चूरू: जिले के रामपुरा गांव की गर्भवती महिला की मौत का मामला अब गर्माता जा रहा है. प्रकरण को लेकर अब सियासी बयानबाजी भी शुरू हो चुकी है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मामले को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है.
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि रामपुरा गांव में एक गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया जो 9 महीने के बच्चे को जन्म देने वाली थी. 4 दिन हो जाने के बाद भी महिला का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है. परिजनों की बात सुनने के लिए प्रशासन तैयार ही नहीं है. राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस अपनी जिद पर अड़ी हुई है. ना ही पीड़िता के परिवार को मुआवजा दिया जा रहा है और ना ही न्याय. इसके विपरित परिवारवालों और गांव वालों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं.
पुलिस ने महिलाओं के साथ किया अमानवीय व्यवहार...
राठौड़ का कहना है 'पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज से करीब 22 महिलाओं को चोट आई है. गरीबों पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं. दुर्भाग्य इस बात का है कि घटना के 2 दिन बाद जिला कलेक्टर और एसपी घटनास्थल पर पहुंचते हैं. इससे पहले जेड सुरक्षा से घिरी हुई वहां की स्थानीय विधायक अपने साथ चलने वाले पुलिसकर्मियों को इशारा देकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों और परिजनों पर लाठीचार्ज करवाती हैं. राठौड़ ने कहा 'मैं समझता हूं संवेदनहीन सरकार का यह बेजोड़ नमूना है.'
2 लोगों की हत्या के बाद भी प्रशासन मौन...
उन्होंने कहा कि सपोटरा की घटना दिल दहला देने वाली है, 2 लोगों की हत्या के बाद भी प्रशासन मौन है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा. हम परिजनों और ग्रामीणों का समर्थन करते हैं. राठौड़ ने रामपुरा गांव में रविवार को हुए पथराव का जिम्मेदार स्थानीय विधायक कृष्णा पूनिया को ठहराया.
72 घंटे बाद भी शव का अंतिम संस्कार नहीं...
बता दें कि रामपुरा गांव में बीते 9 अक्टूबर को हुई गर्भवती महिला की मौत के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. जहां घटना के 72 घंटे से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी शव का अंतिम संस्कार करने को परिजन राजी नहीं हुए और गांव में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन की घोषणा कर दी.
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पूरे मामले ने अब राजनतिक रंग लेना शुरू कर दिया है. परिजनों और ग्रामीणों के साथ राजनतिक दलों से जुड़े कई नेता भी धरना स्थल पर बैठे हैं. वहीं, प्रसाशन लगातार पीड़ित पक्ष से वार्ता कर रहा है, लेकिन अभी तक इस ओर कोई सहमति नहीं बनी हैं. परिजन और ग्रामीण दस लाख रुपए के मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
यह था मामला...
दरअसल, गांव रामपुरा की 25 वर्षीय गर्भवती महिला को उसके परिजन रामपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे थे. जहां कार्यरत चिकित्सक ने गर्भवती महिला की तबियत ठीक बता उसे घर भेज दिया. घर जाने के बाद जब गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तो परिजन फिर से गर्भवती महिला को रामपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सक ने महिला के एक इंजेक्शन लगाया. जिसके बाद गर्भवती महिला की तबियत बिगड़ने लगी. चिकित्सक ने महिला को राजगढ़ अस्पताल के लिए रेफर कर दिया और राजगढ़ अस्पताल के चिकित्सकों ने महिला को चूरू अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. यहां लाने पर जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने 25 वर्षीय गर्भवती महिला को मृत घोषित कर दिया था.