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मौसम के मिजाज ने बढ़ाई किसानों की टेंशन, उत्पादन में भी देखी जा रही गिरावट

धौलपुर जिले में पिछले एक हफ्ते से चल रहे खराब मौसम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. तेज हवा, धूल भरी आंधी और आसमान में छाए बादलों से किसान चिंतित है. हालांकि, सरसों और आलू फसल की लावणी किसान कर चुका है, लेकिन गेहूं की फसल खेतों में पकी हुई अवस्था में खड़ी है. ऐसे में मौसम के खराब मिजाज को देखते हुए किसानों ने दिन रात एक कर कड़ी मशक्कत शुरू कर दी है. किसान गेहूं फसल को निकालने में लगा हुआ है. गेहूं फसल की कटाई के साथ थ्रेसर मशीनों से फसल को निकालने की कवायद की जा रही है.

tension for dholpur farmer
उत्पादन में भी देखी जा रही गिरावट
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Published : Apr 7, 2021, 1:01 PM IST

धौलपुर. खराब मौसम ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है. गेहूं की खड़ी फसल पर बारिश नहीं हो, इसे लेकर किसान दिन रात एक कर कड़ी मशक्कत कर रहा है. पिछले तीन दिन की बात की जाए तो धूल भरी आंधी एवं तेज हवाओं के साथ आसमान में छाए बादलों ने किसानों के लिए चिंता स्थिति पैदा कर दिया है. बादलों की लुकाछिपी से किसानों की सांसें थम रही हैं. हालांकि, सरसों एवं आलू फसल की लावणी किसान पूर्व में कर चुका है, लेकिन करीब 15 दिन पूर्व जिले में हुई बारिश एवं आंधी से गेहूं की फसल खेतों में गिर चुकी थी. जिसके कारण गेहूं फसल के उत्पादन में भी गिरावट की संभावना दिखाई दे रही है.

मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता...

किसानों ने बताया कि कड़ी मेहनत कर रवि फसल को मुकाम तक पहुंचाया था. रवि फसल जिसमें सरसों, गेहूं, आलू, चना, मटर आदि का बुबाई से लेकर अब तक का सफर काफी अच्छा रहा था, लेकिन पिछले 15 दिन पूर्व हुए खराब मौसम ने गेहूं फसल में नुकसान दिया है. जिले के अधिकांश किसानों की फसल खेतों में गिर चुकी थी. हालांकि, नुकसान आंशिक तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन गेहूं की गिरी फसल की लावणी करने में मजदूरी की लागत अधिक बढ़ी है. मौसम के मिजाज को देखते हुए किसानों में बेचैनी पैदा हो गई है. दिन रात एक कर किसान रवि की आखिरी फसल गेहूं को निकालने की जद्दोजहद कर रहा है.

पढ़ें : जयपुर: कार में संदिग्ध परिस्थितियों में मिला कांस्टेबल का शव, कई जगह चमड़ी जल कर उतरी

किसानों का मानना है कि अनुपात के मुताबिक उत्पादन गेहूं फसल में नहीं मिलेगा. उन्होंने बताया कि अन्य फसलों की अपेक्षा गेहूं फसल में लागत अधिक लगती है. उसके अलावा मजदूरी का भी भार गेहूं फसल में सबसे अधिक झेलना पड़ता है. सुबह से शाम तक किसानों के परिवार गेहूं फसल को समेटने में लगे हुए हैं. कुछ किसान फसल की कटाई कर रहे हैं, तो कोई कुछ किसान फसल को निकालकर घरों तक पहुंचा रहा है. इस बार का रवि फसल का सीजन किसानों की अपेक्षा के अनुकूल नहीं रहा है.

weather crisis on wheat crop
गेहूं की फसल पर मौसम का संकट

जिले में प्रमुख रूप से सरसों, गेहूं, आलू एवं चना की फसलें की जाती हैं. इन फसलों में सबसे अधिक रकवा सरसों, गेहूं एवं आलू का देखा जाता है. गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष रवि फसल किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित रही है. आलू, सरसों एवं गेहूं तीनों फसल पिछले वर्ष की अपेक्षा उत्पादन में कमी के साथ मंडी में भाव भी नहीं उठा रही हैं. जिले में शुरू से ही पारंपरिक खेती का ट्रेंड बना हुआ है. हालांकि कुछ किसान नगदी फसल जिसमें सब्जियों को भी करते हैं, लेकिन पारंपरिक खेती में कवायद कम होने के कारण किसान इन फसलों को करता है. मौजूदा वक्त में गेहूं फसल की लावणी को लेकर किसानों में भारी चिंता देखी जा रही है. मौसम के बदलते मिजाज को देखकर किसान दिन रात एक कर फसल को निकालने की जद्दोजहद कर रहा है.

