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दौसा में 15 साल से पानी के लिए तरस रहा माधो सागर बांध

दौसा का माधो सागर बांध 15 सालों से पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा है. वहीं ग्रामीणों ने सरकार पर वर्ष 2006 में गलत तरीके से पानी का बंटवारा करने का आरोप लगया है. अब ग्रामीणों ने बांध को 2006 से पूर्व की स्थिति में लाने की मांग है. साथ ही मोरेली बांध से माधो सागर बांध तक पक्की नहर का निर्माण करने और माधो सागर बांध को ईस्टर्न कैनाल परियोजना से जोड़ने की मांग की है.

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दौसा में 15 सालों से पानी लिए तरस रहा माधो सागर बांध
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Published : Jul 10, 2020, 11:29 AM IST

दौसा. जिले के बड़े बांधों में शामिल माधो सागर बांध अब पानी के लिए तरसने लगा है. ग्रामीणों का आरोप है कि वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने मोरेली बांध से आने वाले पानी का गलत तरीके से बंटवारा कर दिया था. अब ग्रामीण मोरोली डायवर्जन डैम से लेकर माधोसागर बांध तक 22 किलोमीटर लंबी नहर को सीमेंट कंक्रीट से पक्का करने और माधो सागर बांध को ईस्टर्न कैनाल परियोजना से जोड़ने की मांग करने लगे हैं.

दौसा में 15 सालों से पानी लिए तरस रहा माधो सागर बांध

ग्रामीणों का कहना है कि माधोसागर बांध में मोरेली बांध से पानी आता है, लेकिन वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने एक समझौता कर मोरेली बांध के पानी का डायवर्जन डैम की दीवार को तोड़कर पानी का 75 अनुपात 25 में माधोसागर और भंडारी-डोलिका बांध के बीच बंटवारा कर दिया था. ग्रामीणों का आरोप है कि बांध के पानी का बंटवारा दोषपूर्ण तरीके से किया गया है. बंटवारे में 75 प्रतिशत पानी माधो सागर बांध में और 25 प्रतिशत पानी भंडारी-डोलिका बांध में जाना चाहिए था, लेकिन वर्तमान में 25 प्रतिशत पानी माधोसागर बांध के लिए और 75 प्रतिशत पानी भंडारी बांध के लिए तय किया गया है.

यह भी पढ़ें- टिड्डियों के प्रवेश को लेकर बाड़मेर AFO ने दी चेतावनी, कहा- बड़ी समूह में आ सकता है टिड्डी दल

ग्रामीणों का कहना है कि बांध में पानी आते ही आगे के लिए भेज दिया जाता हैं, जिनके चलते माधोसगर सूखा ही पड़ा रहता है. ग्रामीणों ने यह भी दलील दी कि मोरेली बांध से भंडारी-डोलिका बांध में पानी पहुंचता ही नहीं है, क्योंकि मोरेली बांध से भंडारी बांध के बीच रेतीली जमीन में होकर नदी जा रही है. ऐसे में बांध में पानी पहुंचने से पहले ही जमीन पानी को सोख जाती है. ऐसे में पानी किसी भी बांध में नहीं जा पा रहा है. ग्रामीणों का दावा है कि सरकार के इसी समझौते के बाद वर्ष 2006 के बाद से दौसा जिले का माधोसागर बांध पानी के लिए तरस गया है. जिससे दौसा जिले के सिकराय और महुआ क्षेत्र और करौली जिले के टोडाभीम नादौती क्षेत्र में जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है.

अब ग्रामीण मोरेली बांध के डाइवर्सन डैम में रही त्रुटि को ठीक करने और बांध की 2006 से पहले की स्थिति को पुनः स्थापित करने की मांग की है. साथ ही मोरेली बांध से माधोसागर बांध तक नदी का बहाव निर्बाध बनाने के लिए 22 किलोमीटर लंबी नहर को सीमेंट कंक्रीट से बनाने की मांग की है, ताकि रास्ते में पानी बर्बाद ना हो पाए. साथ ही ग्रामीण माधोसागर बांध को ईस्टर्न कैनाल परियोजना से जोड़ने की भी मांग कर रहे हैं. ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर उपखंड स्तर और जिला स्तर के अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- Exclusive: भाजपा का अपना कार्यालय अपनी छत का सपना अधूरा, 14 जिलों में चिन्हित नहीं हुई जमीन

गौरतलब है कि दौसा जिले का माधोसागर बांध रियासत काल में 1887 में बनाया गया था और इस बांध का भराव क्षेत्र करीब 22 मील में है. यह बांध सिकराय क्षेत्र के 25 गांवों को पेयजल और 5000 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई करता था. इस बांध से दौसा और करौली की 3 तहसीलों सिकराय, महवा और टोडाभीम में जल का संरक्षण भी होता था. साथ ही यह बांध ऐतिहासिक धरोहर भी है. इसकी संस्कृति को पर्यटक स्थल के रूप में भी पहचान है.

