चूरू. जिले में नाबालिग बालिका को सौतेले पिता द्वारा 80 हजार रुपए में बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां इतने गम्भीर और सवेदनशील प्रकरण में भी अधिकारियों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. जहां सौतेले पिता द्वारा बालिका को बेचने के बाद गर्भवती हुई नाबालिग बालिका को रेस्क्यू करने के बावजूद करीब 20 दिन बीत जाने के बाद भी उसका स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के बाद भी अधिकारियों ने कार्रवाई करना उचित नहीं समझा. इस बीच मामले की गंभीरता और अधिकारियों की लापरवाही के सामने आने के बाद पीड़ित नाबालिग बालिका को न्याय दिलाने की मांग अब तेज हो गई है.
इसी उद्देश्य से बुधवार को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग जयपुर के सदस्य शिव भगवान शर्मा और नुसरत नकवी चूरु के सर्किट हाउस पहुंचे. इस दौरान स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और बाल संरक्षण अधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों से इस गंभीर और संवेदनशील प्रकरण पर चर्चा की और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए. साथ ही इस मामले में राजगढ़ उपखंड अधिकारी को बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने नोटिस भेज जवाब तलब किया है.
यह था मामला और यूं चला लापरवाही का दौर
जानकारी अनुसार तहसील की नाबालिग बालिका को उसके पिता द्वारा 80 हजार रुपए में बेचने की शिकायत उपखंड अधिकारी को मिली थी. इसके बाद उपखंड अधिकारी ने संबंधित थाना पुलिस को मामले में कार्रवाई के आदेश दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 9 सितंबर को झुंझुनू जिले के एक गांव से नाबालिग बालिका का रेस्क्यू कर उसे उपखंड अधिकारी राजगढ़ के समक्ष पेश किया.
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इसके बाद उपखंड अधिकारी ने नाबालिग बालिका को सखी सेंटर चूरू भेजने के आदेश दे दिए. जहां सात दिन सखी सेंटर में रहने के बाद नाबालिग बालिका को फिर से 16 सितंबर को उपखंड अधिकारी के समक्ष पेश किया गया. इसके बाद उसे नारी निकेतन झुंझुनू भेजने का राजगढ़ उपखंड अधिकारी ने आदेश दे दिया और यहां भेजने के दो दिनों बाद खुलासा हुआ कि बालिका नाबालिग है और वह गर्भवती है.
इस पूरे प्रकरण में बाल अधिकारों का हनन हुआ है और अधिकारियों की लापरवाही सामने आने के बाद मामले में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया. यह भी सामने आई कि अधिकारियों ने इतने दिन बीत जाने के बाद भी बालिका की उम्र का कोई पुख्ता प्रमाण इकट्ठा करना जरूरी नहीं समझा.