धौलपुर. खराब मौसम ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है. गेहूं की खड़ी फसल पर बारिश नहीं हो, इसे लेकर किसान दिन रात एक कर कड़ी मशक्कत कर रहा है. पिछले तीन दिन की बात की जाए तो धूल भरी आंधी एवं तेज हवाओं के साथ आसमान में छाए बादलों ने किसानों के लिए चिंता स्थिति पैदा कर दिया है. बादलों की लुकाछिपी से किसानों की सांसें थम रही हैं. हालांकि, सरसों एवं आलू फसल की लावणी किसान पूर्व में कर चुका है, लेकिन करीब 15 दिन पूर्व जिले में हुई बारिश एवं आंधी से गेहूं की फसल खेतों में गिर चुकी थी. जिसके कारण गेहूं फसल के उत्पादन में भी गिरावट की संभावना दिखाई दे रही है.

मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता...

किसानों ने बताया कि कड़ी मेहनत कर रवि फसल को मुकाम तक पहुंचाया था. रवि फसल जिसमें सरसों, गेहूं, आलू, चना, मटर आदि का बुबाई से लेकर अब तक का सफर काफी अच्छा रहा था, लेकिन पिछले 15 दिन पूर्व हुए खराब मौसम ने गेहूं फसल में नुकसान दिया है. जिले के अधिकांश किसानों की फसल खेतों में गिर चुकी थी. हालांकि, नुकसान आंशिक तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन गेहूं की गिरी फसल की लावणी करने में मजदूरी की लागत अधिक बढ़ी है. मौसम के मिजाज को देखते हुए किसानों में बेचैनी पैदा हो गई है. दिन रात एक कर किसान रवि की आखिरी फसल गेहूं को निकालने की जद्दोजहद कर रहा है.

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किसानों का मानना है कि अनुपात के मुताबिक उत्पादन गेहूं फसल में नहीं मिलेगा. उन्होंने बताया कि अन्य फसलों की अपेक्षा गेहूं फसल में लागत अधिक लगती है. उसके अलावा मजदूरी का भी भार गेहूं फसल में सबसे अधिक झेलना पड़ता है. सुबह से शाम तक किसानों के परिवार गेहूं फसल को समेटने में लगे हुए हैं. कुछ किसान फसल की कटाई कर रहे हैं, तो कोई कुछ किसान फसल को निकालकर घरों तक पहुंचा रहा है. इस बार का रवि फसल का सीजन किसानों की अपेक्षा के अनुकूल नहीं रहा है.

weather crisis on wheat crop
गेहूं की फसल पर मौसम का संकट

जिले में प्रमुख रूप से सरसों, गेहूं, आलू एवं चना की फसलें की जाती हैं. इन फसलों में सबसे अधिक रकवा सरसों, गेहूं एवं आलू का देखा जाता है. गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष रवि फसल किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित रही है. आलू, सरसों एवं गेहूं तीनों फसल पिछले वर्ष की अपेक्षा उत्पादन में कमी के साथ मंडी में भाव भी नहीं उठा रही हैं. जिले में शुरू से ही पारंपरिक खेती का ट्रेंड बना हुआ है. हालांकि कुछ किसान नगदी फसल जिसमें सब्जियों को भी करते हैं, लेकिन पारंपरिक खेती में कवायद कम होने के कारण किसान इन फसलों को करता है. मौजूदा वक्त में गेहूं फसल की लावणी को लेकर किसानों में भारी चिंता देखी जा रही है. मौसम के बदलते मिजाज को देखकर किसान दिन रात एक कर फसल को निकालने की जद्दोजहद कर रहा है.

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