दौसा. पत्थर पर नक्काशी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके दौसा जिले के सिकंदरा को भी लॉकडाउन के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ा. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से लागू लॉकडाउन में सिकंदरा में होने वाला व्यापार पूरी तरह से बंद है.
हालांकि, लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए इसे खोलने की छूट मिली. लेकिन स्थानीय प्रशासन की मनमर्जी के चलते व्यापारी अब भी यहां अपना व्यापार शुरू नहीं कर पा रहे हैं.
ऐसे में सिकंदरा स्टोन मार्ट को लाखों रुपए का नुकसान हर महीने हो रहा है. साथ ही यहां काम करने वाले व्यापारियों और मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि दौसा जिले का सिकंदरा स्टोन मार्केट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है. यहां के शिल्पकारों को देश ही नहीं बल्कि विदेशों के पत्थर को भी मूर्त रूप देने में महारथ हासिल है.
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देश में अब तक हुए सभी पत्थर मेलों में देश विदेश के शिल्पकारों की कलाकृतियों को पीछे छोड़ सिकंदरा की पत्थर नक्काशी ने अपनी अलग पहचान बनाई है. इस कारोबार में जुडे़ 8 से 10 हजार शिल्पकार और 500 से अधिक संस्था यहां पत्थर नक्काशी का काम करते हैं. सिकंदरा में तैयार होने वाली नक्काशी भारत सहित अमेरिका, यूके, फ्रांस, जापान, इटली और नेपाल के होटलों-मकानों में चार चांद लगा रही है.
इटली से भी भारत के विभिन्न हिस्सों के लोग पत्थर मंगवाकर सिकंदरा में मूर्ति और मकान में सजावट के आइटम तैयार करवाते हैं. छैनी हथौड़ी से पत्थर पर नक्काशी कर जान फूंकने वाले ये शिल्पकार और व्यापारी लॉकडाउन के तीसरे चरण में स्टोन मार्केट खुलने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, स्टोन क्रेशर मालिकों का कहना है कि सरकार की ओर से निर्धारित कोरोना गाइडलाइन से अपना रोजगार खोलने की अनुमति है.
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लेकिन दौसा प्रशासन की ओर से स्टोन मार्केट को बंद रहने के लिए मौखिक रूप से कहा गया है. व्यापारियों का कहना है कि यूं तो स्टोन मार्ट में काम करने वाले दूसरे राज्यों के श्रमिक जा चुके हैं. लेकिन कुछ स्थानीय श्रमिक हैं, जो पुराने ऑर्डर को तैयार करना चाहते हैं. लेकिन स्थानीय प्रशासन ना ही हमें कोई लिखित आदेश देकर काम रोक रहा है और ना ही काम करने दे रहा है.
स्टोर क्रेशर मालिकों का कहना है कि सिर्फ मौखिक आदेशों से स्टोन मार्ट खोलने से रोका जा रहा है. जैसे ही हम लोग काम शुरु करते हैं. पुलिस आकर हमारे क्रेशर को बंद करवा जाती है. ऐसे में स्टोन मार्केट को हर महीने करीब 10 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होना बताया जा रहा है.