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स्पेशल स्टोरी: फैशन के दौर में पिछड़ता खादी..आज भी यूथ को रास नहीं आती - youth dislikes Khadi

फैशन के इस दौर में खादी उद्योग आज भी पिछड़ता जा रहा है. वर्तमान में खादी सिर्फ राजनेताओं तक सिमट के रह गई है. खादी आज भी यूथ की पहुंच से बहुत दूर है...हालांकि खादी ने अपने ट्रेंड को बदला है, लेकिन फिर भी युवाओं को आकर्षित करने में सफल नहीं हो पा रहा है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट

youth dislikes Khadi, युवाओं को नापसंद खादी
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Published : Aug 23, 2019, 7:04 PM IST

दौसा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखा चलाकर जिस खादी का निर्माण किया था. गांधी जी ने देश को स्वदेशी कपड़ा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से खादी का निर्माण किया. मगर आज के फैशन के दौर में खादी पूरे देश में पिछड़ता जा रही है. युवा खादी पहनना तो दूर खादी के बारे में जानते भी नहीं है. मॉल कल्चर और ब्रांडेड शोरुम में नई-नई डिजाइनओं के चलते युवा खादी की तरफ देख भी नहीं पा रहे हैं. ऐसे में फैशन के इस दौर में खादी युवाओं को अपनी और आकर्षित नहीं कर पा रहा है. जिसके चलते युवा खादी से बिल्कुल मुंह मोड़ बैठे है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: 10 साल की उम्र में दो किताबें लिख चुकी नन्ही राइटर...मिलिए जयपुर की रिशिका कासलीवाल से

खादी ने बदला अपना ट्रेंड
हालांकि खादी में हो रहे परिवर्तनों को लेकर दौसा खादी समिति के सचिव अनिल शर्मा ने बताया कि अब खादी पुरानी वाली खादी नहीं रही. जो कि एक ट्रेड मोटे कपड़े के रूप में जानी जाती थी. आज खादी में कपड़ों में लिए नए-नए ट्रेड और ऑप्शन तैयार हैं. खादी में सैकड़ों कलर डिजाइन आ गई है. बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल्स में भी खादी पहुंच गई है. युवाओं लिए जींस टीशर्ट जैसे कई ऑप्शन खादी में आ चुके हैं.

फैशन के दौर में खादी को युवा की 'ना'

पीएम मोदी से बढ़ी खादी की जैकेट की डिमांड
वहीं अनिल शर्मा ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं. तब से बाजार में खादी की जैकेट की डिमांड बढ़ी है. खादी वर्तमान समय में युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. जिसके लिए उस जगह जगह प्रदर्शनियां लगवाई जा रही है.

पढ़ें- राजस्थान का ऐसा मंदिर...जहां जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी

युवाओं को अब भी रास नहीं आ रही खादी
वहीं दूसरी ओर खादी को लेकर युवाओं का कहना है कि खादी आज भी सिर्फ राजनेताओं तक सिमट के रह गई है. खादी का मतलब आज भी उनके लिए सफेद कुर्ता पायजामा ही है. जो कि राजनेता पहनते हैं, फैशन के इस दौर में युवाओं को जो नए-नए ब्रांड और नई फैशन डिजाइन बाजार में शॉपिंग मॉल्स में उपलब्ध हैं वह खादी में आज भी नहीं है. युवाओं ने बताया कि खादी में आज भी कपड़ा खरीद कर टेलर के यहां नाप देकर सिलवाना पड़ता है. वहीं उन्होंने बताया कि जो कलर और डिजाइन पसंद है वो बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते है और खादी में आज भी नहीं मिलते. इस कारण ही कंपटीशन के इस दौर में मॉल कल्चर और फैशन डिजाइनर के दौर में खादी पिछड़ता जा रही है.

दौसा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखा चलाकर जिस खादी का निर्माण किया था. गांधी जी ने देश को स्वदेशी कपड़ा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से खादी का निर्माण किया. मगर आज के फैशन के दौर में खादी पूरे देश में पिछड़ता जा रही है. युवा खादी पहनना तो दूर खादी के बारे में जानते भी नहीं है. मॉल कल्चर और ब्रांडेड शोरुम में नई-नई डिजाइनओं के चलते युवा खादी की तरफ देख भी नहीं पा रहे हैं. ऐसे में फैशन के इस दौर में खादी युवाओं को अपनी और आकर्षित नहीं कर पा रहा है. जिसके चलते युवा खादी से बिल्कुल मुंह मोड़ बैठे है.

