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गुर्जर आंदोलन को लेकर धौलपुर में धारा 144 लागू ...सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रहेगी पैनी नजर - गुर्जर आरक्षण

धौलपुर जिला प्रशासन ने गुर्जर आंदोलन को देखते हुए सभी उपखंड मुख्यालयों पर कंट्रोल रूम बनाए हैं. साथ ही जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है. भरतपुर का पड़ोसी जिला होने के चलते और गुर्जरों के बाहुल्यता के चलते प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट हो गया है.

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धौलपुर में सभी उपखंड मुख्यालयों पर कंट्रोल रूम बनाए
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Published : Oct 30, 2020, 8:22 PM IST

धौलपुर. गुर्जर आरक्षण को लेकर धौलपुर जिला प्रशासन ने कलेक्ट्रेट सभागार में पुलिस के साथ संयुक्त बैठक की. बैठक में जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल और एसपी केसर सिंह शेखावत मौजूद रहे. बैठक में 1 नवंबर 2020 से भरतपुर जिले के बयाना उपखंड इलाके की पीलूपुरा गांव में गुर्जर आरक्षण को लेकर रेलवे ट्रैक एवं सड़क जाम को लेकर जिले की कानून व्यवस्था को कायम करने की रूपरेखा तैयार की गई है.

धौलपुर में गुर्जर आरक्षण की आग को देखते हुए प्रशासन सतर्क

धारा 144 लागू...

आरक्षण की आग धौलपुर जिले में नहीं फैले इसके लिए पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों को निगरानी रखने के विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं. प्रत्येक उपखंड मुख्यालय पर एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है. जिला कलेक्टर ने धारा 144 भी लागू कर दी है. उसके अलावा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले लोगों पर भी सख्त नजर रखने के लिए एक टीम का गठन किया गया है.

पढे़ं: गुर्जर आरक्षण आंदोलन: राजस्थान के कई जिलों में इंटरनेट सेवा बंद

हाल ही में गुर्जर समाज के नेता कर्नल किरोड़ी लाल बैंसला ने प्रदेश सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए चेतावनी दी थी. बैंसला ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर आरक्षण को लागू नहीं किया गया तो 1 नवंबर 2020 से पीलूपुरा गांव में रेलवे ट्रैक को जाम कर आंदोलन किया जाएगा. भरतपुर संभाग में शुरू से ही गुर्जर समाज की आरक्षण की ज्वाला भड़की है. जिसे देखते हुए धौलपुर जिला प्रशासन भी सतर्क हो गया है.

प्रशासन किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार...

कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक बुलाई. उन्होंने बताया गुर्जर आरक्षण आंदोलन की संभावना को देखते हुए अधिकारियों को किसी भी तरह की सिचुएशन से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा. 2007 में भी गुर्जर आरक्षण की आग धौलपुर जिले के बसेड़ी, मनिया एवं धौलपुर शहर में भड़की थी. आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाकर सरकारी गाड़ियों को जलाकर आगजनी की भी घटना हुई थी. जिसे देखते हुए पूर्व में जिन लोगों ने आंदोलन की लीडरशिप की थी उनको पाबंद किया जा रहा है.

कंट्रोल रूम से रखी जा रही है नजर...

इसके अलावा गुर्जर समाज के कुछ युवा ऐसे हैं, जो आंदोलन को उग्र रूप दे सकते हैं. उनको पाबंद कर विशेष नजर रखी जा रही है. जिले में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है. जिन पर विशेष 4 आरएएस अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. साथ ही धारा 144 लागू कर दी गई है. प्रत्येक उपखंड एवं तहसील मुख्यालय पर एसडीएम, तहसीलदार, गिरदावर एवं संबंधित हल्का पटवारी को तैनात किया है. जो आंदोलन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेंगे.

पढे़ं: गुर्जरों के बीच पड़ गई फूट! बैंसला आंदोलन पर आमादा और बयाना के 80 गांव सरकार से वार्ता को तैयार

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कड़ी नजर...

कोई भी व्यक्ति या संस्था इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के माध्यम से किसी भी प्रकार का धार्मिक उन्माद, जातिगत द्वेष या दुष्प्रचार नहीं कर सकेंगे. प्रशासन ने किसी भी व्यक्ति के उत्तेजनात्मक नारे लगाने और भाषण देने जिससे समाज का माहौल खराब हो, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरजाघरों पर सभाओं की पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है. इन सभी आदेशों का उल्लंघन एवं अवहेलना किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडित किया जाएगा.

पहले भड़क चुकी है आंदोलन की आग...

भरतपुर जिले का पड़ोसी जिला होने पर जिले में भी गुर्जर आंदोलन की आग भड़क सकती है. 2007 में हुए आंदोलन में भी धौलपुर जिला गुर्जर आंदोलन से भारी प्रभावित हुआ था. बसेड़ी तहसील मुख्यालय पर आंदोलनकारियों ने आगजनी की घटना को अंजाम दिया था. उसके अलावा सड़क मार्गों को भी जाम किया था. धौलपुर शहर के वाटर वर्क्स चौराहे पर गुर्जर समाज के लोगों ने आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर सरकारी गाड़ियों को आग से जलाया था.

