दौसा. महेश शर्मा 1979 में वकालत के पेशे में आए थे. वहीं, उन्होंने जयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद बाढ़दार के पास रहकर वकालत का काम सीखा था. इसके साथ ही वे 2008 से 2017 तक राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे.
मालूम हो कि शर्मा राजस्थान उच्च न्यायालय में करीब 10 वर्ष तक न्यायाधीश पद पर रहकर आमजन को न्याय देने वाले वकीलों के हितैषी रहे. राजस्थान मानव अधिकार आयोग के सदस्य के रूप में सेवा देने वाले दौसा शहर के खारी-खोटी मोहल्ले के निवासी न्यायाधीश महेश शर्मा का हृदय गति रुकने से निधन हो गया. जिसके बाद में वकीलों के साथ ही आमजन में शोक की लहर छा गई.
न्यायाधीश शर्मा के मित्र रहे एडवोकेट और पूर्व जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश जोशी ने बताया कि महेश चंद शर्मा दौसा के खरी-खोटी मोहल्ला निवासी थे. उनके पिता नाथू लाल शर्मा अंग्रेजी विषय के अध्यापक थे. महेश शर्मा 1979 में वकालत के पेशे में आए थे. उन्होंने जयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद बाढ़दार के पास रहकर वकालत का काम सीखा था. इसके साथ ही वे 2008 से 2017 तक राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे. इसके बाद वे रिटायर होने पर राजस्थान मानव अधिकार आयोग के सदस्य चुने गए.
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मानव अधिकार आयोग में भी उन्होंने आमजन के हित में ही काम किया. उन्होंने बताया कि महेश शर्मा के निधन से विधि जगत की एक बड़ी हस्ती खोई है. जब भी वकीलों पर कोई विपदा आई तब वकीलों के साथ वे खड़े रहते थे. उनके नजदीकी वकीलों का कहना है कि महेश शर्मा जयपुर में रहने के बाद भी दौसा के निवासियों से विशेष लगाव रखते थे. इसके साथ ही बताया गया कि दौसा में भगवान बैजनाथ और हनुमान जी के मंदिर में हमेशा आया करते थे और अंतिम समय तक भी उनका दौसा वासियों से गहरा लगाव था.