दौसा. यूं तो प्रदेश में संचालित राज्य सरकार की अनेक योजनाओं में उनके संचालन करने वाले विभाग असफल ही नजर आते हैं. लेकिन जिले में सरकार की योजनाओं की बात करें तो चिकित्सा विभाग की ओर से संचालित जननी सुरक्षा योजना में चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार बेहतरीन कार्य किया जा रहा है.
हालांकि, दौसा के चिकित्सा विभाग के हालात अनेक योजनाओं में अच्छे नहीं है. यहां तक की कोरोना जैसी महामारी में भी बहुत अच्छा कार्य नहीं किया, लेकिन बात करें मातृ एवं शिशु जीवन में वृद्धि को लेकर शुरू की गई जननी सुरक्षा योजना की तो इस योजना में जमीनी स्तर पर चिकित्सा विभाग ने बेहतरीन कार्य किया है.
आरसीएचओ रामफल मीणा के अनुसार पिछले 6 महीने का रिकॉर्ड अगर देखा जाए, तो 97% महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना का मिलने वाला लाभ पूरी तरह दे दिया गया है. आरसीएचओ रामपाल मीणा ने बताया कि जननी सुरक्षा योजना के तहत बीपीएल परिवार की महिलाओं को पहले प्रसव के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में 1400 और शहरी क्षेत्र में 1000 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती हैं. पिछले 6 माह में जिले में 5635 महिला के प्रसव जिले में रजिस्टर्ड हुए थे. जिससे 4413 महिलाओं को योजना का लाभ दे दिया गया. यानी कुल 97 प्रतिशत महिलाओं को विभाग ने योजना का लाभ दे दिया.
वहीं महिला सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं को अस्पताल से लाने ले जाने की सुविधा भी सरकारी स्तर पर एंबुलेंस से की जाती है. लेकिन जो महिलाएं अपने निजी स्तर पर अस्पताल पहुंचती है विभाग की ओर से उनके खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं, और इस योजना को लेकर प्रसव के दौरान अस्पताल में भर्ती होने वाली महिलाओं को चिकित्सालय की ओर से पौष्टिक आहार भी दिया जाता है. जिसमें दूध दलिया मौसमी सब्जियां फल बिस्किट सहित कई अन्य पौष्टिक आहार महिलाओं को अस्पताल में भर्ती के दौरान दिए जाते हैं.
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जब ईटीवी भारत ने जिला अस्पताल में भर्ती महिलाओं से बात की तो उन्होंने विभाग दिए जाने वाली योजनाओं को लेकर अपनी संतुष्टि जाहिर की, उन्होंने कहा कि जबसे जिला अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती हुए हैं. चिकित्सालय की ओर से पूरी देखरेख की जा रही है.
वहीं समय पर उन्हें नाश्ता खाना भी दिया जा रहा है. वह भी गुणवत्ता के साथ, ऐसे में पहली बार ऐसा देखने में आया कि सरकारी किसी योजना का जमीनी धरातल पर पूरी तरह से अमलीजामा पहनाया जा रहा हो, महिला वार्डों का दौरा करने के बाद कई तरह की समस्याएं भी सामने नजर आई महिला वार्ड में पुरुषों का जाना अलाउड नहीं होता.
कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंस की पालना भी आवश्यक है लेकिन जिला चिकित्सालय में मातृ एवं शिशु कल्याण इकाई में इस तरह के कहीं कोई हालात नजर नहीं आए ना ही सोशल डिस्टेंस की पालना की जा रही है और ना ही पुरुष परिजनों पर वार्ड में जाने से कोई रोक-टोक है.
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मातृ शिशु ईकाई के प्रभारी डॉ. सीएल सिंघल का कहना है कि जिला अस्पताल में गार्डों की प्रॉपर व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते महिलाओं के परिजन जबरदस्ती वार्ड में घुस जाते हैं. अस्पताल में प्रवेश के लिए जो उन्हें रोकते हैं. उनके साथ जबरदस्ती मारपीट करने का प्रयास करते हैं. इसके लिए उन्होंने जिला कलेक्टर को होमगार्ड उपलब्ध करवाने की मांग भी की है. हॉस्पिटल में होमगार्ड लग जाएंगे तो पूरी तरह प्रतिबंध भी लगा दिया जाएगा और सोशल डिस्टेंस की पालना भी ठीक से हो पाएगी.