उसी दौर में मनिया इलाका भी गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आग से भारी प्रभावित हुआ था. धौलपुर जिले का बसेड़ी, बाड़ी एवं बसई डांग थाना क्षेत्र गुर्जर बाहुल्य माना जाता है. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन एवं पुलिस ने एहतियात बरतना शुरू कर दिया है. पूर्व के आंदोलन में जिन नेताओं ने लीडरशिप की थी, उनकी जिला प्रशासन ने पाबंदी की कार्यवाही शुरू कर दी है.बैठक में कलेक्टर एसपी ने गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में भारी पुलिस इमदाद के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों को तैनात करने का निर्णय लिया है.

धौलपुर. गुर्जर आरक्षण को लेकर धौलपुर जिला प्रशासन ने कलेक्ट्रेट सभागार में पुलिस के साथ संयुक्त बैठक की. बैठक में जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल और एसपी केसर सिंह शेखावत मौजूद रहे. बैठक में 1 नवंबर 2020 से भरतपुर जिले के बयाना उपखंड इलाके की पीलूपुरा गांव में गुर्जर आरक्षण को लेकर रेलवे ट्रैक एवं सड़क जाम को लेकर जिले की कानून व्यवस्था को कायम करने की रूपरेखा तैयार की गई है.

धौलपुर में गुर्जर आरक्षण की आग को देखते हुए प्रशासन सतर्क

धारा 144 लागू...

आरक्षण की आग धौलपुर जिले में नहीं फैले इसके लिए पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों को निगरानी रखने के विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं. प्रत्येक उपखंड मुख्यालय पर एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है. जिला कलेक्टर ने धारा 144 भी लागू कर दी है. उसके अलावा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले लोगों पर भी सख्त नजर रखने के लिए एक टीम का गठन किया गया है.

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हाल ही में गुर्जर समाज के नेता कर्नल किरोड़ी लाल बैंसला ने प्रदेश सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए चेतावनी दी थी. बैंसला ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर आरक्षण को लागू नहीं किया गया तो 1 नवंबर 2020 से पीलूपुरा गांव में रेलवे ट्रैक को जाम कर आंदोलन किया जाएगा. भरतपुर संभाग में शुरू से ही गुर्जर समाज की आरक्षण की ज्वाला भड़की है. जिसे देखते हुए धौलपुर जिला प्रशासन भी सतर्क हो गया है.

प्रशासन किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार...

कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक बुलाई. उन्होंने बताया गुर्जर आरक्षण आंदोलन की संभावना को देखते हुए अधिकारियों को किसी भी तरह की सिचुएशन से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा. 2007 में भी गुर्जर आरक्षण की आग धौलपुर जिले के बसेड़ी, मनिया एवं धौलपुर शहर में भड़की थी. आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाकर सरकारी गाड़ियों को जलाकर आगजनी की भी घटना हुई थी. जिसे देखते हुए पूर्व में जिन लोगों ने आंदोलन की लीडरशिप की थी उनको पाबंद किया जा रहा है.

कंट्रोल रूम से रखी जा रही है नजर...

इसके अलावा गुर्जर समाज के कुछ युवा ऐसे हैं, जो आंदोलन को उग्र रूप दे सकते हैं. उनको पाबंद कर विशेष नजर रखी जा रही है. जिले में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है. जिन पर विशेष 4 आरएएस अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. साथ ही धारा 144 लागू कर दी गई है. प्रत्येक उपखंड एवं तहसील मुख्यालय पर एसडीएम, तहसीलदार, गिरदावर एवं संबंधित हल्का पटवारी को तैनात किया है. जो आंदोलन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेंगे.

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सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कड़ी नजर...

कोई भी व्यक्ति या संस्था इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के माध्यम से किसी भी प्रकार का धार्मिक उन्माद, जातिगत द्वेष या दुष्प्रचार नहीं कर सकेंगे. प्रशासन ने किसी भी व्यक्ति के उत्तेजनात्मक नारे लगाने और भाषण देने जिससे समाज का माहौल खराब हो, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरजाघरों पर सभाओं की पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है. इन सभी आदेशों का उल्लंघन एवं अवहेलना किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडित किया जाएगा.

पहले भड़क चुकी है आंदोलन की आग...

भरतपुर जिले का पड़ोसी जिला होने पर जिले में भी गुर्जर आंदोलन की आग भड़क सकती है. 2007 में हुए आंदोलन में भी धौलपुर जिला गुर्जर आंदोलन से भारी प्रभावित हुआ था. बसेड़ी तहसील मुख्यालय पर आंदोलनकारियों ने आगजनी की घटना को अंजाम दिया था. उसके अलावा सड़क मार्गों को भी जाम किया था. धौलपुर शहर के वाटर वर्क्स चौराहे पर गुर्जर समाज के लोगों ने आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर सरकारी गाड़ियों को आग से जलाया था.

उसी दौर में मनिया इलाका भी गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आग से भारी प्रभावित हुआ था. धौलपुर जिले का बसेड़ी, बाड़ी एवं बसई डांग थाना क्षेत्र गुर्जर बाहुल्य माना जाता है. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन एवं पुलिस ने एहतियात बरतना शुरू कर दिया है. पूर्व के आंदोलन में जिन नेताओं ने लीडरशिप की थी, उनकी जिला प्रशासन ने पाबंदी की कार्यवाही शुरू कर दी है.बैठक में कलेक्टर एसपी ने गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में भारी पुलिस इमदाद के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों को तैनात करने का निर्णय लिया है.

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