दौसा. जिले के बड़े बांधों में शामिल माधो सागर बांध अब पानी के लिए तरसने लगा है. ग्रामीणों का आरोप है कि वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने मोरेली बांध से आने वाले पानी का गलत तरीके से बंटवारा कर दिया था. अब ग्रामीण मोरोली डायवर्जन डैम से लेकर माधोसागर बांध तक 22 किलोमीटर लंबी नहर को सीमेंट कंक्रीट से पक्का करने और माधो सागर बांध को ईस्टर्न कैनाल परियोजना से जोड़ने की मांग करने लगे हैं.

दौसा में 15 सालों से पानी लिए तरस रहा माधो सागर बांध

ग्रामीणों का कहना है कि माधोसागर बांध में मोरेली बांध से पानी आता है, लेकिन वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने एक समझौता कर मोरेली बांध के पानी का डायवर्जन डैम की दीवार को तोड़कर पानी का 75 अनुपात 25 में माधोसागर और भंडारी-डोलिका बांध के बीच बंटवारा कर दिया था. ग्रामीणों का आरोप है कि बांध के पानी का बंटवारा दोषपूर्ण तरीके से किया गया है. बंटवारे में 75 प्रतिशत पानी माधो सागर बांध में और 25 प्रतिशत पानी भंडारी-डोलिका बांध में जाना चाहिए था, लेकिन वर्तमान में 25 प्रतिशत पानी माधोसागर बांध के लिए और 75 प्रतिशत पानी भंडारी बांध के लिए तय किया गया है.

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ग्रामीणों का कहना है कि बांध में पानी आते ही आगे के लिए भेज दिया जाता हैं, जिनके चलते माधोसगर सूखा ही पड़ा रहता है. ग्रामीणों ने यह भी दलील दी कि मोरेली बांध से भंडारी-डोलिका बांध में पानी पहुंचता ही नहीं है, क्योंकि मोरेली बांध से भंडारी बांध के बीच रेतीली जमीन में होकर नदी जा रही है. ऐसे में बांध में पानी पहुंचने से पहले ही जमीन पानी को सोख जाती है. ऐसे में पानी किसी भी बांध में नहीं जा पा रहा है. ग्रामीणों का दावा है कि सरकार के इसी समझौते के बाद वर्ष 2006 के बाद से दौसा जिले का माधोसागर बांध पानी के लिए तरस गया है. जिससे दौसा जिले के सिकराय और महुआ क्षेत्र और करौली जिले के टोडाभीम नादौती क्षेत्र में जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है.

अब ग्रामीण मोरेली बांध के डाइवर्सन डैम में रही त्रुटि को ठीक करने और बांध की 2006 से पहले की स्थिति को पुनः स्थापित करने की मांग की है. साथ ही मोरेली बांध से माधोसागर बांध तक नदी का बहाव निर्बाध बनाने के लिए 22 किलोमीटर लंबी नहर को सीमेंट कंक्रीट से बनाने की मांग की है, ताकि रास्ते में पानी बर्बाद ना हो पाए. साथ ही ग्रामीण माधोसागर बांध को ईस्टर्न कैनाल परियोजना से जोड़ने की भी मांग कर रहे हैं. ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर उपखंड स्तर और जिला स्तर के अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा रहे हैं.

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गौरतलब है कि दौसा जिले का माधोसागर बांध रियासत काल में 1887 में बनाया गया था और इस बांध का भराव क्षेत्र करीब 22 मील में है. यह बांध सिकराय क्षेत्र के 25 गांवों को पेयजल और 5000 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई करता था. इस बांध से दौसा और करौली की 3 तहसीलों सिकराय, महवा और टोडाभीम में जल का संरक्षण भी होता था. साथ ही यह बांध ऐतिहासिक धरोहर भी है. इसकी संस्कृति को पर्यटक स्थल के रूप में भी पहचान है.

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