविड ड्यूटी में तीन कार्मिकों की मौते दिखाई हैं और 13 कार्मिक ऐसे हैं, जिनकी ड्यूटी कोरोना में नहीं थी, उनकी मौत हुई हैं. कुल 16 कार्मिक हैं, जिनकी मौत कोरोना से हुई हैं.
पढ़ें- कोविड-19 पर श्वेत पत्र जारी करेंगे कांग्रेस नेता राहुल गांधी
दिलचस्प बात यह है कि खुद के महकमे के कितने शिक्षकों का निधन हुआ है. इसकी पुख्ता जानकारी जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अभी तक नहीं है. बहरहाल ईटीवी भारत ने खुद इन आंकड़ों को जुटाया है, ताकि शिक्षा विभाग, प्रशासन और सरकार इनके परिवारवालों को अपने पैकेज में शामिल कर सके और यह तय कर सके कि कर्मचारियों की मौत का कारण कोविड रहा है.