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खादी ने बदला अपना ट्रेंड
हालांकि खादी में हो रहे परिवर्तनों को लेकर दौसा खादी समिति के सचिव अनिल शर्मा ने बताया कि अब खादी पुरानी वाली खादी नहीं रही. जो कि एक ट्रेड मोटे कपड़े के रूप में जानी जाती थी. आज खादी में कपड़ों में लिए नए-नए ट्रेड और ऑप्शन तैयार हैं. खादी में सैकड़ों कलर डिजाइन आ गई है. बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल्स में भी खादी पहुंच गई है. युवाओं लिए जींस टीशर्ट जैसे कई ऑप्शन खादी में आ चुके हैं.

फैशन के दौर में खादी को युवा की 'ना'

पीएम मोदी से बढ़ी खादी की जैकेट की डिमांड
वहीं अनिल शर्मा ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं. तब से बाजार में खादी की जैकेट की डिमांड बढ़ी है. खादी वर्तमान समय में युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. जिसके लिए उस जगह जगह प्रदर्शनियां लगवाई जा रही है.

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युवाओं को अब भी रास नहीं आ रही खादी
वहीं दूसरी ओर खादी को लेकर युवाओं का कहना है कि खादी आज भी सिर्फ राजनेताओं तक सिमट के रह गई है. खादी का मतलब आज भी उनके लिए सफेद कुर्ता पायजामा ही है. जो कि राजनेता पहनते हैं, फैशन के इस दौर में युवाओं को जो नए-नए ब्रांड और नई फैशन डिजाइन बाजार में शॉपिंग मॉल्स में उपलब्ध हैं वह खादी में आज भी नहीं है. युवाओं ने बताया कि खादी में आज भी कपड़ा खरीद कर टेलर के यहां नाप देकर सिलवाना पड़ता है. वहीं उन्होंने बताया कि जो कलर और डिजाइन पसंद है वो बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते है और खादी में आज भी नहीं मिलते. इस कारण ही कंपटीशन के इस दौर में मॉल कल्चर और फैशन डिजाइनर के दौर में खादी पिछड़ता जा रही है.

Intro:फैशन के इस दौर में खादीGगGGआज भी पिछ्रता जा रहा है वर्तमान से मैं भी उठाती में राजनेताओं तक सिमट के रह गया खादी आज भी यूज़ की पहुंच से दूर है।।।।।


Body:दौसा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखा चलाकर जिस खादी का निर्माण किया था अपने देश को स्वदेश का कपड़ा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से खादी का निर्माण किया गया था आज वह खादी पूरे देश में बढ़ती फैशन के इस दौर में पिछड़ती जा रही है। युवा खादी पहनना तो दूर खादी के बारे में जानते भी नहीं है । मॉल कल्चर और ब्रांडेड शोरूम में नई नई डिजाइनओं के चलते युवा खादी की तरफ देख भी नहीं पा रहे हैं । ऐसे में फैशन के इस दौर में खादी युवाओं को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रही है। जिसके चलते युवा खादी से बिल्कुल मुंह मोड़े हुए हैं। हालांकि खादी में हो रहे परिवर्तनों को लेकर दौसा खादी समिति के सचिव अनिल शर्मा का कहना है कि अब खादी पुरानी वाली खादी नहीं रही। जो कि एक ट्रेड मोटे कपड़े के रूप में जानी जाती थी । आज खादी में कपड़ों में लिए नए-नए ट्रेड वह ऑप्शन तैयार हैं । खादी में सैकड़ों कलर डिजाइन आ गई है बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल्स में भी खादी पहुंच गई है । युवाओं लिए जींस टीशर्ट जैसे कई ऑप्शन खादी में आ चुके हैं । अनिल शर्मा का कहना है कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं । तब से बाजार में खादी की जाकिट की डिमांड बढ़ी है । खादी वर्तमान समय में युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जिसके लिए उस जगह जगह प्रदर्शनीया लगवाई रही है । खादी को लेकर युवाओं का कहना है कि खादी आज भी सिर्फ राजनेताओं तक सिमट के रह गई है । खादी का मतलब आज भी उनके लिए सफेद कुर्ता पायजामा ही है । जो कि राजनेता पहनते हैं, फैशन के इस दौर में युवाओं को जो नए-नए ब्रांड और नई फैशन डिजाइन बाजार में शॉपिंग मॉल्स में उपलब्ध हैं वह खादी में आज भी नहीं है। युवाओं का कहना है कि खादी में आज भी कपड़ा खरीद कर टेलर के यहां नाप देकर कपड़ा सिलवा कर वही पुराने ढर्रे में तैयार करवाना पड़ता है । युवाओं को जो कलर और डिजाइन पसंद है बाजार में आसानी से उपलब्ध होजाते है । व खादी में आज भी नहीं मिलते । इस कारण ही कंपटीशन के इस दौर में मॉल कल्चर व फैशन डिजाइनर के दौर में खादी पिछड़ती जा रही है । 1 बाइट अनिल शर्मा सचिव खाद्य समिति दौसा 2 बाइट चांदनी शर्मा यूथ 3 बाइट लोकेश भाकरी युवा


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